रायपुर(अमर छत्तीसगढ़) 27 दिसम्बर ।. मेहतर राम साहू सृजन संस्थान एवं साहित्य सन्देश बागबाहरा जिला- महासमुंद के संयुक्त तत्वाधान में इस वर्ष मेहतर राम साहू गुरूजी की स्मृति में “सुरता” का आयोजन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित प्रेस क्लब सभागृह मोतीबाग में किया गया.
समारोह के सूत्रधार डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि इस आयोजन का यह निरंतर 14 वाँ वर्ष था जिसमें प्रतिवर्षानुसार साहित्य एवं संगीत के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान प्रदान करने वाले व्यक्तित्व को सम्मानित किया जाता है साथ ही मेहतर राम साहू द्वारा रचित गीतों की संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ साथ प्रदेश के नवोदित एवं वरिष्ठ कवियों द्वारा काव्य पाठ किया जाता है.
सुरता सम्मान एवं कवी सम्मलेन के प्रथम सत्र का शुभारम्भ छत्तीसगढ़ के मूर्धन्य साहित्यकार व भाषाविद डॉ. बिहारीलाल साहू की अध्यक्षता, भाषाविद- शोधकर्ता डॉ. चितरंजन कर के मुख्य आतिथ्य तथा पद्मश्री अनूप रंजन पाण्डेय, वरिष्ठ साहित्यकार व भाषाविद रामेश्वर शर्मा, एवं देवधर महंत भाषाविद साहित्यकार के विशिष्ट आतिथ्य में माँ सरस्वती तथा छत्तीसगढ़ महतारी के छाया चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. इस सत्र में मेहतर राम साहू द्वारा स्थापित तुलसीदल लोक कला मंच के संस्थापक कलाकार/गायक सुरेन्द्र मानिकपुरी द्वारा सरस्वती वन्दना व राजगीत का संगीतमय गायन किया गया तथा गुरूजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया जिसमें उनके द्वारा स्थापित तुलसीदल से लेकर वर्तमान में उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले लोक गीत, संगीत पर आधारित कार्यशाला एवं प्रदेश स्तरीय लोक कलाकार मड़ई आदि की विशेष जानकारी दी गई.
उपस्थित जन समूह एवं साहित्यकारों को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि देवधर महंत ने छत्तीसगढ़ी में उन तक पहुंची 9 कृतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरूजी का खंड काव्य रत्ना बपरी वर्तमान में छत्तीसगढ़ी भाषा शोधार्थियों के लिए एक अतुलनीय संग्रह है. बस्तर बैंड के संस्थापक पद्मश्री अनूप रंजन पाण्डेय ने सुरता आयोजन की सार्थकता पर विशेष ध्यानाकर्षण करते हुए कहा कि गुरूजी की कृतियों में ग्रामीण परिवेश की जो विवशता और सरलता झलकती है वह बहुत ही बिरले साहित्यकारों की कृतियों में देखने को मिलता है. इसी कड़ी में भाषाविद रामेश्वर शर्मा ने मेहतर राम साहू जी की विविध विधाओं पर मजबूत पकड़ का उल्लेख करते हुए कहा कि जितनी विधाओं में गुरूजी ने लिखा है, उन विधाओं में से कुछ के तो नाम ही अब सुनने में नहीं आते. गम्मत, कवितायों, गीत, एकांकी, व्यंग्य, जनउला, बिस्कुटक, डंडा गीत आदि विधाओं के साथ साथ पारंपरिक रचनाओं में सुआ, करमा, ददरिया, जसगीत, बिहाव गीत एवं ऋतु एवं संस्कार गीतों की रचना भी उन्होंने की. मुख्य अतिथि के रूप में रायगढ़ से उपस्थित डॉ. बिहारी लाल साहू ने गुरूजी की रचनाओं को तत्कालीन साहित्य जगत में उचित स्थान न मिल पाने पर चिंता व्यक्क्त करते हुए खा जी जिस युग में लिखने – पढ़ने के संसाधनों का अभाव हो, उस कालखंड में मेहतर राम साहू की पत्रिका निकलती है और उसे साहित्य जगत में उचित स्थान नहीं मिलता, यह बहुत बड़ी विडम्बना है. अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में भाषाविद डॉ. चितरंजन कर ने विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में गुरूजी की रचनाओं को शामिल किये जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा की जो विविधता और भाषाशैली गुरूजी की रचनाओं में झलकती है वह आने वाकी पीढ़ियों के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगी. जिस तरह से गुरूजी की रचनाओं में अलंकारों और व्याकरण का प्रयोग हुआ है वह पुस्तकालयों में संग्रहणीय और प्रेरणादायी है. साथ ही कहा की जो भाषा को परिष्कृत, अपमार्जित करने के कार्य में लगे हैं उन्हें गुरूजी की प्रकाशित पुस्तकों से बहुत सार्थक जानकारी प्राप्त हो सकती है.
