(सी. एल. जैन सोना)
रायपुर/राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस सत्तासीन होने के साथ ही अपने चुनावी घोषणा पत्र के वायदे को पूरा करने में जुटते दिखी। पार्टी के तात्कालिक प्रदेशाध्यक्ष कांग्रेस भूपेश बघेल एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता टी एस सिंहदेव के संयुक्त प्रयासों व उनके समर्थकों की टीम ने प्रदेश में सर्वाधिक बहुमत से सत्ता में पहुंचे पिछले तीन माह से जिस ढग़ से ढाई वर्ष वाले मुख्यमंत्री की चर्चाओं विवादों एवं हाईकमान के पास प्रस्तुति को लेकर खुलेआम जो दिख रहा है। परिणाम चाहे जो भी ढाई वर्ष की चर्चाओं का आये लेकिन शेष दो वर्ष में सत्ता संगठन में बैठे जिम्मेदारों के मध्य जो दूरियां दिख रही है।
कांग्रेस के सत्ता में वापसी के लिए बाधक तो नहीं होगी। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद प्रदेश में 15 से अधिक जिलों में पेसा कानून लागू होने की घोषणाओं में क्रियान्वयन में विलंब छत्तीसगढ़ सरकार के लिए गले की फास तो नहीं बनेगी। कांग्रेस की गुटीय राजनीति कहे या दो अलग अलग धूरी में जो दिख रहा है। पेसा कानून के साथ ही अभी भी कांग्रेस के चुनावी घोषणा 2018 के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण घोषणाओं का लागू एवं क्रियान्वयन शेष है। जिस पर फिलहाल कारगार पहल जरूरी लगती है। 15 वर्ष बाद सत्ता मिलने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के संस्कार, संस्कृति, भाषा, व्यंजन, तीज, त्यौहार पर विशेष निर्णय लिये, अवकाश भी घोषित किये गये।
किसानों के लिए की जा रही घोषणाओं का लाभ तो दिखता है। लेकिन किसानों की यह मानसिकता भी चर्चाओं में दिखती है कि सबकुछ एक मुश्त मिले, किस्तों में नहीं।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस तीन वर्ष पहले यहां सत्तासीन हुई। इसमें उनके चुनावी घोषणा पत्र जिसे छह माह में तैयार करने का श्रेय श्री सिंहदेव को मिला। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजनांदगांव में चुनावी घोषणा पत्र 2018 के विमोचन के पहले उपस्थित नेताओं के मध्य विशेषकर श्री सिंहदेव को कहा एवं पूछा था सभी घोषणाएं पूरी करेंगे। इस अवसर पर भूपेश बघेल सहित पार्टी के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।चुनावी घोषणाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पांचवी अनुसूची एवं आदिवासी क्षेत्रों के लिए पंचायत उपबंध (पेसा) कानून का क्रियान्वयन अब तक पूरी तरह से लागू हो जाना था। पेसा कानून नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के साथ लागू करने की घोषणा अपने कार्यकाल में भाजपा ने भी की थी। बड़ी बड़ी बातें होती रही।
कार्यशाला भी प्रमुख सचिव एवं तात्कालिक पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर की उपस्थिति में होती रही। श्री चंद्राकर ने अप्रैल 2014 में कहा था पेसा अधिनियम को पूरे प्रदेशभर में लागू करने के लिए पंचायतों को अधिक प्रभावी बनाने राज्य स्तर पर कार्यशील समिति का गठन करने के निर्देश दिये थे। पेसा कानून के द्वारा जनजाति क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को विशेष अधिकार दिये गये हैं। इसे पंचायतों में लागू कराने भाजपा तो अपने शासनकाल में लागू करने को लेकर शायद भयभीत रही होगी। छत्तीसगढ़ में सत्तासीन कांग्रेस ने पेसा कानून लागू करने सबकुछ खुला एवं स्पष्ट करेगी। लेकिन तीन वर्ष होने जा रहा है। कुछ भी नहीं दिखता। प्रदेश