राष्ट्रीय प्रतीको का ज्ञान-सम्मान परम पुण्यात्म कर्म : प्राध्यापक डॉ. द्विवेदी

राष्ट्रीय प्रतीको का ज्ञान-सम्मान परम पुण्यात्म कर्म : प्राध्यापक डॉ. द्विवेदी


       राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 13 अगस्त। . हमारी स्वतंत्रता के 77वें दिवस के अतीव महत्वा परिप्रेक्ष्य में नगर के विचारप्रज्ञ प्राध्यापक डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने युवा-किशोर-बाल पीढ़ी को राष्ट्रीय प्रतीकों को समग्रता से जानने-समझने एवं पूर्ण-मन-प्राण से सम्मान करने की श्रेयष्कर अभिप्रेरणा का आह्वान किया।

अखिल विश्व में विशिष्ट गौरवशाली पहचान रखने वाला हमारा राष्ट्रीय ध्वज विश्वविजयी तिरंगा की हमेशा से अनुपम शान रही हैं और गौरवमान रहा है। तीन रंगों (केशरिया, श्वेत, हरा) की आड़ी पट्टियों वाला हमारा ध्वज अदुभूत त्याग, सत्य, हरितिमायुक्त वन वनस्पित्ति से धरती को आच्छादित रखने का अनुपम, अमर संदेश भी देती है।

आगे प्राध्यापक डॉ. द्विवेदी ने बताया कि पिंकली वेकैय्या द्वारा विनिर्मित 3&2 लंबाई-चौड़ाई का अनुपाती हमारे ध्वज में श्वेत पट्टी के मध्य 24 तिलियों वाले अशोक चक्र (धर्मचक्र) अंकित है जो हमारे तिरंगे की शोभा को एवं महिमा को और दुगुणित कर देता है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय आह्वान-अभियान ”हर-घर तिरंगा, घर-घर तिरंगा” में अनिवार्य सहभागिता हेतु प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्रप्रेम-बोधत्व के कर्तव्य-दायित्व की सहज निर्वहन हेतु राष्ट्रीय दिवस पर पूर्ण मानक गरिमा-गान के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा अपने-अपने आवास-परिसर में अवश्य फहरायें, यह परम पुण्यात्म कर्म-धर्म आम जन-गण, किशोर-युवा-प्रौढ़ सभी को राष्ट्रीय पर्व में अनिवार्य सहभागिता, हमारी राष्ट्रीय एकता-अखंडता को और अधिक सुदृढ़ करेगी, तथा सर्व जन-जन में राष्ट्र देश-प्रेम को भी स्थायी करेगी। यही इस गौरवशाली अभियान के आह्वान-आयोजन का सहज-सरल-सार्थक संदेश है।   फोटो सहित समाचार रूप में जारी करने हेतु सधन्यवाद प्रेषित।

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