पुनर्वास नीति का नहीं मिल रहा लाभ, दो दशक से भटक रहे नक्सल पीडि़त परिवारों ने कहा

पुनर्वास नीति का नहीं मिल रहा लाभ, दो दशक से भटक रहे नक्सल पीडि़त परिवारों ने कहा


राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 26 मई । छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के कई नक्सल पीडि़त परिवारों ने आज यहां राजनांदगांव प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पिछले दो दशक से नक्सल पीडि़त परिवारों को पूनर्वास नीति का लाभ नहीं मिल रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ के ही बस्तर के कई जिलों के पीडि़त परिवारों को नक्सल पूनर्वास समिति उन्हें आवास, नौकरी दे रही है।
आज प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए नक्सल पीडि़त परिवार के धीरेन्द्र, नमिता देहारी, खिलावन ठाकुर, रुपेश कुमार, कान्ता, गणेश इत्यादि ने कहा कि सन 2004 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नक्सल हिंसा से पीडि़त परिवारो को पुनर्वास करने नक्सल पुनर्वास नीति बनाया गया है, जिसे समय समय मे संसोधन किया गया है, पीडि़त परिवारों को 90 दिवस के भीतर पूनर्वास करने का समय सीमा निर्धारित किया गया हैं, पुनर्वास करने जिला स्तरीय पूनर्वास समिति का गठन किया गया है जिसमे जिला कलेक्टर को अध्यक्ष व पुलिस अधीक्षक को सचिव बनाया गया है ।
पीडि़त परिवारों ने आगे कहा कि नक्सल पुनर्वास नीति के अंतर्गत जिला कलेक्टर महोदय द्वारा हम पीडि़त परिवारों को कलेक्टर दर पर नौकरी व आर्थिक सहयता राशि प्रदान किया गया है, लेकिन मकान, छात्रावृति आज तक नहीं दिया गया है। नक्सल पुनर्वास नीति अंतर्गत शहरी क्षेत्र में आवास के लिए नजूल जमीन देने का प्रावधान है, हम पीडि़त परिवार मकान दिलाने 20 सालो से जिला कलेक्टर कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री निवास तक पत्राचार व राजधानी मे धरना प्रदर्शन किया गया था, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने बापू की 150वी जयंती पर हम पीडि़त परिवारों को मकान देने का घोषणा किया था, घोषणा बाद जिला स्तरीय पूनर्वास समिति द्वारा नक्सल पूनर्वास योजनाअंतर्गत 900 वर्गफिट जमीन आबंटन करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन 3 साल तक जमीन आबंटन नही किया गया और सन 2024 मे हम लोगो को पात्रता नहीं रखते हो करके जिला पूनर्वास समिति द्वारा जमीन आबंटन निर्णय को निरस्त कर दिया गया है।
आगे कहा कि नक्सल पूनर्वास नीति पुरे छत्तीसगढ़ मे लागु है छत्तीसगढ़ के अन्य जिला कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर के नक्सल पूनर्वास समिति द्वारा नक्सल पीडि़तों को आवास, नौकरी दे रहे है लेकिन राजनांदगाव जिला के पूनर्वास समिति द्वारा ऐसा कोई प्रावधान नहीं करके आवेदन निरस्त कर रहे है। अगर नीति के तहत मकान देने का प्रावधान नहीं है तो कांकेर, कोंडागांव, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा के जिला पूनर्वास समिति गलत तरीके से कैसे आवास दे रहे है।
उन्होंने बताया कि नक्सल पुनर्वास नीति अंतर्गत नक्सल पीडि़त परिवार के सदस्यों को शासकीय नौकरी देने का प्रावधान है, कलेक्टर महोदय द्वारा कुछ परिवारों को स्वास्थ विभाग मानपुर में कलेक्टर दर पर नौकरी देने का आदेश किया है लेकिन सम्बन्धित विभाग कलेक्टर की आदेश को अमान्य कर दिया है व् 3 साल से सिर्फ 2000 ही वेतन दिया जा रहा है। पीडि़त परिवार ने नक्सल पूनर्वास नीति अंतर्गत नक्सल पीडि़त परिवार के दो बच्चो को 1 क्लास से 12 क्लास तक छात्रवृति राष्ट्रीय सांप्रदायिक सदभाव प्रतिष्ठान देलही द्वारा देने का प्रावधान है, नक्सल पुनर्वास नीति के समय सीमा के भीतर किसी भी पीडि़त परिवार के बच्चो को छात्रवृति नही दिया गया है, अब जिला कलेक्टर द्वारा कोई परिवार को आय से अधिक इनकम व् कोई परिवार को पात्रता नही रखते हो करके आवेदन निरस्त कर रहे हैं। आगे कहा कि हम लोगों का समर्थन मे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कांग्रेस का नियत और नीति पर सवाल उठाया था, रमन सिंह ने कहा था कि 2004 में भाजपा की प्रदेश सरकार के कार्यकाल में बनाई गई इस कार्ययोजना में पीडि़त परिवारों के लिए शासकीय नौकरी, आर्थिक सहयता राशि, शहरी क्षेत्र में निशुल्क आवास, अवाशीय परिसर में निशुल्क दुकान के अलावा कई प्रावधान किये गये थे लेकिन मैजूदा प्रदेश सरकार नक्सल पीडितो को सुविधाए देने में बदनीयती का परिचय दे रही हैं।

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