लालगंगा पटवा भवन में शुरू हुई नौपद की आराधना

लालगंगा पटवा भवन में शुरू हुई नौपद की आराधना

रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 20 अक्टूबर। उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि जीवन में 3 बातों का हमेशा ध्यान रखना भाग्य, पुरुषार्थ और रिश्ता। केवल स्वयं का भाग्य और पुरुषार्थ ही काम नहीं करते। जब भाग्य, पुरुषार्थ और रिश्ते का संगम होता है तब जीवन तीर्थ बनता है। अगर भाग्य और पुरुषार्थ है लेकिन प्रेम-मैत्री के संबंध नहीं हैं, तो भाग्य और पुरुषार्थ पर प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि पांडवों के भाग्य में कमी नहीं थी, पुरुषार्थ में कोई कमी नहीं थी। जैसा रिश्ता उनका श्रीकृष्ण के साथ था, वैसा दुर्योधन के साथ नहीं था। अगर वैसा रिश्ता हो जाता तो महाभारत का युद्ध नहीं होता। रिश्ते महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अपने जीवन में। जीवन को समझना है तो रिश्ते के सूत्र को गहराई से समझना जरुरी है। क्योंकि रिश्ते बड़ी गहराई से काम करते हैं। हमारे भाग्य और पुरुषार्थ को सार्थक करना और व्यर्थ करना रिश्ते के हाथ में है। कर्म, आत्मा को समझना आसान है, लेकिन रिश्तों को समझना बहुत मुश्किल है। ऐसा हो सकता है कि जिस बात से कोई खुश होता है, तो उसी बात से कोई नाराज भी हो सकता है। अगर रिश्ते संभल जाएंगे तो भाग्य और कर्म भी संभल जाएंगे।

शुक्रवार को लालगंगा पटवा भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर ने कहा कि कर्म और धर्म एकल उद्यम हैं। इसमें आपको जो करना है, अकेले करना है। लेकिन रिश्ते संयुक्त उद्यम हैं। कई लोग रिश्तों से परेशान रहते हैं, लेकिन यह नहीं समझते कि जब तक दोनों नहीं सुधरेंगे परेशानी नहीं जायेगी। अगर रिश्ते संभाल गए तो भाग्य और कर्म संभल गए। लोग प्रायः कहते हैं कि व्यक्ति को सुधार दो, परिवार सुधर जाएगा, लेकिन सच यह है कि अगर परिवार को सुधारोगे तो व्यक्ति कभी बिगड़ेगा नहीं। सुधरे परिवार में बिगड़ा व्यक्ति भी सुधर जाता है, और बिगड़े परिवार में सुधरा व्यक्ति भी बिगड़ जाता है। इतिहास में कई आंदोलन चले व्यक्ति और समाज को सुधारने के। लेकिन परिवार को सुधारने के लिए कोई आंदोलन नहीं हुआ। व्यक्ति और समाज का आधार है परिवार। व्यक्ति के जीवन में जो आता है, वह परिवार से आता है। समाज में जो जाता है, वह परिवार से जाता है। परिवार साथ है तो जीत तुम्हारे साथ है। रिश्तों को जीना श्रीपाल से सीखो।

श्रीपाल-मैनासुन्दरी की कथा को आगे बढ़ाते हुए प्रवीण ऋषि ने कहा कि श्रीपाल ने अपने चाचा को परिजित किया, लेकिन जब उन्हें बेड़ियों से जकड़ा देखा तो दौड़कर उनके पास पहुंचा और उन्हें बंधन से मुक्त कर उनके चरण छुए। और वीरदमन के मन में वैराग जागता है और वह दीक्षा ले लेता है। अगर श्रीपाल अपने चाचा को चाचा के रूप में स्वीकार न करते हुए बंदी बनाये रखता तो क्या दीक्षा लेने की संभावना थी? श्रीपाल गहराई से रिश्ते को निभाता है। और वीरदमन की दीक्षा के बाद अपने परिवार के साथ उनके गीत गाता है। वीरदमन के पुत्र गजगमन को बुलाता है और उसे ससम्मान चम्पापुर का युवराज बनता है। श्रीपाल धवल सेठ के तीनों दोस्तों को भी नहीं भूला है, जो धवल सेठ को सही सलाह देने का प्रयास करते थे। वह तीनो को अपना मंत्री नियुक्त करता है। अपने मित्र मतिसागर को भी मंत्री बनता है। श्रीपाल धवल सेठ को भी नहीं भूला है, वह उसके पुत्र विमल को बुलाता है और उसे नगर सेठ की पदवी देता है। श्रीपाल ने नवकार महामंत्र की शक्ति से अपना संकल्प पूरा किया। पंचपरमेष्ठी के साथ रिश्ता है तो तुम्हारा स्वबल तुम्हे सबल बनाएगा।

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि शुक्रवार से लालगंगा पटवा भवन में नौपद की आराधना प्रारंभ हो गई है। शनिवार को श्रीपाल मैनासुन्दरी की कथा चलेगी, और रविवार को इस कथा से जुड़े श्रावकों के प्रश्न, जिज्ञासाओं को उपाध्याय प्रवर शांत करेंगे। धर्म सभा में आज जीतो अपेक्स (जैन इंटरनेशनल ट्रेड आर्गेनाइजेशन) के अध्यक्ष अभय श्रीश्रीमाल का रायपुर श्रमण संघ और आनंद चातुर्मास समिति ने बहुमान किया। ललित पटवा ने बताया कि भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक महोत्सव का शंखनाद हो चुका है। पहले आनंद जन्मोत्सव मनाया, उसके बाद नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान का आयोजन किया। ये दोनों कार्यक्रम अद्भुत रहे और जिन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लिया, वे इनकी तारीफ़ करते नहीं थके। जिन्होंने इस कार्यक्रम में भाग नहीं लिया था, उन्होंने ने भी इनकी तारीफ़ की। इन कार्यक्रमों से भी अद्भुत कार्यक्रम ‘उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना’ रायपुर की धन्य धरा पर होने वाला है। उन्होंने कहा कि जिस भक्ति भाव से लोग आगे आ रहे हैं, यह कार्यक्रम भी अद्भुत और ऐतिहासिक रहेगा। 23 अक्टूबर को उपाध्याय प्रवर श्रुतदेव आराधना के बारे में विस्तार से बताएंगे। ललित पटवा ने समस्त लाभार्थी परिवारों को अपने परिजनों संग उपस्थित होने का आग्रह किया है। इसके बाद 24 अक्टूबर से 13 नवंबर तक उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना होगी जिसमे भगवान महावीर के अंतिम वचनों का पाठ होगा। यह आराधना प्रातः 7.30 से 9.30 बजे तक चलेगी। उन्होंने सकल जैन समाज को इस आराधना में शामिल होने का आग्रह किया है।

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