अरविंद शंकर दीक्षित का शहादत दिवस पूर्ण सैन्य गरिमा के साथ संपन्न

अरविंद शंकर दीक्षित का शहादत दिवस पूर्ण सैन्य गरिमा के साथ संपन्न


राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ़) शहीद ले अरविंद शंकर दीक्षित का शहातद दिवस आज पूर्ण सैन्य गरिमा के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आरंभ राष्ट्रगान से किया गया इसके पश्चात 105 इंजीनियर्स रेजीमेंट के सूबेदार पी. बी. शेन्द्रे ने रेजीमेंट की ओर से शहीद अरविंद दीक्षित के तैलचित्रा पर पुष्पचक्र अर्पित किया, पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल ठाकुर एवं जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ग्रुप कैप्टन बृजेश कुमार शर्मा ने पुष्पांजलि अर्पित की इसके साथ ही रिजर्व पुलिस लाईन की सलामी गारद ने प्रधान आरक्षक बृजेश सिंह कुशवाहा के नेतृत्व में बिगुल वादन के साथ सशस्त्र सलामी दी।
मुख्य अतिथि श्री ठाकुर (पुलिस अधीक्षक) अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रसेवा सर्वोपरि है। उससे बढ़कर कोई सेवा नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन से ही उनका आत्मीय संबंध दीक्षित परिवार से रहा है जहां शहीद ले अरविंद दीक्षित की चर्चा अक्सर हुआ करती है। बृजेश कुमार शर्मा जिला सैनिक कल्याण अधिकारी द्वारा सीमा पर तैनात सैनिकों को सौभाग्यशाली बताते हुए युवकों एवं एनसीसी कैडेट को देश सेवा के लिए प्रेरक संदेश दिया। 105 इंजीनियर्स रेजीमेंट के सूबेदार पी बी शेन्द्रे ने कहा कि शहीद लेफ्टिनेंट अरविंद शंकर दीक्षित ने 1971 के युद्ध में माइंस बिछाने का कार्य अपने हाथों में लिया दुश्मन को परास्त करने के लिए उन्होंने अपने जीवन की चिंता नहीं की और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। डॉ. अरूण शंकर दीक्षित ने सभा को संबोधित करते हुए अपने अनुज के मेधावी छात्र जीवन पर प्रकाश डाला। प्रार्थना सभा में श्रीमती विभा द्विवेदी ने एक भजन प्रस्तुत किया।

शहीद ले. अरविंद शंकर का जीवन परिचय कान्यकुब्ज सभा के उपाध्यक्ष विष्णुदत्त तिवारी ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर 105 इंजीनियर्स रेजीमेंट की ओर से यशस्वी दीक्षित परिवार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उन्हें सम्मानित किया गया व उपहार भेंट किया गया। अखिलेश तिवारी ने अनेक घटनाओं का उल्लेख करते हुए यह सिद्ध किया कि भारतीय सेना केवल टैंक और गोला बारूद से नहीं वरन् बौद्धिक शक्ति से 1971 का युद्ध जीता था। अंत में कान्यकुब्ज सभा के अध्यक्ष प्रदीप मिश्रा ने आभार प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम के अंत में शहीदों की सूची का पठन कर दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई।कार्यक्रम का प्रभावी संचालन अक्षित शुक्ला ने किया तथा अजय शुक्ला की सार्थक संकल्पना एवं कुशल निर्देशन में कार्यक्रम संचालित हुआ।
कार्यक्रम में ऋषि कुमार तिवारी, कमलेश तिवारी, प्रो. आर. पी. दीक्षित, यज्ञनारायण शुक्ला, संजीव मिश्रा, विवेक शुक्ला, विकास शुक्ला, शैलेष शुक्ला, संजीव मिश्रा, डॉ. चंद्रशेखर शर्मा, जगदीश प्रसाद मिश्रा, सुनील बाजपेयी, डॉ. सूर्यप्रकाश द्विवेदी, अनिल तिवारी, प्रकाश शुक्ला, विजय तंबोली, अजय दीक्षित, अभिनव शंकर दीक्षित, मोहन मिश्रा, स्वप्निल तिवारी, अमित शुक्ला, डॉ. हेमलता महोबे, आमोद दीक्षित, किरण दीक्षित, विनीता मिश्रा, ममता अवस्थी, लक्ष्मी शुक्ला, कंचन चौबे, सुनीला शुक्ला, दीपिका दीक्षित , नम्रता दीक्षित, एन. सी. सी. अधिकारीगण डी. डी. वैष्णव, सुनील भागवत, विकास कंडे, चंद्रकांत चंद्राकर, हीरेन्द्र ठाकुर भूपेन्द्र जोशी, केडेट क्लब के अमित चंद्रवंशी, आशीष डोंगरे, सुक्रित गुप्ता, योगेश पवार, सैनिक कल्याण संगठन के सेवानिवृत सूबेदार मेजर राजेश शर्मा, हवलदार रोशनलाल, हवलदार लीलेश्वर देवांगन, हवलदार देवेन्द्र, हवलदार प्रवीण कुमार।

शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के तीनों विंग के एन. सी. सी. केडेट, स्टेट हाई स्कूल, बलदेव प्रसाद मिश्र स्कूल के एन. सी. सी. केडेट , सलामी गारद में आरक्षक सुंदरसिंह, राजपाल, हरपाल जगत अश्विनी त्रिपाठी तथा धनीराम पटेल सहित अनेक गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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