स्वाध्याय दिवस पर्युषण महापर्व दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस……वैशाली नगर में उपासक जयंतीलाल ने स्वाध्याय के पाँच प्रकारों- वाचना, प्रतिपृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा, धर्मकथा का विस्तार से वर्णन किया….सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक तप के बारे मे उपासिका बहने स्मिता और लीना बेन ने बताया

स्वाध्याय दिवस पर्युषण महापर्व दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस……वैशाली नगर में उपासक जयंतीलाल ने स्वाध्याय के पाँच प्रकारों- वाचना, प्रतिपृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा, धर्मकथा का विस्तार से वर्णन किया….सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक तप के बारे मे उपासिका बहने स्मिता और लीना बेन ने बताया

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ़) 13 सितंबर। श्री दशा श्रीमाली स्थानकवासी जैन संघ टिकरापारा में पर्युषण महापर्व का आज दूसरा दिन चल रहा है । समाज में जैन धर्म के सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक तप को बताने के लिए स्मिताबेन सुरेंद्रनगर से और लीना बेन नवसारी से बिलासपुर पधारे हैं।
आज बहनों ने अपने व्याख्यान में कहा कि हम सबसे पहले जैन हैं हमारे परमात्मा महावीर स्वामी है जिन्होंने हमें दया, करुणा और तप को ग्रहण करने के लिए कहा है और मोह ,माया ,द्वेष ,क्रोध, लोभ इनका त्याग करने को कहा है। महावीर प्रभु ने कहा की धर्म की एक ज्योत अपने आत्मा में जरूर होनी चाहिए और यह जोत रूपी चिंगारी आत्मा से परमात्मा एक दिन अवश्य बनाएगी। किंतु मनुष्य अपने आत्मा में धर्म की ज्वाला जल रहा है जो की एक दिन सब कुछ नष्ट कर देगी क्योंकि ज्वाला भयंकर अग्नि का प्रतीक है और ज्योत शांति रूप का प्रतीक है। मनुष्य को अपनी इंद्रियों पर काबू पाना जरूरी है एवं अपनी इच्छाओं को ज्वाला में भस्म कर देना चाहिए तभी उनका मन शांत रूप में रहेगा और मनुष्य जितना धर्म के साथ शांति रखेगा उतना परमात्मा के करीब रहेगा। और मनुष्य एक दिन मोक्ष प्राप्त अवश्य करेगा।

आज के प्रवचन में भगवान दास भाई सुतारिया, दीपक सुतारिया, हितेश सुतारिया, गोपाल वेलाणी,नरेंद्र तेजाणी, राजू तेजाणी, अमिता सुतारिया, भावना गांधी, तरुणा देसाई,लता देसाई,खुशबू देसाई शोभना वेलाणी, दीपिका गांधी, कल्प तेजाणी, वंदना दोषी, भावना सेठ सहित समाज के सदस्य मौजूद थे।

जैन श्वेतांबर तेरापंथी समाज
जैन श्वेतांबर तेरापंथी समाज का पर्युषण पर्व वैशाली नगर निवासी हुल्लास चंद गोलछा के निवास में संपन्न हो रहा है। जहां पर पर्व के दूसरे दिन नवकारमंत्र के जाप और प्रेक्षा-ध्यान के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उपासक जयंतीलाल ने स्वाध्याय दिवस पर अपनी प्रस्तुति दी। स्वाध्याय के पाँच प्रकारों- वाचना, प्रतिपृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा, धर्मकथा का विस्तार से वर्णन किया। हमारे आचार्य सतत स्वाध्याय की प्रेरणा देते रहते हैं। पुस्तक पास में लेकिन आचरण में न हो तो कोई लाभ नहीं। उपासक दिनेश कोठारी ने रोहिणेय चोर की कथा के माध्यम से यह बताया कि बिना इच्छा के भी भगवान् महावीर की वाणी सुनने से रोहिणेय बच गया तो भगवान् की वाणी पूरे मन से सुनकर जीवन में उतारने पर तो बहुत लाभ की सम्भावना है। संतों की पर्यूपासना करने से हमें क्या लाभ होता है इसके बारे में बताया । अंत में ‘धम्मो मंगल मुक्किट्ठं, अहिंसा संजमो तवो। देवा वि तं नमंसंति जस्स धम्मे सयामणो। इस श्लोक का संक्षेप में अर्थ बताया ।


इस अवसर पर भीखम दुग्गड़, रमेश नाहर, चंद्र प्रकाश बोथरा,अंजू गोलछा, शीला छल्लानी, नीतू जैन, कमला दुग्गड़, अमित बोथरा, इंदर चंद बैद, मनोज धारीवाल, पुनीत दुग्गड़, ललिका जैन, संगीता जैन, कांवरी जैन, कन्हैयालाल बोथरा, मेहुल छल्लानी, कुसुम लूनिया, अर्चना नाहर, सोनम नाहर, बिनोद लूनिया, भारती भंसाली, सारिका नाहर, भावना जैन, निकिता गोलछा सहित समाज के लोग उपस्थित थे

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