उद्बोधन पश्चात् मेहतर राम साहू का व्यंग्य संग्रह “कऊँवा ले गे कान ल” का विमोचन उपस्थित अतिथियों के कर कमलों से हुआ जिसे मेहतर राम साहू की रचनाओं से प्रेरित होकर शिक्षा-दूत प्रकाशन द्वारा निःशुल्क प्रकाशित किया गया है. साथ ही वीरेंद्र सरल की पुस्तक ‘ठग अउ जग” व्यंग्य संग्रह तथा सुविख्यात युवा कवी ईश्वर साहू “बंधी” द्वारा तैयार किया गया छत्तीसगढ़ी कैलेण्डर का भी विमोचन इस समारोह में अतिथियों द्वारा किया गया.
प्रथम सत्र के अंतिम कड़ी के रूप में प्रदेश के विभिन्न साहित्यकारों को अतिथियों द्वारा अक्षत तिलक लगाकर एवं स्मृति चिन्ह, गमछा प्रदान कर सम्मानित किया गया जिसमें शिव निश्चिन्त रायपुर को गीतों एवं ग़ज़लों के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु मेहतर राम साहू सम्मान, वीरेंद्र सरल मगरलोड को व्यंग्य लेखन हेतु डॉ. नारायण लाल परमार सम्मान, चंद्रहास साहू धमतरी को कहानियों के क्षेत्र में योगदान हेतु डॉ. प्रभंजन शास्त्री सम्मान, इश्वर आरूग साजा को आरूग-पत्रिका हेतु हरिकृष्ण श्रीवास्तव सम्मान, पूरन जायसवाल पलारी को ग़ज़ल रचनाओं पर पन्ना लाल कोरी सम्मान प्रदान किया गया. साथ ही संस्थगत सम्मान में मेहतर राम्सहू सृजन संस्थान की ओर से साकेत साहित्य परिषद्, सुरगी राजनांदगाँव को साहित्यिक गतिविधियों में उल्लेखनीय योगदान हेतु सम्मानित किया गया.
वहीँ सुरता समारोह के द्वितीय सत्र में दुर्ग से पधारे छंद के छ परिवार से संस्थापक अरुण निगम, प्रदेश के प्रख्यात सर्जन डॉ. धीरेन्द्र साव, सुप्रसिद्ध उद्घोषक सुरेश देशमुख, जानेमाने समाज सेवी जितेन्द्र सिघरौल ने आयोजन की सार्थकता तथा प्रासंगिगता पर अपने विचार रखे और मेहतर राम साहू के पुत्र धनराज साहू के द्वारा निरंतर 14 वर्षों के इस आयोजन पर अडिग रहने एवं प्रतिवर्ष आयोजित करते रहने पर शुभकामनाएं दी.
छत्तीसगढ़ के प्रख्यात पार्श्व एवं मंचीय गायक विवेक शर्मा एवं अनुराग शर्मा ने अपने गीतों से समरोह को नयी ताजगी दी. द्वितीय सत्र की अंतिम कड़ी में वरिष्ठ लोकगायक, तुलसीदल लोक कला मच के पार्श्व गायक, आकाशवाणी कलाकार सुरेन्द्र मानिकपुरी ने मेहतर राम साहू के चुनिंदा गीतों को मंच पर सजाया जिसमें तबले पर किशन देवदास तथा हारमोनियम पर बी.आर. साहू ने साथ दिया. गीतों गजलों की महफ़िल के मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचल से आये कवियों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया.
सुरता सम्मान एवं कवि सम्मलेन के आयोजन समिति में भोजराज साहू, अजीत परमार, युवा गीतकार मिनेश साहू, लक्ष्मी नारायण सोनी, पंकज उपाध्याय, राजेश साहू, आदि ने अपना सहयोग दिया.
निरंतर 14 वर्षों के आयोजन की इस यात्रा में समारोह की गतिविधियों को संचालित करने में सदैव की भांति डॉ. विकास अग्रवाल, हबीब खान समर, राम शरण साहू, अनुराग द्विवेदी, चंद्रकांत सेन, डीगन लाल साहू, सुनील कोरी, जसवंत भारती आदि ने अपनी सहभागिता निभाई.