बहन के बिना भाई की कलाई ही नहीं भाग्य भी सूना होता है : प्रवीण ऋषि

बहन के बिना भाई की कलाई ही नहीं भाग्य भी सूना होता है : प्रवीण ऋषि


रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 28 । शैलेन्द्र नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन में आयोजित महावीर गाथा के 50वें दिन उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि रक्षाबंधन के त्यौहार आ रहा है। बहन के तिलक करने और राखी बाँधने में बड़ा सामर्थ्य है। भाई की रक्षा करने का सामर्थ्य अगर किस में है तो वह बहन की राखी में है। राखी को रक्षा सूत्र कहते है। और अगर कोई बहन भावपूर्वक अपने भाई को राखी बांध दे, तो जिंदगी में भाई के कदम कभी फिसलेंगे नहीं। यह बहन का सामर्थ्य है। अगर तिलक करने का हक़ किसी को है तो वह बहन को है। बहन के बिना भाई की कलाई ही नहीं भाग्य भी सूना होता है। बहन विधि से तिलक करे और सूत्र बंध दे तो भाई का जीवन मंगल है।

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि 30 अगस्त को रक्षा बंधन है, और 29 अगस्त को लालगंगा पटवा भवन में इसकी तैयारी शुरू होगी। रक्षाबंधन के लिए श्रमण संघ महिला मंडल ने खास तैयारी की है। रक्षाबंधन के दिन धर्मसभा स्थल में थाली, नैवेद्य, कुमकुम, रक्षासूत्र की पूरी व्यवस्था रहेगी। महिला मंडल ने इस बार की राखी में ख़ास आयोजन किया है। इस दौरान बेस्ट थाली, बेस्ट राखी, बेस्ट बेस्ट मेहंदी और बेस्ट ड्रेस को पुरस्कृत किया जाएगा। इस कार्यक्रम में सभी आमंत्रित हैं।

महावीर गाथा को आगे बढ़ाते हुए प्रवीण ऋषि ने कहा कि अपने पिता की हरकतों से क्षुब्ध त्रिपुष्ठ और अचल जंगल में घूम रहे हैं। वहां चंडमेघ की पिटाई की खबर अश्वग्रीव तक पहुँच गई। उसने प्रजापति के पास सन्देश भेजा कि तुम्हारे पुत्रों ने एक राजदूत को पीटा है, नियमों का उल्लंघन किया है। उन्हें दंड मिलना चाहिए, उन्हें तुरंत मेरे पास भेजो। प्रजापति ने अपना माथा ठोका, दोनों पर क्रोध किया, लेकिन और कर भी क्या सकता था। उसने दूत से सन्देश भिजवाया कि दोनों बालक कहीं भाग गए है, उन्हें ढूंढने का प्रयास जारी है। वहीं दोनों भाई चलते चलते एक आश्रम पहुंचे। वहां के योगी ने त्रिपुष्ठ को देखा, बेहद प्रसन्न हुआ। दौड़कर उनके पास पहुंचा और उन्हें लेकर अंदर आया। त्रिपुष्ठ को देखकर मुनि के चेहरे में एक मुस्कान आ गई, और उसने कहा मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था। अश्वग्रीव को कोई हरा सकता है तो वह तू है। योगी ने दोनों भाइयों को अपनी व्यथा सुनाई, बताया कि अश्वग्रीव ने उसकी पत्नी का हरण कर लिया था, वह कमजोर था, इसलिए यहां आ गया। त्रिपुष्ठ ने कहा कि अश्वग्रीव के पास सत्ता-सेना है, मेरे पिता भी उसके साथ हैं, मैं अकेला क्या कर लूँगा। सभी राजा उसके सामने खड़े होने से डरते हैं, क्योंकि उसके पास चक्र है। योगी ने मुस्कुराते हुए कहा- तैयार हो जा, मैं तुझे उस चक्र को हासिल करने की विधि सीखाने वाला हूँ। तेरा जन्म इसी लिए हुआ है, मैं तुझे यह विद्या सिखाने वाला हूँ।

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