20 जुलाई को चातुर्मास प्रारंभ….. जप, तप, त्याग, सामायिक, प्रतिक्रमण, संत दर्शन आदि के साथ ही श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर…..

20 जुलाई को चातुर्मास प्रारंभ….. जप, तप, त्याग, सामायिक, प्रतिक्रमण, संत दर्शन आदि के साथ ही श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर…..

रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 16 जुलाई। चातुर्मास दौरान प्रमुख पर्व –
20 जुलाई को चातुर्मास प्रारंभ से लेकर जप, तप, त्याग, सामायिक, प्रतिक्रमण, संत दर्शन आदि के साथ ही श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर होता है। इसी क्रम में 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। श्वेतांबर समुदाय तीनांे घटक इस बार सामूहिक रूप से 1 सितंबर को पर्यूषण पर्व, 8 सितंबर को संवत्सरी महापर्व की आराधना करेगा व दिगंबर समुदाय के दस लक्षण पर्व का शुभारंभ 8 सितंबर को होगा।

जिसका समापन 17 सितंबर अनंत चतुर्दशी के रूप में होगा। 9 अक्टूबर को नवपद आयंबिल ओली पर्व, 1 नवंबर को तीर्थंकर भगवान महावीर 2551वां निर्वाण कल्याणक, 2 नवंबर को गणधर गौतम प्रतिपदा व वीर निर्वाण संवत् 2551वां शुभारंभ, 6 नवंबर ज्ञान पंचमी व 15 नवंबर को चातुर्मास पूर्णाहुति होगी। चातुर्मास के चार माह के दौरान समय समय पर अनेक सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम, संतों की जयंतियां, पुण्यतिथियां आदि आयोजन होंगे।

देश में कुल 18 हजार से अधिक साधु-साध्वी
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ की वर्ष 2024 की जारी सूची अनुसार इस वर्ष श्रमण संघ साधुओं के कुल 84 चातुर्मास है एवं श्रमण संघीय साध्वियों के कुल 280 चातुर्मास है। इस प्रकार कुल मिलाकर श्रमण संघीय चतुर्थ आचार्य डॉ श्री शिव मुनि जी के दिशा निर्देश व आज्ञा से श्रमण संघ के 364 चातुर्मास है। वहीं श्रमण संघीय में साधुवृन्द की संख्या 221 और साध्वीवृन्दों की संख्या 960 है। पूरे भारत में जैन धर्म की चारों संप्रदायों, स्थानकवासी – पाँच हजार, मंदिरमार्गी – ग्यारह हजार,  तेरापंथ आठ सो व दिगंबर समुदाय 1600 साधु-साध्वियों की गणना हो seती है जोकि कुल संख्या लगभग अठारह हजार के ऊपर है।

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