सर्प दंश के संदर्भ में क्या कहते है डॉ खुर्शीदखान ।।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बायसी के पूर्व प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ खुर्शीद खान ने बतलाया कि, उमस और बारिश का मौसम सांप बिच्छू के विचरण के अनुकूल होता है।इसी मौसम में कई लोग अस्पतालों में सर्पदंश के शिकार मरीज आते है जो मरीज समय पर अस्पताल तक आ जाते है उनका उपचार जितनी जल्दी चालू कर दिया जाता है वे लगभग बच ही जाते है किंतु ठीक इसके विपरीत जो जाड़फूंक के चक्कर मे फंस कर लेट लतीफी कर अस्पताल पहुंचते है ।
उनकी स्थिति काफी गम्भीर होता है उनका बच पाना सम्भव नहीं हो पाता अतएव जितनी जल्दी हो सके तत्काल सर्प दंश के मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्रों में ले जाकर उपचार करवाना चाहिये , लगभग सभी केंद्रों में एन्टी स्नेक वेनॉम और अन्य सहायक दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध है पीड़ितों को इसका लाभ लेना चाहिये ताकि उनकी जान बच सके। यूँ तो विश्व मे मिलने वाले ज्यादातर सांप जहरीले नहीं है बहुत ही कम किस्मो के सर्प जहरीले है भारत मे जहरीले किस्मो में करैत,वाईपर,कोबरा आदि आते है।
इन सर्पों के काटने से कांटे हुए स्थान पर दांतों के निशान दिख सकते है,उक्त स्थान पर दर्द, लालिमा, सूजन, भी हो सकता है मितली,उल्टी घबराहट,पेटमे दर्द,मरोड़, आंखों के सामने अंधेरा,नींद नशा अकड़न, चक्कर आदि लक्षण महसूस किये जाते है और भी गम्भीर लक्षण न्यूरोटॉक्सिक व हेमोटोक्सिक श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सर्प के दंश पर दिखाई पड़ते है । कुल मिलाकर हमे जैसे ही विषैले सर्प दंश ले तत्काल नजदीक के अस्पताल जाकर चिकित्सकीय उपचार करवाना चाहिये, ,किंचित भीघबराना डर एवं भयभीत नहीं होना चाहिये, मनमस्तिष्क मे नकारात्मक् सोच नहीं लाना चाहिए पीड़ित का मनोबल बढ़ाना चाहिए झाड़ फूंक, ओझा गुनिया के चक्कर मे पड़ कर समय नष्ट नहीं करना चाहिये, मरीज को सोने नहीं देना चाहिये, सर्प दंश से बचने हमे जमीन पर न सोकर खटिया पर सोना चाहिये, आपके आवास में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था ,दरवाजा खिड़की जाली दार होनी चाहिए,घर और घर के बाहर आस पास पर्याप्त सफाई रखे,नंगे पांव न चले,फूल आस्तीन के कपड़े पहननेऔर मच्छरदानी लगाकर सोने से न केवल मच्छर से बल्कि कुछ हद तक विषैले जीव जंतु के दंश से भी बचा जा सकता है। निःशुल्क परामर्श हेतु फोन करें 8319939486