तपस्या आंतरिक खुबसूरती है – डॉ. ज्योतिप्रज्ञा

तपस्या आंतरिक खुबसूरती है – डॉ. ज्योतिप्रज्ञा

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 28 अगस्त। सदर बाजार स्थित तेरापंथ अमोलक भवन में गतिमान प्रवास अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी, समणी डॉ. मानसप्रज्ञा जी के सान्निध्य में तपस्याओं का अभिनंदन क्रम प्रतिदिन गतिमान हो रहा है। इसी क्रम में आज दिनांक 28/08/2023 को तीन तपस्वी श्री धैर्य गोलछा – 24 ( मासखमण के भाव के साथ ), सुश्री रक्षिता लूकंड – 8 व सुश्री मुक्ता गधैया – 8 की तपस्या के प्रत्याखान लेकर पधारे। समणी वृंद ने तपस्या अनुमोदनार्थ सुमधुर गीतिका ‘तप का गौरव गाये हम …’ प्रस्तुति के माध्यम से शुभकामनाएं दी।

समणी वृंद ने उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा जैसे हम अपने बाहरी सौंदर्य को निखारने के लिए ब्यूटी पार्लर जाते हैं उसी प्रकार तपस्या हमारे भीतरी सौंदर्य को निखारने वाली ब्यूटी पार्लर हैं। तपस्वीयों का अभिनंदन तप प्रत्याखान लेकर कमल गिडिया व हंसराज बैंगानी ने किया। समणी वृंद के प्रवास काल में हुई सभी तपस्याओं निमित्त श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा सभी तपस्वीयों का अभिनंदन किया गया। विशेष रूप से सहयोग हेतु श्री रोशन जैन का अभिनंदन किया गया। आयोजन में कन्या मंडल ने गीतिका व मानसी नाहटा, मधु लूकंड, सौम्या लूकंड ने भाव अभिव्यक्ति द्वारा तपस्वीयों को शुभकामनाएं दी।

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