ईगो जिसके मन में आता है, उसके मन में स्वार्थ घर कर जाता है- गच्छाधिपति मणि प्रभ सूरीश्वर….. महापुरुषों के संपर्क में आते ही व्यक्ति स्वाध्याय , वैराग्य से सुशोभित हो जाता है- आचार्य पीयूष सागर

ईगो जिसके मन में आता है, उसके मन में स्वार्थ घर कर जाता है- गच्छाधिपति मणि प्रभ सूरीश्वर….. महापुरुषों के संपर्क में आते ही व्यक्ति स्वाध्याय , वैराग्य से सुशोभित हो जाता है- आचार्य पीयूष सागर

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 8 फरवरी। खत्तरगच्छाधिपति मणि प्रभ सूरीश्वर ने कहा कि एकता सबसे बड़ी चीज है और इस एकता को आघात पहुंचाता है ईगो। उन्होंने कहा कि ईगो जिसके मन में आता है ,उसके मन में स्वार्थ घर कर जाता है। हमें इस ईगो से बच कर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम कहते हैं कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया। हमें बढ़िया ही होना है। छत्तीसगढ़ में जो एकता का वातावरण नजर आता है वह अन्य स्थानों पर नजर नहीं आता। हमें बढ़िया बनना है और इसके लिए प्रयास करना है।
मणि प्रभ सुरेश्वर जी ने कहा कि मन को, चेहरे को या अंदर के भाव को, बढ़िया हमें किसी को करना है उस पर चिंतन करना चाहिए।

छत्तीसगढ़ का प्रवेश द्वार है राजनांदगांव और यदि प्रवेश द्वार बढ़िया सुंदर और मजबूत हो तो बाकी सब मजबूत ही होगा। प्रवेश द्वार की सुरक्षा पूरे घर की सुरक्षा है। यदि द्वार सुरक्षित और सुंदर होगा तो पूरा घर सुरक्षित व सुंदर होगा। इसी तरह राजनंदगांव जो छत्तीसगढ़ का प्रवेश द्वार है, वाह सुंदर और मजबूत होगा तो दुर्ग ,रायपुर ,महासमुंद ,रायगढ़, धमतरी अर्थात प्रदेश के सभी से सुरक्षित व सुंदर तथा मजबूत होंगे। हमारे मन में एकता का भाव होना चाहिए। एकता के भाव को आघात ईगो करता है। इगो जिस किसी व्यक्ति के मन में घर करता है तो उस व्यक्ति के मन में स्वार्थ घर कर जाता है।

ईगो और कुछ नहीं स्वयं के द्वारा स्वयं को दिया गया सम्मान है। इगो किसी घटना के कारण नहीं होता बल्कि घटना का निमित्त बनता है। अपमान होने पर भी अपमानित होने का महसूस करना ही सबसे बड़ा अपमान है। उन्होंने कहा कि ईगो सबसे खतरनाक तत्व है और अंतर का ईगो मिटे बिना हम सबले बढ़िया नहीं हो सकते। चार आचार्यों में से तो तीन तो छत्तीसगढ़ के ही है और चौथे वे राजस्थान के हैं किंतु वे राजस्थान से हैं और सबको अपना बनाने का माद्दा रखते हैं। मूल में तो हम एक ही हैं। हम हैं तो महावीर स्वामी के शासन के अनुयाई ही। हम आपस में मजबूत हो और छत्तीसगढ़ के द्वार राजनंदगांव को मजबूत बनाएं । मन को बढ़िया करें और सबको बढ़िया बनाएं।
इससे पूर्व आचार्य पीयूष सागर जी ने कहा कि महापुरुषों का संपर्क बहुत ही आकर्षक होता है। महापुरुषों के संपर्क में आते ही व्यक्ति के मन में स्वाध्याय व वैराग्य सुशोभित हो जाता है। उन्होंने कहा कि भक्ति और स्वाध्याय का अधिक से अधिक लाभ लें। उपस्थित श्रद्धालुओं को साध्वी ज्ञानप्रभा, साध्वी संवर बोधी एवं साध्वी शुभंकरा श्री ने भी संबोधित किया।
उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए श्री पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट समिति के मैनेजिंग ट्रस्टी मनोज बैद ने दोनों आचार्यों एव साध्वियों के राजनांदगांव में गौतम स्वामी एवं पद्मावती माता जी की मूर्ति स्थापना के अवसर पर आगमन के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि प्राण प्रतिष्ठा जयपुर के समान तो नहीं है किंतु जयपुर के लोगों के भाव से कम भी उनके भाव नहीं है। उन्होंने बताया कि इस समारोह के लिए किस तरह पूरे समाज के लोगों ने मिलकर तन मन धन से सहयोग किया और यह राजनांदगांव के सकल समाज के एकता के कारण ही संभव हो सका। प्रारंभ में स्वागत गीत वंदना पारख में प्रस्तुत किया। दीप्ति चोपड़ा ने अपने भाव प्रस्तुत किए। इस दौरान मुमुक्षु संदीप एवं प्रज्ञा का अभिनंदन भी किया गया। मंच संचालन रितेश लोढ़ा ने किया तथा आभार प्रदर्शन रुचिका चोपड़ा ने किया।

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