अष्टमी, चतुर्दशी तिथियों पर उपवास और संयम से रहने की बात जैन धर्म के आचार्य, मुनीराज  कहते है- प्रमाण सागर जी महाराज

अष्टमी, चतुर्दशी तिथियों पर उपवास और संयम से रहने की बात जैन धर्म के आचार्य, मुनीराज कहते है- प्रमाण सागर जी महाराज

अष्टमी को अष्ट कर्म के नाश का प्रतीक माना जाता है और चतुर्दशी को चौदह गुणस्थानों से पार उतरने का माध्यम भी माना जाता है। :– प.पु.प्रमाण सागर जी महाराज

रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 31 मई।

श्री आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर मालवीय रोड रायपुर के जिनालय में पार्श्वनाथ बेदी के समक्ष आध्यात्मिक प्रयोगशाला के माध्यम से आज दिनाँक – ३१/०५/२०२४ तिथि : ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी/नवमी, निर्माण संवत २५५० दिन : शुक्रवार को अष्टमी तिथि होने के कारण विशेष धार्मिक आयोजन किया जाता है। जिसमे सर्वप्रथम आज जिनप्रतिमाओ का अभिषेक शांति धारा पूजन अर्घ्य समर्पित किए गए।

मंगलाष्टक पाठ प्रारंभ कर 4 रजत कलशों में शुद्ध प्रासुक जल भरकर श्री जी का समता भाव पूर्वक अभिषेक किया। आज रिद्धि सिद्धि सुख शांति प्रदाता शांतिधारा भी की गई। जिसे करने का सौभाग्य पलक जैन को प्राप्त हुआ। आज की शांति धारा का शुद्ध उच्चारण लोकेश जैन द्वारा किया गया। शांतिधारा पश्चात सभी ने श्री जी की आरती भक्ति भाव से की विनय पाठ पढ़ सभी ने अभिषेक के दौरान उच्चारित मंत्रों से भक्ति और जिनबिम्ब के स्पर्श से पवित्र गन्धोदक को अपने संचित पापों को क्षय करने की उत्तम भावना से नेत्र और ललाट पर धारण किया।

तत्पश्चात अष्ट द्रव्य से सामुहिक पूजा में सर्वप्रथम नवदेवता पूजन एवं भगवान पुष्पदंत भगवान की पूजन कर अष्ट द्रव्य से निर्मित अर्घ्य समर्पित किए । अंत में विसर्जन पाठ पढ़ कर पूजन विसर्जन किया गया।

प.पु. प्रमाण सागर जी महाराज ने अष्टमी चतुर्दशी की महत्ता को लेकर शंका समाधान कार्यक्रम में बताया है की अष्टमी को अष्ट कर्म के नाश का प्रतीक माना जाता है और चतुर्दशी को चौदह गुणस्थानों से पार उतरने का माध्यम भी माना जाता है। एक शोध लेख के अनुसार जैसे इस धरती पर दो तिहाई जल भाग और एक तिहाई स्थल भाग है वैसे ही हमारे शरीर के भीतर भी दो-तिहाई ठोस तत्व और एक-तिहाई जल तत्व है। आप मेडिकल से जुड़े इस बात को अच्छी तरीके से समझते होंगे।

जिस प्रकार चंद्रमा की कलाओं से समुद्र का जल स्तर घटता बढ़ता है वैसे ही चंद्रमा की कलाओं से हमारा मन प्रभावित होता और हमारे शरीर के अंदर रहने वाले जल तत्व में हीन अधिकता होती है। उसमें एक डायग्राम बनाया हुवा था – अष्टमी, चतुर्दशी, पंचमी, एकादश और प्रन्दहस।

इन तिथीओं मे हमारे शरीर के जल तत्व पर उफान आता है । और कहा कि यह अमेरिका में शोध हुवा व अमेरिका में सर्दी के शिकार लोग बहुत ज्यादा है। तो जो सर्दी से ग्रसित लोग हैं उनसे बचने के लिए कहा गया कि इन दिनों में यदि आप उपवास रखें तो आप सर्दी पर विजय प्राप्त कर सकते है। माने इन दिनों आपके शरीर में जल तत्व एक्स्ट्रा है। तो मैंने इसका सार निकाला कि इसका मतलब इन तिथियों में अगर आप उपवास करते हैं तो आप की गर्मी कम बढ़ेगी पानी की कमी कम होगी। हमारे आचार्यों ने एक ऐसी व्यवस्था की कि हम साधना अपनी करें तो किन तिथियों में करें ? तो ऐसी स्थितिओं में करो जिससे साधना भी हो जाए और शरीर पर उसका दुष्प्रभाव भी ना पड़े। इसलिए अष्टमी,चतुर्दशी तिथियों पर उपवास और संयम से रहने की बात जैन धर्म के आचार्य, मुनीराज और सभी लोग कहते है।

आज के इस कार्यक्रम में विशेष रूप से ट्रस्टी संजय जैन प्रेमी परिवार सतना,श्रेयश जैन बालू,पूर्व अध्यक्ष संजय नायक जैन,महेंद्र जैन, प्रवीण जैन (जैनम ज्वलर्स) राशु जैन समता कॉलोनी,प्रणीत जैन,पलक जैन,कुमुद जैन, जितेंद्र जैन,उपाध्यक्ष लोकेश जैन आदि उपस्थित थे।

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