दुष्कर्मी नाना को अंतिम सांस तक कारावास का दण्ड थाना मानपुर क्षेत्रान्तर्गत मामला

दुष्कर्मी नाना को अंतिम सांस तक कारावास का दण्ड थाना मानपुर क्षेत्रान्तर्गत मामला


राजनांदगांव (अमर छत्तीसगढ) 24 जून। 12 वर्षीय नाबालिग नातिन के साथ बलात्कार के एक मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायालय माननीय अपर सत्र न्यायाधीश, फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट (पाक्सो) राजनांदगाँव पीठासीन न्यायाधीश ‘ अविनाश तिवारी’ द्वारा अभियुक्त नाना के विरूद्ध आरोप साबित पाये जाने पर थाना मानपुर क्षेत्रान्तर्गत निवासी अभियुक्त सुकदेव मण्डावी, उम्र 55 वर्ष को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 363 के तहत् 03 वर्ष का सश्रम कारावास, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 366 के तहत् 05 वर्ष का सश्रम कारावास, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 (3) के तहत् 20 वर्ष का सश्रम कारावास तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 5(ढ)/6 के तहत् आजीवन कारावास (जिसका अभिप्राय अभियुक्त के शेष प्राकृत जीवन काल के लिये कारावास होगा) एवं उक्त धाराओं में कुल 31500/- रूपये का अर्थदंड की सजा से दण्डित किये जाने का दण्डादेश पारित किया गया।


मामले में शासन की ओर से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक (पाक्सो एक्ट) राजनांदगाँव श्री परवेज़ अख़्तर ने बताया कि, 12 वर्षीय पीडि़ता के पांचवीं पास होने के बाद गांव में आगे की पढ़ाई की सुविधा न होने के कारण उसके माता-पिता ने आगे पढ़ाई के लिये उसके नाना के यहाँ भेजा था। पीडि़ता अपने नाना के यहाँ रहकर पढ़ाई कर रही थी। रात्रि में पीडि़ता सोयी थी तब रात्रि लगभग 1.00 बजे नाना सुकदेव मंडावी उसे उठाकर जंगल में ले गया और रिश्तों को कलंकित करते हुये मासूम पीडि़ता के साथ जबरदस्ती बलात्कार किया।

कुछ दिन बाद पुन: अभियुक्त सुकदेव मंडावी ने घटना की पुर्नरावृत्ति किया। इसके दो-चार दिन बाद अभियुक्त फिर से पीडि़ता को जंगल की तरफ ले जाने लगा तब पीडि़ता जोर-जोर से रोने लगी और चिल्लाने लगी जिसकी आवाज सुनकर आसपास के लोग जमा हो गये तब घटना के संबंध में जानकारी प्राप्त होने पर पीडि़ता के भाई ने थाना मानपुर में घटना की रिपोर्ट की। विवेचना पश्चात् थाना प्रभारी मानपुर द्वारा चालान विचारण हेतु विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।
अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों तथा उभय पक्षों के द्वारा प्रस्तुत दलीलों को सुनकर विद्वान न्यायालय ने मामले के विचारण के दौरान प्रस्तुत साक्षियों का सूक्ष्मता से परिशीलन करने के पश्चात् अभियोजन द्वारा प्रस्तुत मामले को विश्वसनीय पाते हुये मामले को प्रमाणित पाया और दण्ड के प्रश्न पर विचार करते समय कहा कि, किसी स्त्री पर यौन हमला किया जाता है, तो उसके साथ केवल शारीरिक हिंसा कारित नहीं होती बल्कि ऐसी मानसिक हिंसा कारित होती है, जिसका जख़्म जीवन पर्यन्त रहता है इसलिए अभियुक्त के प्रति सहानुभूति या उदारता दिखाया जाना उचित नहीं।

Chhattisgarh