भिलाई (अमर छत्तीसगढ़) 2 जून। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय राजयोग भवन द्वारा रामनगर स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला मुक्तिधाम स्कूल में प्रारम्भ तनाव मुक्ति शिविर के चौथे दिन बिलासपुर से पधारी वरिष्ठ राजयोगशिक्षिका तथा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा स्थापित योग आयोग की प्रथम महिला सदस्यब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने सम्बन्धो मे मधुरता विषय पर बताते हुए कहा की परमात्मा मेरा पिता है, बस राजयोग द्वारा उससे बच्चे के रूप मे सम्बन्ध जोडऩा है। तब हमारे संस्कारों में परिवर्तन प्रारंभ होता है।
आपने वर्तमान में आपसी सम्बन्धो में कड़वाहट का मुख्य कारण बताया की लोग बातों में मिर्च मसाला डालने का काम करते हैं,अपने जीवन में दूसरों की बातों को सुनकर निर्णय न लें। आपसी संबंध मधुर बनाएं। एक परिवार का उदाहरण देते हुए आपने बताया कि हम लोगों के दिल नहीं टूटते हैं, भले आपसी विचारों में एकता ना हो लेकिन दिल से जुड़े हुए हैं। परचिन्तन परदर्शन से मुक्त होकर क्यों क्या कि क्यू (लाइन) को समाप्त करोड़ जिस रंग का चश्मा उसी रंग की दुनिया दिखती है, तो हमने लोगों के अवगुणों को देखने का चश्मा लगाया है जिससे हमें तनाव होता है।
हमें गुण विशेषता देखने का चश्मा धारण करना है, गुण विशेषताओं को देखने से तनाव। मुक्त रहेंगे। सभी मैं कुछ न कुछ विशेषताए अवश्य है। हमें स्वयं को बदलना है,दूसरों को नहीं। तब हमें देख दूसरों को बदलने की प्रेरणा मिलेगी। स्मृति से ही हमें शक्ति मिलती है,परमात्मा के बच्चे हैं,यह स्मृति सदा रह।छ इसी स्मृति के साथ निर्संकल्प होकर सोय। अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य एवं तनाव मुक्त जीवन के लाभदायक है।