रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ के अंजोरा, दुर्ग में स्थित दाऊ वासुदेव चंद्राकर विश्विद्यालय अब मनोहर गौशाला की गोमूत्र से निर्मित पेटेंट फसल अमृत और नेत्रहीन गोवंशों के अंधत्व पर शोध करेगा। गोशाला के मैनेजिंग ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) ने बताया, विवि के कुलपति नारायण पुरषोत्तम दक्षिणकर, रजिस्ट्रार आर के सोनवने, कृषि विज्ञान केंद्र छत्तीसगढ़ के डॉ. कुनै और रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञों के साथ गोशाला में बन रहे सन लाइट बेस लिकविड फर्टिलाइजर (फसल अमृत) के अनुसंधान पर चर्चा हुई। इस दौरान नेत्र विहीन गोवंश के अंधत्व मुक्ति के लिए गोशाला में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। बैठक में कुलपति ने आगे की कार्य योजना पर भी मार्गदर्शन प्रदान किया।
क्या है फसल अमृत :
इसके साथ ही गोशाला में किसानों के लिए सन लाइट बेस्ड फसल अमृत का निर्माण किया जाता है, जिसका उपयोग कर किसान अपने फसलों को बगैर रासायनिक खाद के सुरक्षित रख सकते हैं। फसल अमृत का पेंटेंट भी मनोहर गौशाला के पास है।
गौमूत्र पर शोध :
अक्सर गौमूत्र के सेवन से लाभ की चर्चा होती है, लेकिन लाभ कैसे? यह मनोहर गौशाला शोध कर जानने का प्रयास कर रही है। गौशाला में निर्मित गौअर्क की अब तक 12000 से ज्यादा बोतल अखिल जैन (पदम डाकलिया) नि:शुल्क वितरित कर चुके हैं। इस गौअर्क से गंभीर कैंसर से पीडि़त 20 से ज्यादा मरीज लाभ प्राप्त कर चुके हैं। इस गौअर्क का सेवन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके कर रहीं हैं।