जन्म से किडनी फेल नवजात कीजान बचाई डॉक्टर सौरभ महोबे ने

जन्म से किडनी फेल नवजात कीजान बचाई डॉक्टर सौरभ महोबे ने



शहर के पुराने नर्सिंग होम से रेफर कर लाया गया था मामला….
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 28 अगस्त । शहर के डॉक्टर कुमुद महोबे मेमोरियल हॉस्पिटल बलदेव बाग में एक बार फिर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ महोबे ने जन्म से दोनों किडनी फेल बच्चे को जीवन दान देकर परिवार में खुशियां लौटाई हैं । डॉ . कुमुद महोबे मेमोरियल हॉस्पिटल में उक्त क्रिटिकल मामला शहर के ही एक पुराने नर्सिंग होम से रेफर कर भेजा गया था । डेढ़ माह के अथक प्रयास के बाद अंततः डॉक्टर ने बच्चे की जान बचाकर परिवार वालों को बड़ी राहत प्रदान की है । 27 अगस्त को अस्पताल से घर जाते समय परिजनों ने डॉक्टर महोबे का हृदय से आभार माना ।
राजनांदगांव जिला मुख्यालय के बलदेव बाग में डॉ.कुमुद महोबे मेमोरियल हॉस्पिटल ने एक बार फिर चमत्कारिक इलाज कर महज सात माह में पैदा हुए में 900 ग्राम के बच्चे का जीवन बचाने में सफलता प्राप्त की है । अस्पताल के संचालक एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौरभ महोबे ने हमें बताया कि 6 जून को नगर के ही एक प्राइवेट नर्सिंग होम से गर्भवती महिला को गंभीर अवस्था में रेफर कर यहां भेजा गया था । जब प्रसूता , महोबे अस्पताल पहुंची तब उसका ब्लड प्रेशर हाई था । सोनोग्राफी रिपोर्ट के बाद पता चला कि बच्चा महज सात माह का है और प्रसूता उसे जन्म देने के अंतिम पड़ाव पर है । अंततः सारी जांच के बाद डॉक्टर सौरभ महोबे एवं डॉ .सुरभि महोबे द्वारा आपातकालीन ऑपरेशन कर बच्चे का जन्म कराया गया । मां की हालत ठीक ना होने से जन्म के समय बच्चा नहीं रो पाया था । उसे मां के गर्भनाल से खून भी नहीं मिल पा रहा था । गर्भ में गंदा पानी पी लेने से उसे इंफेक्शन भी हो चुका था ।
डॉ महोबे ने जब जन्म के उपरांत संपूर्ण जांच की तब पता चला कि नवजात बच्चे की दोनो किडनियां काम नहीं कर रही हैं । बच्चे के फेफड़े का भी विकास नहीं हो पाया था न ही वह अपने बीपी को मेंटेन कर पा रहा था । डॉ. महोबे ने बताया कि बच्चों को सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। कार्डियक फैलियर था । बोन मेरो सप्रेशन भी था । इतनी समस्याओं के बीच डॉ. महोबे ने परिजनों को सारी स्थितियों से अवगत कराया और फिर उनकी स्वीकृति मिलने पर बच्चे को लगातार डेढ़ माह तक वेंटिलेटर पर रखा गया । सतत निगरानी और लगातार समय पर दवाइयां देते रहने से बच्चे को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ । 27 अगस्त को संपूर्ण जांच के उपरांत जब डॉक्टर को भरोसा हो गया कि अब बच्चा किसी प्रकार से खतरे में नहीं है , तब उसे घर ले जाने की अनुमति दी गई ।
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बच्चे के ऑर्गन काम नहीं कर रहे थे .. मां
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विपरीत परिस्थितियों में बच्चे को जन्म देने वाली उसकी मां सीमा आंचला ने हमसे चर्चा करते हुए बताया कि जन्म के समय वास्तव में बच्चे के शरीर के अंग काम नहीं कर रहे थे । डॉक्टर सौरभ महोबे ने उचित सलाह देकर डेढ़ माह तक वेंटिलेटर में रखकर उसे नवजीवन प्रदान किया है । बच्चे की मां सहित परिजन डॉक्टर के कौशल को तहे दिल से सराहते हुए धन्यवाद देने से पीछे नहीं रहे हैं ।
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