सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज का 138 वा जन्मोत्सव…….भाव बिना की हुई भक्ति निष्काम है

सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज का 138 वा जन्मोत्सव…….भाव बिना की हुई भक्ति निष्काम है

रायपुर (अमर छत्तीसगढ) श्री प्रेम प्रकाश आश्रम के मंडलाचार्य श्री सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज का 138 वा जन्मोत्सव श्री प्रेम प्रकाश आश्रम शैलेंद्र नगर रायपुर में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है 1 जून 2024 से 11 जुलाई 2024 तक पूरे 40 दिन तक चलने वाले इस चालीसा महोत्सव में इस बार कानपुर से संत भोलाराम जी आए हुए हैं। उन्होंने अपने सत्संग में श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ साहिब के एक दोहे का वृतांत सुनाया।

वेद गुरू के वचन पर नित ,तुम करो विश्वास जी
अटल श्रधा धार मन मे , भ्रम सब कर नाश जी

   जिस प्रकार आचार्य श्री शिवराम जी महाराज ने अपने गुरु के वचनों पर पूर्ण विश्वास करके भगवान को रिझाया था वैसे ही हम मनुष्यों को भी अपने गुरु के वचनों और  भगवान पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए आगे के सत्संग में उन्होंने बताया कि भगवान सिर्फ भाव के भूखे हैं। भगवान को प्रेम और भाव के बल से रिझाया जा सकता है। जिस पर जिस प्रकार द्रौपदी ने पूरी श्रद्धा और प्रेम के साथ बीच सभा चीरहरण के समय में भगवान को पुकारा था तो भगवान ने वस्त्र का भेष धारण कर द्रोपदी की लाज बचाई थी । 



जिस प्रकार मीरा ने अटूट श्रद्धा और विश्वास के साथ जहर का प्याला पिया था उस अटूट विश्वास और श्रद्धा के कारण वह जहर भी अमृत मैं परिवर्तित हो गया था ठीक उसी तरह हम मनुष्यों को भी अपने गुरु के वचनों पर और भगवान पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए और भावपूर्वक भक्ति करनी चाहिए ।


  प्रेम प्रकाशियो के इस महान पर्व पर घर घर चालीसा महोत्सव में प्रेम प्रकाश के आश्रम के द्वारा प्रतिदिन पालकी निकालकर श्री टेऊँराम चालीसा का पाठ व भजन संध्या का आयोजन किया जाता है और  40 दिन में आने वाले प्रत्येक रविवार को पुलाव और शरबत का वितरण किया जाता है। यह परंपरा श्री सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज के द्वारा रात्रि में भजन संध्या का आयोजन करके आरंभ हुई जो अभी भी पूरे भारत ही नहीं बल्कि अमेंरीका, जापान, कनाडा, और भी कई अन्य विदेशी मैं भी चलती हुई आ रही है। और इसे पूरे में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है श्री प्रेम प्रकाश आश्रम का प्रमुख आश्रम जयपुर राजस्थान में श्री अमरापुर दरबार के नाम से स्थित है । वहां भी प्रतिदिन नियमित रूप से चालीसा का पाठ किया जाता है।
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