90 साल पुराने चाटीडीह के मंदिर में रंग रोगन व मेले की तैयारी जोरों पर

90 साल पुराने चाटीडीह के मंदिर में रंग रोगन व मेले की तैयारी जोरों पर

बिलासपुर (अमर छत्तीसगढ़) आजादी के 75 साल हुवे उससे पहले 90 वर्ष पूर्व से ही अंग्रेज शासन काल से बिलासपुर शहर में नदी के उस पार चाटीडीह स्थित शिव मंदिर की स्थापना स्वर्गीय मंगली प्रसाद सोनी ने की तभी से मेले का आयोजन प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के दिन तीन दिवसीय आयोजित होता रहा है ।दयाशंकर सोनी ने बताया कि यहां पर जो भगवान शिव जी का मंदिर है वह 90 वर्ष पुराना है और यह सिद्ध मंदिर है भगवान शिव जी का जो शिव लिंग है मूर्ति है मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन अगर कोई भक्त सच्ची भक्ति से श्रदा से पूजा अर्चना करता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।

मंदिर का निर्माण दया शंकर सोनी के दादा स्वर्गीय मंगली प्रसाद सोनी ने किया था। भगवान शिवलिंग की स्थापना की थी तब व आसपास के व्यापारियों को बुला कर लाए थे कि मेला लगेगा आइए यहां पर दुकान लगाइए और कुछ व्यापारी आए और उन्होंने कहा कि अगर नुकसान होगा तो उसकि भरपाई कौन करेगा स्वर्गीय मंगली प्रसाद सोनी ने कहा था कि आप के नुकसान की भरपाई मैं करूंगा। सात- आठ साल तक व्यापारियों को मुनाफा नहीं हुआ नुकसान हो रहा था उसकी भरपाई सोनी जी कर रहे थे पर जैसे-जैसे समय बीतता गया लोगों को पता चला भीड़ आने लगी व्यापारियों को फायदा होने लगा।

आजादी मिली मेले का स्वरूप भी बड़ा हुआ लोग दूर-दूर से मेला देखने के लिए दुकान लगाने के लिए आने लगे 6 मंदिर हैं । इसमें भगवान विष्णु जी माता लक्ष्मी जी के साथ में हनुमान जी गुरूण जी एक साथ स्थापित हैं भगवान श्री हरि की मूर्ति भी है भगवान श्री कृष्ण सुभद्रा व बलराम जी की मूर्ति भी स्थापित है ।सभी मूर्तियां प्राचीन समय की हैं उनकी कलाकृति दुर्लभ है एक आकर्षण है मूर्तिया अपनी ओर खींचा करती है अपनी संस्कृति को समेट कर सोनी परिवार के द्वारा आयोजित किया जा रहा है। मंदिरों का रखरखाव सोनी परिवार के द्वारा किया जाता है समय की गति बढ़ती गई पहले जगह बहुत थी लेकिन अब आधे से ज्यादा जगह में अवैध कब्जा हो चुका है। कुछ जगह में सरकार के द्वारा जो बड़ी-बड़ी पानी की टंकियां बनाई गई हैं।

जिससे जगह और कम होती गई लोगों को दुकान लगाने में बहुत परेशानी हो रही है जहां बड़े-बड़े झूले लगते थे । अब जगह कम होने के कारण बड़े-बड़े झुले नहीं लग पा रहे हैं ।
इस मेले में छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से लोग आते हैं इस जगह का नाम ही मेलापड़ा पड़ गया
तैयारी अंतिम चरणों में है पहले पहुंच कर कुछ व्यापारी अपनी अपनी दुकान बनाने लगे हैं।


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