खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी गौरववर्ष में एक से बढ़कर एक अनूठे कार्य हो रहे सम्पन्न

खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी गौरववर्ष में एक से बढ़कर एक अनूठे कार्य हो रहे सम्पन्न

खरतरगच्छ सहस्त्राब्दी गौरववर्ष में एक से बढ़कर एक अनूठे कार्य सम्पन्न हो रहे है।

खरतरगच्छ के 1000 वर्ष के इतिहास में 171 उपवास की उग्र तपश्चर्या करने वाले तपोमूर्ति,महातपस्वी श्री विरागमुनि जी म.सा. का पारणा सम्पन्न हुआ।
खरतरगच्छ के इतिहास में प्रथम बार गुणरत्न संवत्सर तप जैसी उग्र तपश्चर्या करने वाले तपोरत्ना साध्वी सुप्रज्ञा श्रीजी म.सा. अग्रसर है।

उसी कड़ी में खरतर विरुद धारक श्री जिनेश्वर सूरिजी महाराज की अविरल कृपा से वर्षों से लंबित जिनदत्त सुरी दादावाड़ी, अजमेर के प्रकरण में कल राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा खरतरगच्छ संघ के पक्ष में निर्णय पारित कर पूरे देशभर के गुरु भक्तों में एक नई ऊर्जा का संचार किया है।

प.पू. प्रवर्तिनी विचक्षण श्रीजी म. की सुशिष्या प.पू. शासन ज्योति शतावधानी मनोहर श्रीजी म.सा. के अथक प्रयासों से जिन्होंने अजमेर दादावाड़ी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। अपने संयम जीवन के 20 से भी अधिक वर्ष अजमेर दादावाड़ी में गुरुदेव के चरणों मे समर्पित कर दिए। कई उतार चढ़ाव के बाद सहस्त्राब्दी गौरववर्ष में गुरुदेव के आशीर्वाद की अमिवर्षा हुई और गुरूवर्या श्री की अथक मेहनत रंग लाई ओर दादावाड़ी का निर्णय खरतरगच्छ संघ की झोली में आ गया।
दादा गुरुदेव के प्रति परम आस्थावान गुरुभक्त धर्मपरायणा सुश्राविका सौ. सुशीलादेवी भीमराज जी बोहरा जिन्होंने गुरूवर्या की आज्ञा को शिरोधार्य कर न सर्दी देखी न गर्मी, न धूप देखी न छांव बस दिल एक ही लग्न ये गुरुदेव स्थान खरतरगच्छ का हो और इस स्थान पर भव्य दादावाड़ी बने। गुरुदेव के लिए तन-मन-धन सबकुछ अर्पण कर राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग से दादावाड़ी का पट्टा प्राप्त करने, केस के लिए निचली अदालतों से लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय तक आपने अथक परिश्रम किया था उसकी मेहनत आज रंग लाई।

प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से दादावाड़ी जिनका भी परिश्रम रहा ट्रस्ट मण्डल, अधिवक्ता आदि उन सभी को साधुवाद।

पुनः पुनः गुरूवर्या श्रीजी व सुशीला जी बोहरा की खूब खूब अनुमोदना

अजमेर दादावाड़ी का गुरूवर्या श्री की प्रेरणा व मार्गदर्शन में जीर्णोद्धार अतिशीघ्र हो और एक विशाल, भव्य व नयनाभिराम दादावाड़ी का निर्माण हो इसलिए सभी गुरु भक्त जब तक दादावाड़ी का जीर्णोद्धार नहीं हो तब तक प्रतिदिन कम से कम एक गुरु इक्तिसा का पाठ अवश्य करे।

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