“आत्मा मेरा ईश्वर है। त्याग मेरी प्रार्थना है , मैत्री मेरी भक्ति है , संयम मेरी शक्ति है। अहिंसा मेरा धर्म है!” इन शब्दों में अपने भावात्मक व्यक्तित्व का परिचय देने वाले आध्यात्मिक योगी आचार्य श्री महाप्रज्ञ { सन 1920 से सन 2010 } आत्म मंगल एवं लोक मंगल के लिए समर्पित संत थे अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी के उत्तराधिकारी और तेरापंथ के दशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ महान दार्शनिक एवं मौलिक चिंतक थे । उनके द्वारा सृजित 300 से अधिक जीवनस्पर्शी ग्रंथ उनकी ऋतंभरा प्रज्ञा तथा मानवीय , जागतिक समस्याओं के सूक्ष्म विश्लेषण एवं समाधायक प्रतिभा के जीवन प्रमाण है। उनके द्वारा अनूदित और शोधपूर्ण संपादित जैन आगम प्राच्यविद्या की अनमोल निधि है।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने जीवन के नौवें दशक में सप्त वर्षीय अहिंसा यात्रा का अहिंसक चेतना के जागरण और नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा का महान अभिक्रम किया। उन्होंने जहां युगीन समस्याओं के समाधान के लिए स्वस्थ व्यक्ति , स्वस्थ समाज , और स्वस्थ अर्थव्यवस्था का सूत्र प्रस्तुत किया , वहीं दूसरी ओर अपने आध्यात्मिक चिन्तन एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बौद्धिक और वैज्ञानिक जगत को प्रभावित किया। उनके द्वारा दी गई शांति मिसाइल के निर्माण की अभिप्रेरणा डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम का जीवन मिशन बनी।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा प्रवर्तित प्रेक्षाध्यान पद्धति जहां मानसिक तनाव और अवसादग्रस्त मनुष्यों के लिए शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन का वरदान है , वहां जीवन विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में भावात्मक विकास का अभिनव अनुदान है। आध्यात्मिक .. वैज्ञानिक व्यक्तित्व का निर्माण , अहिंसा प्रशिक्षण तथा सापेक्ष अर्थशास्त्र की संकल्पना उनके उर्वरक मस्तिष्क से उपजे हुए अवदान है। व्यष्टि और समष्टि को त्राण और प्राण देने में समर्थ इन अवदानों में उनकी अलौकिक अतिंद्रिय चेतना का साक्षात्कार होता है।
प्रेक्षाप्रणेता , महामनीषी के साहित्य व अवदानों से स्वयं भी समाधान प्राप्त करें और यथासंभव दूसरों को भी प्रेरित करें।
मैं परम वंदनीय गुरुदेव श्री आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के प्रति अपने श्रद्धा का अर्पण करता हूं और उनका अभिवंदन भी करता हूं।
दिलीप बरमेचा , दुर्ग
9425562722