राजनाँदगाँव (अमर छत्तीसगढ) 11 जुलाई । घटना इस प्रकार है कि, ग्राम रामाटोला की तुलेश्वरी बाई का विवाहघटना के छः वर्ष पूर्व ग्राम परसघाट निवासी जयपाल जामड़े के साथ हुआ था। दोनों के वैवाहिक जीवन से दो संतानें है। माह अप्रेल 2021 में तुलेश्वरी बाई के घर से चले जाने की सूचना अभियुक्त जयपाल जामड़े ने उसके मायके पक्ष ग्राम रामाटोला में दिया कि, तुलेश्वरी बाई 5-6 दिनों से बिना बताये घर से कहीं चली गयी है।
इस पर तुलेश्वरी बाई के मायके पक्ष ने उसका पता तलाश किया, जब उन्हें यह शक हुआ कि, तुलेश्वरी बाई अपने दोनों छोटे बच्चों को छोड़कर नहीं जा सकती तब ग्राम रामाटोला के कोटवार व अन्य लोग दिनांक 10.04.2021 को ग्राम परसघाट गये और वहाँ के पटेल को सूचना दिये जिस पर ग्राम परसघाट में एक बैठक रखी गई। बैठक में दोनों गांव के लोग व तुलेश्वरी बाई के मायके पक्ष के लोग व जयपाल व हेमलाल जामड़े मौजूद थे।उक्त बैठक में अभियुक्तगण जयपाल व हेमलाल के द्वारा मामूली विवाद पर दिनांक 03.04.2021 को तुलेश्वरी बाई को पाण्डरवानी जंगल में झरन नाला के पास टंगिया से मारकर उसकी हत्या कर शव को गढ्ढे में दबाकर रखने की जानकारी दी।
गांव वालों के द्वारा इसकी जानकारी थाना खड़गांव में दी गई। घटना स्थल थाना मोहला होने से आगे की कार्यवाही थाना मोहला द्वारा की गई। थाना मोहला द्वारा मामला पंजीबद्ध कर जांच में लिया गया। जांच के दौरान आरोपीगण जयपाल एवं हेमलाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया तथा संपूर्ण जांच उपरान्त प्रकरण भारतीय दण्ड विधान की धारा 302, 201, 34 के तहत् विचारण हेतु न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।
न्यायालय माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजनांदगाँव श्रीमति सुषमा सावंत’ द्वारा प्रकरण की पूरी सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुये अभियुक्तगण जयपाल जामड़े पिता हेमलाल जामड़े, उम्र 29 वर्ष एवं हेमलाल जामड़े पिता स्व. रामसाय जामड़े, उम्र 55 वर्ष दोनों निवासी ग्राम परसघाट, थाना खड़गाँव, जिला मोहला-मानपुर-अं.चौंकी (छ.ग.) को श्रीमती तुलेश्वरी बाई उम्र 26 साल साकिन ग्राम परसघाट, थाना खड़गाँव, जिला राजनांदगांव (छ.ग.) (अभियुक्त जयपाल की पत्नि व अभियुक्त हेमलाल की बहू) की हत्या का दोषी साबित पाते हुए भारतीय दण्ड विधान की धारा 302 सहपठित 34 के तहत् आजीवन कारावास तथा 1000-1000 रूपये का अर्थदंड, अर्थदंड की राशि अदा न किये जाने की स्थिति में छः-छः माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास तथा भारतीय दण्ड विधान की धारा 201 के तहत् दो वर्ष के सश्रम कारावास तथा 500-500 रूपये का अर्थदंड, अर्थदंड की राशि अदा न किये जाने की स्थिति में एक-एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा से दंडित किये जाने का दंडादेश पारित किया गया। मामले में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से नारायण कन्नौजे, जिला लोक अभियोजक राजनांदगाँव ने पैरवी की।