अम्बाजी (गुजरात) [अमर छत्तीसगढ], 15 जुलाई। चातुर्मासिक प्रवेश होना सामान्य बात है लेकिन इसे एतिहासिक बनाने के लिए जरूरी है अधिकाधिक धर्म साधना, स्वाध्याय व तपस्या की जाए। इनसे कर्मो की निर्जरा होने के साथ जिनशासन की प्रभावना भी होती है। चातुर्मास का समय जीवन के आत्मकल्याण की लक्ष्य प्राप्ति के लिए स्वर्णिम अवसर होता है।
इस लक्ष्य की प्राप्ति जप,तप व साधना के माध्यम से की जा सकती है। ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा ने सोमवार को अम्बाजी के अंबिका जैन भवन में अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में चातुर्मासिक मांगलिक प्रवेश के बाद आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।
इससे पूर्व तपस्वी पूज्य श्री मुकेश मुनिजी म.सा.,सेवारत्न श्री हरीश मुनिजी म.सा., युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा., मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा., प्रार्थनार्थी श्री सचिन मुनिजी म.सा. आदि ठाणा ने भव्य जुलूस के साथ चातुर्मासिक मंगलप्रवेश किया। धर्मसभा में मुकेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास की सार्थकता तभी होगी जब ये हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए और हमे धर्म से जुड़ने के लिए प्रेरित करें।
धर्मसभा में सेवारत्न श्री हरीशमुनिजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास धर्म की गंगा प्रवाहित करने का समय है। हमारी दैनिक दिनचर्या में धर्मसाधना के लिए समय निकाले और जिनशासन की आराधना करें। मंगल प्रवेश से पूर्व यहां के श्रावक-श्राविकाओं का जो समपर्ण व जुड़ाव देखने को मिला है उससे लगता है धर्मसाधना की दृष्टि से अम्बाजी का चातुर्मास एतिहासिक साबित होगा। युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास तभी सफल कहलाएगा जब हम इससे जुड़कर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। हमे पतन की ओर ले जाने वाले व्यसनों का त्याग करने के साथ भगवान महावीर के ज्ञान, दर्शन और चारित्र के अनुरूप अपना जीवन जीना होगा।
मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास में हम त्याग, तपस्या, साधना जो भी कर सकते उसे अवश्य करें। जीवन में पुण्यार्जन का समय चातुर्मासकाल होता है। प्रार्थनार्थी श्री सचिन मुनिजी म.सा. ने भगवान की प्रार्थना के साथ धर्मसन्देश देते हुए कहा कि चातुर्मास हमारे जीवन और सोच में बदलाव का माध्यम बने।
भौतिक सुखों से आगे बढ़कर आध्यात्मिक सुख पाने का मार्ग चातुर्मास है। समारोह की अध्यक्षता एवं ध्वजारोहणकर्ता जैन कॉन्फ्रेंस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नेमीचंद चौपड़ा थे। विशिष्ट अतिथि लादूराम लोढ़ा पाली, जवरीलाल कांकरिया पाली, सज्जनराज गोलेच्छा पाली, राजेन्द्रकुमार कोटरिया बेंगलूरू, पारसमल पटवा हुबली, लादूसिंह राजपुरोहित, जैनकुमार जैन एवं विजयराज सेठी आबूरोड थे। राजकीय अतिथि के रूप में एसडीएम सिद्धी वर्मा, चीफ मेडिकल अधिकारी मकवानाजी, अम्बाजी केलवणी मण्डल अध्यक्ष राजन अग्रवाल, माध्यमिक स्कूल के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र अग्रवाल आदि मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के अध्यक्ष अभिषेक सियाल, मंत्री अनिल मादरेचा, कोषाध्यक्ष दिनेश लोढ़ा, श्री आदिनाथ चेरिटेबल ट्रस्ट अम्बाजी के अध्यक्ष मूलचंद साकरिया, मंत्री सुरेश शाह, कोषाध्यक्ष शंकरलाल सियाल आदि पदाधिकारियों ने किया। मंच संचालन गौतमचंद बाफना ने किया।
श्री चंदनबाला महिला मण्डल, श्री चंदनबाला बहु मण्डल एवं श्री महावीर नवयुवक मण्डल अम्बाजी के पदाधिकारी व सदस्यों ने भी आयोजन को सफल बनाने में समर्पित भाव से सहयोग प्रदान किया। समारोह के बाद गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया जिसके लाभार्थी श्रीमती अनोखबाई, श्री मनोहरलाल दिलीपकुमार मादरेचा परिवार सनवाड़-अम्बाजी रहा। समारोह में आबूरोड, बेंगलूरू, मुंबई, सूरत, हुबली, चैन्नई, पाली, गोरल,पालनपुर, ईडर, बड़ोली, हिम्मतनगर, गोगुन्दा,फतहनगर, गांवगुडा, बुसी, रत्नागिरी आदि स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
मंगल प्रवेश जुलूस में गूंजते रहे भगवान महावीर के जयकारे
तपस्वी पूज्य श्री मुकेश मुनिजी म.सा.,सेवारत्न श्री हरीश मुनिजी म.सा आदि ठाणा 5 का श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश जुलूस सुबह अम्बाजी के ब्रह्माभट्ट समाज की धर्मशाला से शुरू हुआ। यहां से अंबाजी के प्रमुख मार्गो से होते हुए गुरू भगवन्त चातुर्मास स्थल अंबिका जैन भवन पहुंचे। मंगलप्रवेश जुलूस में भगवान महावीर व जैन धर्म के जयकारों के साथ मरूधरी केसरी मिश्रीमलजी म.सा., प्रवर्तक अम्बालालजी म.सा., उपाध्याय प्रवर कन्हैयालालजी म.सा., शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा.,प्रवर्तक सुकनमुनिजी म.सा. आदि के जयकारे भी गूंजायमान होते रहे। मार्ग में जगह-जगह स्थानीय निवासियों ने भी चातुर्मास पर हर्ष जताते हुए मुनिवृन्द का वंदन-अभिनंदन किया। मंगल प्रवेश जुलूस में अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी, श्री आदिनाथ चेरिटेबल ट्रस्ट अम्बाजी, श्री चंदनबाला महिला मण्डल, श्री चंदनबाला बहु मण्डल एवं श्री महावीर नवयुवक मण्डल अम्बाजी के पदाधिकारियों व सदस्यों ने उत्साह से सहभागिता निभाई।
चातुर्मास में प्रतिदिन सुबह प्रवचन एवं दोपहर में धर्मचर्चा
चातुर्मासिक दैनिक आयोजन 20 जुलाई से शुरू होंगे। चातुर्मास में प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना के बाद सुबह 9 से 10 बजे तक मुनिवृन्दों के प्रवचन होंगे। प्रतिदिन दोपहर 2 से 4 बजे तक का समय धर्मचर्चा के लिए रहेगा। सूर्यास्त के बाद प्रतिक्रमण होगा। भाईयों के लिए रात्रि धर्म चर्चा का समय रात 8 से 9 बजे तक रहेगा। प्रत्येक रविवार को दोपहर 2.30 से 4 बजे तक धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन होगा। चातुर्मास के विशेष आकर्षण के रूप में 15 अगस्त को श्रमण सूर्य मरूधर केसरी प्रवर्तक पूज्य श्री मिश्रीमलजी म.सा. की 134वीं जन्मजयंति एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक श्री रूपचंदजी म.सा. ‘रजत’ की 97वीं जन्म जयंति समारोह मनाया जाएगा।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627