सरल, मधुर, मिलनसार, लोकप्रिय एवं विराट व्यक्तित्व के धनी हेमराज़ बरड़िया का स्वर्गवास…  60 वर्ष तक चिकित्सक के रूप में अपनी सेवायें समाज को प्रदान की

सरल, मधुर, मिलनसार, लोकप्रिय एवं विराट व्यक्तित्व के धनी हेमराज़ बरड़िया का स्वर्गवास… 60 वर्ष तक चिकित्सक के रूप में अपनी सेवायें समाज को प्रदान की

रायपुर/राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ़) 16 जनवरी ।

प्रातःस्मरणीय,सरल, मधुर, मिलनसार, लोकप्रिय, जादुई एवं विराट व्यक्तित्व के धनी एवं सीए किशोर एवं मनीष बरड़िया के पिता हेमराज़ बरड़िया अब हमारे बीच नहीं रहे। स्वर्गीय श्री बरडिया का जन्म 17 अगस्त 1944,विक्रम सवत् 2001 सावन सुदी दशम,रविवार को राजनांदगाँव के बरडिया परिवार के घर आंगन में हुआ ।

आप उदारमना श्रावक लुनकरण एवं सुश्राविका श्रीमती खेतीबाई बरडिया के तृतीय पुत्र थे,आपका जन्म पुष्प नक्षत्र में हुआ। इसलिए आपका नाम पुखराज रखा गया। आप जन्म से ही होनहार एवं यशस्वी थे,5 भाई के परिवार में आपके 2 बड़े भाई स्वर्गीय श्री माँगीलाल व स्वर्गीय श्री मेघराज बरडिया थे तथा 3 छोटे भाई स्वर्गीय भागचंद, बंशीलाल एवम् प्रेमचंद है।

आप अपने सभी भाइयों के अतिप्रिय थे।
आपकी 3 बड़ी बहने स्वर्गीय श्रीमति कमलाबाई कन्हैयालाल डाकलिया खैरागढ़, किरणबाई मिलापचंद गोलछा अहमदाबाद व स्वर्गीय श्रीमती ताराबाई मानकलाल बरलोटा रायपुर हैं।

आपके काका फतेलाल बरडिया का आप पर विशेष प्रेम एवं स्नेह था। काकाश्री के सुपुत्र जो आपके बड़े भाई हुए । दुलीचंद बरडिया का भी स्नेह आपको खुब प्राप्त हुआ।

आपकी प्रारंभिक शिक्षा राजनांदगाँव में संपन्न हुई ,आपने मैट्रिक की परीक्षा में मध्यप्रदेश शिक्षा मंडल की प्रावीण्य सूची में अपना स्थान बनाया था,तत्पश्चात् आपने राजनांदगाँव में ही स्टेट हाई स्कूल में 2 वर्षों तक शिक्षक के रूप में अपनी सेवाए दी,आपने पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर के प्रथम बैच के विद्यार्थी के रूप में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की,आपको समूचे राजनांदगाँव अंचल से जैन समाज से दूसरे डॉक्टर बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

आपका विवाह 23 अप्रैल 1966 को उदारमना जीवनलाल गोलछा की बड़ी सुपुत्री विमलादेवी से हुआ, आपकी 2 पुत्रिया व दामाद श्रीमती मंजू प्रवीण चौधरी नागपुर और श्रीमती अंजू मुकेश मालू वरोरा, 3 पुत्र व पुत्रवधु अशोक आरती , किशोर तृप्ति एवम् मनीष संगीता है, आपके 4 पोते आयुष ,पीयूष ,नमन एवम् दर्शिल तथा 3 पोतियाँ हनी ,मौली एवम् याशी है । आपके 1 दोयता जयेश और 3 दोयती विधि प्रज्ञा एवम् डॉ लब्धि है।

आपके तीनों ही पुत्र अपने अपने कार्यक्षेत्रों में निपुण होने के साथ साथ समाज की विभिन्न गतिविधियों में भी लगातार अपनी सहभागिता दर्ज कराते हैं,आपके संस्कारों की खुश्बू एवं बरडिया परिवार का नाम ना सिर्फ़ नागपुर बल्कि रायपुर एवम् गृहनगर राजनांदगाँव में भी गौरवान्वित कर रहे है ।

