दीपक जलता है तप तपाता है – समणी वृंद

दीपक जलता है तप तपाता है – समणी वृंद

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 23 अगस्त।

‘तप करने वाले जन मोक्ष मंजिल पर कदम बढ़ाते हैं..’ उक्त सुमधुर गीतिका का संगान रायपुर तेरापंथ अमोलक भवन में प्रवास रहित आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी, समणी डॉ. मानसप्रज्ञा जी ने दिनांक 23/08/2023 को 9 की तपस्या का प्रत्याखान लेकर पधारी तपसन श्रीमती दीपशिखा बरलोटा के तप अनुमोदनार्थ प्रस्तुत किया। दीप+शिखा – दीपक का काम जलना और शिखा मतलब शिखर। दीपशिखा ने तप में तपते हुए उच्च मनोबल के साथ मोक्षमार्ग की सिढ़ी की ओर अपने कदम चढ़ने हेतु गतिमान किए हैं। दीपशिखा ने तप के दीपक जलाये किस लिए – कर्मो के नाश के लिए, जीवन में प्रकाश-उल्लास के लिए। तपस्वी तप का स्वाद लेता है जीभ की रसना-पेट की तृष्णा पर विजय प्राप्त करता है।

परिवार की महिलाओं द्वारा अनुमोदना गीत व मुक्ता दुगड़, सरिता बरलोटा, इंदू लोढ़ा ने शुभकामना वक्तव्य दिया। तपस्वीनी का अभिनंदन तप प्रत्याखान लेकर लक्ष्मी छाजेड़ व अनिता नाहर ने किया। समणी वृंद के सान्निध्य में एक और तपस्वीनी राखी गादिया अपनी 13 की तपस्या पूर्ण कर पधारी। उनका भी तप अभिनंदन-अनुमोदन किया गया।

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