में सत्ता संगठन एवं पार्टी में गुटबाजी अथवा दो फाड़ की स्थिति की झलक भी दिखी ही नहीं। स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गत सप्ताह कहा कि पेसा कानून का ड्राफ्ट बनाने के लिये लगातार बैठकें हुई। जो लोग उसमें भागीदार थे आज तक ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को नहीं दिये। वो कौन लोग है बताने की जो लोग उसमें भागीदार थे आज तक ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को नहीं दिये। वो कौन लोग है बताने की जरूरत नहीं। ड्राफ्ट आयेगा तो निर्णय होगा। लोगों को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए। अब मुख्यमंत्री श्री बघेल का आशय क्या है, जबकि चुनावी घोषणा पत्र 2018 में सिंहदेव ने पेसा कानून लागू करने जोडऩे के साथ उसके क्रियान्वयन की बात कही थी।
छत्तीसगढ़ के कैबिनेट पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंहदेव को स्पष्ट करना चाहिए कि पेसा कानून कब लागू होगा। छत्तीसगढ़ में ढाई ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री को लेकर चल रहा विवाद फिलहाल थमता नहीं दिखता। लगता है सारा ठीकरा चुनावी घोषणा पत्र का श्री सिंहदेव पर ही फूटने वाला तो नहीं है। मुख्यमंत्री श्री बघेल का कहना, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से विभाग के मंत्री की ओर इशारा तो नहीं ? वैसे तो कांग्रेस चुनावी घोषणा पत्र में लगभग आधा दर्जन ऐसे लक्ष्य है जिसे पूरा करने में सरकार व उनके मंत्री जिम्मेदार विभागीय अधिकारों ने कोताही की तो, दो वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में चर्चाओं के अनुसार सत्तासीन कांग्रेस को भी भारी पड़ सकता है। क्या ढाई साल का मुख्यमंत्री मुद्दा कुछ है, फिर इस बीच पिछड़ा वर्ग बाहुल्य छत्तीसगढ़ प्रदेश में ताम्रध्वज साहू भी पिछड़ा वर्ग मुख्यमंत्री के साथ दिखने की बात चर्चाओं में तो आ जा रही है।
मुख्यमंत्री श्री बघले अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में कार्यक्रमों, योजनाओं, विकास को लेकर एक नई उपलब्धि प्रस्तुत करते दिख रहे हैं। देश के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री का तमगा भी एक मीडिया के सर्वे में उन्हें प्रदान किया गया है। पेसा कानून लागू होने से प्रदेश के लगभग 16 जिलों का बहुत बड़ा हिस्सा कही कहीं पूरा ब्लाक अथवा पूरी तहसील आ रही है। जिसमें प्रदेश के छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित क्षेत्र पेसा क्षेत्र के जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर,जिसमें प्रदेश के छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित क्षेत्र पेसा क्षेत्र के जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, कोरबा, जशपुर, सरगुजा, कोरिया का पूरा जिला आ रहा है।
वहीं राजनांदगांव जिले का मोहला, मानपुर, चौकी विकासखंड, जो कि अब नया जिला मोहला, मानपुर, चौकी नया जिला बनने जा रहा है। बिलासपुर जिले में रहे अब नया जिला गुौरेला, पेण्ड्रा, मरवाही का विकासखंड के साथ कोटा विकासखंड भी पेसा क्षेत्र में है। रायगढ़ जिले के खरसिया, लैलुंगा, धरमजयगढ़, घरघोड़ा, बालोद जिले का डौंडी विकासखंड, गरियाबंद जिले का गरियाबंद, मैनपुर एवं छूरा तथा धमतरी जिले का नगरीय एवं सिहावा विकासखंड पेसा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। जरूरत है, पेसा कानून लागू कर ग्राम सभाओं को गांव की संवैधानिक संस्था के रूप में मान्यता मिले।