आपने 60 वर्ष तक चिकित्सक के रूप में अपनी सेवायें समाज को प्रदान की,आपकी सरलता के कारण हर मरीज को आपसे मिलकर प्रसन्नता की अनुभूति होती थी,प्राइवेट प्रैक्टिस के साथ साथ बंगाल नागपुर कॉटन मिल्स राजनांदगाँव में आपने मेडिकल ऑफिसर के रूप में लंबे समय तक अपनी सेवाए दी,एक विशेष बात यह भी है कि आपने नागपुर में ट्रस्ट हॉस्पिटल में भी कई वर्षों तक अपनी निः शुल्क सेवाये दी,आपकी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि मूलतः संस्कारधानी राजनांदगाँव ही रही,और परिवार सहित विगत २० वर्षों से आप नागपुर में ही निवास कर रहे थे।

आपने अपना जीवन बहुत ही समता एवम् सरलता से व्यतीत किया,विषम परिस्थिति में भी आपने जीवन में कभी हार नहीं मानी और सदैव आनन्द,उत्साह और संघर्ष के साथ जीवन को आगे बढ़ाया और कभी भी दूसरों को अपनी सेवा का मौक़ा नहीं दिया,आपने अपने जीवन काल में कभी भी किसी भी प्रकार का परिग्रह नहीं किया,सामर्थ्य होने के के पश्चात भी आपने भगवान महावीर के सिद्धांतों पर चलते हुए अपरिग्रह का पालन करते हुए केवल चार जोड़ी वस्त्रों के उपयोग का नियम आपने जीवनपर्यन्त बनाये रखा।

पापा और मम्मी के बीच स्नेह और समर्पण इतना गहरा था कि वे कभी भी अलग नहीं होते थे। उनका प्यार आज भी हमारे दिलों में बसा हुआ है।

आप पिछले २५ वर्षों से हार्ट के मरीज़ रहे किंतु अपने जीवनकाल में कभी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारण हॉस्पिटलाइज़ नहीं हुए,शारीरिक रूप से आपको कभी किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ़ नहीं रही,सर्दी खांसी बुख़ार तो आपसे कोषों दूर रहे।

भगवान पार्श्वनाथ पर आपकी अटूट श्रद्धा थी यही कारण है कि पौष बदी दशमी के दिन प्रतिवर्ष आप भद्रावती तीर्थ पर आंनद हर्षोल्लास,धर्म ध्यान के साथ पार्श्वनाथ भगवान का जन्म कल्याणक मनाया करते थे, इस वर्ष भी 6 जनवरी पौष वदी दशम के दिन तीर्थ दर्शन में दर्शनप्रार्थना, धूप, दीप, परिक्रमा पूर्ण कर प्रभु के समक्ष ही आप प्रभु चरणों में शाम ६:४५ बजे लीन हो गये।

विधि के विधान के सामने हम सब नतमस्तक है,मृत्यु अटल है और अपनो के जाने का दुख तो होता ही है किंतु डॉ साहब ने जिस समय व स्थान में अपने देह को त्यागा है यह सौभाग्य लाखों करोड़ों में किसी एक को ही प्राप्त होता है ,भक्ति गीत की यह पंक्ति की ” मेरे इस जीवन की बस यही तम्मना है,तुम सामने हो मेरे और प्राण निकल जाये ” उक्त पंक्तियां आपके जीवन में चरितार्थ हुई,केशरिया पार्श्वनाथ दादा के चरणों की सेवा करते करते आप परमात्मा के चरणों में हमेशा के लिए विलीन हो गए।
आपके समूचे जीवन को यह पंक्तियां परिभाषित करती है…
प्रेम उदारता और दया के भंडार थे आप…
ममत्व,अपनत्व और समत्व के दातार थे आप…
देन आपकी कभी भूल नहीं पाएगा बरड़िया परिवार…
सरलता,सहजता,सादगी औऱ शांति के दातार थे आप….

हम सभी देवाधिदेव वीतराग परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि वो अपने पावन चरणों में आपकी दिव्य आत्मा को शाश्वत सुख प्रदान करें…

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