निजी फायनेंस कंपनियों के खिलाफ विधायक छन्नी साहू ने खोला मोर्चा
महिला समूहों को ऋण की राशि मिली ही नहीं और निजी कंपनियां लौटाने का दबाव बना रही
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 5 मई।
खुज्जी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में महिला समूहों को ऋण देने की निजी फायनेंस कंपनियों की योजना में बड़ा घालमेल उजागर हुआ है। खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू ने मामले को सामने लाते हुए इस संबंध में मुख्यमंत्री, गृहमंत्री को पत्र लिखकर त्वरित कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीण महिलाओं ने विधायक से मिलकर इस पूरे प्रकरण की जानकारी उन्हें दी थी। ऐसे ही प्रकरण में एक आदिवासी परिवार के उजड़ जाने का मामला भी सामने आया है।
बीते कुछ दिनों में ग्रामीण महिलाओं ने खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू से मुलाकात कर उन्हें निजी फायनेंस कंपनियों द्वारा समूहों को दिए जाने वाले ऋण में हेराफेरी और प्रताडि़त किए जाने की शिकायत की थी। छुरिया विकासखंड के ग्रम लालूटोला से आईं महिलाओं ने उन्हें बताया कि डोंगरगांव ब्रांच की कई ऐसी कंपनियों ने समूह के लिए ऋण स्वीकृत किए थे। लेकिन यह राशि उन्हें मिली ही नहीं। यह सारा कुछ एक एजेंट के माध्यम से किया गया था। अब बैंक उन पर हजारों-लाखों की लेनदारी की वसूली का दबाव बना रहे है।
महिलाओं के मुताबिक वर्षों पूर्व से निजी फायनेंस कंपनी सेव माईक्रो, सूर्योदय, उत्कर्ष, अन्नपूर्णा, ग्रामीण कोटा, एल.एन.टी, सत्या, फ्यूजन, कमल फाईनेंस सहित अन्य की ब्रांच डोंगरगांव में संचालित है। इन निजी फायनेंस कंपनियों को ग्रामीण क्षेत्र में बोलचाल की भाषा में कंगाल बैंक के नाम से जाना जाता है। इन कंपनियों ने लालूटोला निवासी लालसाय गोड़ के माध्यम से गांवों में महिला समूह तैयार करवाए और उन्हें ऋण दिया। यह ऋण समूहों के खाते में तो आाया लेकिन किन्हीं तरह के बहाने से यह राशि एजेंट ने वापस ले ली और महिलाओं के हाथ में कुछ नहीं आया।
एजेंट के पास यह राशि कहां गई इसकी कोई जानकारी नहीं हैं। जानकारी के मुताबिक अब तक सामने आए महिला समूह के अनुसार यह ऋण लगभग 8 से 10 लाख का है। बीते कुछ महिनों में एजेंट पर फायनेंस कंपनियों का दबाव बढ़ने लगा तो उसने मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या कर ली। इसके बाद अब निजी कंपनियां ग्रामीण महिलाओं पर पैसे लौटाने का दबाव बना रहीं हैं।
ऋण स्वीकृत होने के बाद महिलाओं तक कभी कंपनी के कर्मचारी-अधिकारी नहीं पहुंचे। इसके चलते महिलाओं को कभी ये जानकारी नहीं हासिल हो सकी कि उनके नाम पर लाखों के ऋण का आहरण किया गया है। अचानक अब उन पर पैसे लौटने का दबाव बनाया जा रहा है जिसे चलते महिलाओं और उनके परिवार मानसिक रुप से प्रताडि़त हो रहे हैं।
आत्महत्या करने वाले एजेंट लालसाय गोड़ की पत्नी श्रीमती लीलाबाई ने भी इस विषय पर लिखित आवेदन देते हुए विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू से निजी कंपनियों से प्रताड़ना से मुक्ति दिलाने का निवेदन किया है। उन्होंने बताया कि, पति की मौत के बाद उस पर दो छोटे बच्चों के लालन-पोषण की जिम्मेदारी है और उसका भविष्य अंधकारमय है। उसने ऋण माफी की अपील की है। इधर, ग्रामीण महिलाएं भी इसे लेकर परेशान हैं।
0 मिलीभगत का संदेह
विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू ने इस मामले की गंभीरता समझते हुए तत्काल इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ऋण माफी और निजी फायनेंस कंपनियों के अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका को संदेह के दायरे में माना है। उन्होंने कहा कि – यह संभव नहीं दिखता कि बगैर मिलीभगत के वर्षों तक इस तरह की घपलेबाजी चलती रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री सहित तमाम जिम्मेदार एजेंसियों और प्रशासनिक अधिकारियोां को पत्र लिखकर इस गड़बड़ी पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।
0 जागरुकता अभियान चलाया जाएगा
विधायक श्रीमती छन्नी साहू ने कहा कि – आज के दौर में आसानी से ऋण उपलब्ध हो रहा है लेकिन इसके झांसे में आने से लोगों को बचना चाहिए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि – भोले-भाले ग्रामीणों को प्रलोभन देकर फंसाया जा रहा है। ऋण पर ब्याज और दूसरी प्रक्रियाओं की जानकारी उन्हें नहीं दी जाती है। निजी फायनेंस कंपनियों दर्जनों पेज के एग्रीमेंट में दस्तखत करवाकर, अंगूठा लगवाकर इसका फायदा उठाती हैं। इनके एजेंट अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं और नागरिक बेवजह कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। उन्हें जागरुक होने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि – हम विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव तक पहुंचकर इसके खिलाफ जन-जागरुकता अभियान चलाएंगे ताकि कोई इस कर्ज के जाल में बेवजह न फंसे। जिन्हें भी इस तरह की समस्या हो वे हमें अवगत करा सकते हैं।
0 सरकार कम ब्याजदर पर ऋण दे रही
विधायक श्रीमती छन्नी चंदू साहू ने कहा कि – छत्तीसगढ़ सरकार महिला समूहों को कम ब्याज दर पर बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवा रही है। इसकी सीमा पहले 4 लाख थी जिसे बढ़ाकर 6 लाख किया गया है। इस योजना का लाभ महिलाएं उठा सकती हैं। उन्हें निजी फायनेंस कंपनियों के चक्कर में फंसने की जरुरत नहीं है।
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