बाहर से आप कितने में समर्थ हों, अंदर से समर्थ होना जरुरी है : प्रवीण ऋषि

बाहर से आप कितने में समर्थ हों, अंदर से समर्थ होना जरुरी है : प्रवीण ऋषि


नवकार भवन से निकली आत्महत्या रोधी रैली पहुंची लालगंगा पटवा भवन

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 10 सितंबर। टैगोर नगर स्थित लालगंगा पटवा भवन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि आप भले ही बाहर से कितने भी समर्थ हो, अंदर से समर्थ होना आवश्यक है। आप के अंदर समस्या का समाधान ढूंढने और उसे ख़त्म करने की शक्ति होनी चाहिए। इसके लिए पहले आपको अपने अंदर श्रद्धा का भाव जगाएं। अपने आप को अहसास दिलाएं कि आप अकेले नहीं हैं, आपके साथ कोई खड़ा है। आपके साथ आपका परिवार है, प्रभु महावीर हैं, फिर आपको अपनी समस्या से छुटकारा पाने का रास्ता मिल जाएगा। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।

रविवार को प्रवीण ऋषि ने कहा कि दुनिया में सबसे बड़ी समस्या है तनाव। तनाव के कई कारण है। और आज के समय में तनाव के चलते आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर साल कम से कम 7 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। इनमे से 33 प्रतिशत लोग पारिवारिक कारणों से अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। आत्महत्या का मुख्य कारण है परिवार, आर्थिक स्थिति और प्यार। अपना जीवन समाप्त कर व्यक्ति तो मुक्त हो जाता है, लेकिन इसका असर परिवार और समाज पर पड़ता है।

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि साधुमार्गी शांत क्रांति जैन संघ के आचार्य विजयराज महाराज ने एक मुहिम चलाई है। 10 सितंबर को देशभर में आत्महत्या विरोधी रैली का आयोजन किया जाता है। आचार्य विजयराज ने एक सन्देश दिया है कि आत्महत्या एक सामाजिक अभिशाप है, यह जीवन अनमोल है, इसे दूसरों के लिए जीएं का सन्देश लेकर आज आनंद चातुर्मास समिति के अध्यक्ष संतोष गोलछा के नेतृत्व में यह रैली नवकार भवन सिविल लाइन से लालगंगा पटवा भवन पहुंची।

सकल जैन समाज को संबोधित करते हुए प्रवीण ऋषि ने कहा कि अवसादग्रस्त व्यक्ति को मनोबल प्रदान करना चाहिए। उसे यह अहसास दिलाना चाहिए कि इस दुनिया में वह अकेला नहीं है। समस्या कोई भी हो, उसका समाधान ढूंढने से मिल ही जाता है। सुख सकारात्मक सोच से मिलता है। उसे यह अहसास दिलाना चाहिए कि उसके अंदर समाधान है, उसे जागरूक करना है। बाहर का समर्थ जरुरी है लेकिन अंदर का समर्थ भी उतना ही जरुरी है। जैन समाज को एक वरदान मिला है, नवकार मन्त्र का। यह मन्त्र पंच परमेश्वर की शक्ति है। यह मन्त्र संस्कार देता है। परिवार में आस्था का दिया जलाता है। हताश व्यक्ति को यह अहसास दिलाता है कि उसे सब दगा दे सकते है, लेकिन मेरे परमेश्वर, मेरे आराध्य नहीं।

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