काम, क्रोध, लोभ, मोह और माया का त्याग करना – उपाध्याय प्रवर

काम, क्रोध, लोभ, मोह और माया का त्याग करना – उपाध्याय प्रवर

रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 21 जुलाई। “उपाध्याय प्रवर ने कहा था कि नो इमोशन, नो डेडिकेशन। ऑनलाइन प्रोफ़ेक्शन। मैं आपको इस दावे के साथ कह सकता हूं कि आप मुझे कोई ऐसी धर्म कथा बताएं कि आप भी ईश्वर को नहीं मानते तो आप स्वर्ग जा सकते हैं। जिनशासन ही एकमात्र ऐसा धर्म है जहां आपको यह सुविधा मिलती है। केवल आपको जिन शासन का रिकॉर्ड फॉलो करना है। कर्म के बंधन से मुक्ति पानी है। काम, क्रोध, लोभ, मोह और माया का त्याग करना है। फिर देखें कि आपकी आत्मा की गति कैसी है।
अर्हम विद्या गर्भाधान शिविर में
शिष्यों को क्या संस्कार दिया जाता है
? इसी कड़ी में शनिवार से अर्हम विज्जा गर्भाधान संस्कार शिविर का आयोजन किया गया है। यह शिविर रविवार को भी आयोजित किया गया है। इसमें चित्रण किया जा रहा है कि किस तरह अपने बच्चों को संस्कार दिया जाता है। इसमें सकल जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं।

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