आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 की हुई मंगलमयी शुरूआत
रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 20 जुलाई। प.पू. दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनिजी की पावन निश्रा में दादाबाड़ी में शनिवार को आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 की मंगलमयी शुरूआत हुईं। प्रवचन श्रृंखला के दौरान शनिवार को दिर्घ तपस्वी प.पू. श्री विरागमुनि जी म.सा. ने कहा कि जिनवाणी का श्रवण करना बहुत ही दुर्लभ है। आपको मानव जीवन एक बार फिर मिल जाएगा लेकिन जिनवाणी का श्रवण करने का मौका आपको बार-बार नहीं मिलेगा। आज शासन और संसार को नहीं जिसने नहीं समझा वह मोक्ष मार्ग तक कभी नहीं पहुंच पाएगा, जिस दिन शासन और संसार को समझ जाएंगे उसे दिन आप अपने आप को मोक्ष मार्ग के करीब पाएंगे। जबकि आज तो धर्म 90 प्रतिशत लोगों को दुख की तरह लगता है, एक कष्ट लगता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि अभी कुछ ही दिन पहले शादी के मुहूर्त खत्म हुए और इसी बीच धूमधाम से सैंकड़ों शादियां भी शहर में हुई क्योंकि सबको पता है कि इन चार महीने शादी का कोई मुहूर्त नहीं है इसीलिए सभी ने अपनी सुविधानुसार बच्चों की शादी करवा दी। अब 4 महीने का चातुर्मास लोगों को बंधन की तरह लग रहा है लेकिन उन्हें नहीं पता कि यह बंधन नहीं, यह एक सिक्योरिटी है। जैसे आप आतंकवादियों के इलाके में जाते हैं तो आपको बुलेट प्रूफ जैकेट दी जाती है।
इलाका अगर और भी खतरनाक है तो आपको दो बुलेट प्रूफ जैकेट दे दी जाएगी वैसे ही आपको इस चातुर्मास में चार बुलेट प्रूफ जैकेट मिल रहा है तो आप किस चुनेंगे। जाहिर सी बात है कि आप चार बुलेट प्रूफ जैकेट को चुनेंगे ताकि आपकी सुरक्षा का दायरा और बढ़ जाए। ऐसे ही आपको चातुर्मास के इन चार महीनों में होटल का खाना, मूवी हॉल जाना, रात्रि भोजन करना और जमीकंद का त्याग करना है। आपको निश्चय कषाय के अंगारों से बचाना है तो यह प्रण आपको लेने होंगे।
मुनिश्री ने अकबर बादशाह के नवरत्नों में से एक तानसेन के बारे में बताया कि तानसेन को दीपक राग आता था जिससे कि आसपास के सारे दिये जल उठते थे। यह बात बादशाह अकबर के कानों में पड़ी तो उन्होंने तानसेन को तुरंत बुलाने का आदेश दिया। तानसेन को भी यह खबर पता चल गई की बादशाह अकबर ने उन्हें बुलाया है और वह इससे बचना चाहता था। क्योंकि दीपक राग गाकर दिये तो जल जाएंगे लेकिन इसके साथ ही साथ अंदर के जो दिये जलेंगे उसे बुझाना तानसेन के लिए बहुत ही मुश्किल हो जाएगा।
अंदर की जलन को बुझाने के लिए तानसेन को सावन की वर्षा का इंतजार करना पड़ता या फिर राग मल्हार गाकर वर्ष करवानी पड़ती। लेकिन तानसेन को राग मल्हार गाना नहीं आता था। महीना था आषाढ़ का लेकिन अब कर भी तो करें क्या बादशाह का हुक्म था तानसेन ने हां कह दिया और नगर के लोगों ने यह कारनामा देखने हुजूम लगा दिया। तानसेन ने दीपक राग गाना शुरू किया और देखते ही देखते नगर के सारे दिये जल उठे। अब तानसेन की आग को कौन बुझाए इसलिए वह निकाल कर जंगल की ओर वहां पर कुछ दूर चलने के बाद उन्होंने एक तालाब देखा और उसे तालाब के पास दो युवतियां बैठी हुई थी।
उन्होंने भी तानसेन को दिखा और उनकी पीड़ा को समझ लिया। युवतियों को राग मल्हार आता था लेकिन उसे गाने के लिए उन्हें अपने पति से आज्ञा लेने की आवश्यकता थी उन्होंने किया भी वैसा ही वे अपने पतियों के पास गई और उनसे आज्ञा ली। युवतियों ने राग मल्हार गया और आषाढ़ के महीने में देखते ही देखते काले बादल छा गए और खूब वर्षा हुई जिससे तानसेन की अंदर की आग बुझ गई। हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही है बाहर से तो सब ठीक है लेकिन अंदर से शांति नहीं है।
श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया और कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार भंसाली ने बताया कि रविवार के प्रवचन का विषय केंद्र में गुरु तो जीवन शुरू पर होगा और इसके साथ रामायण के मार्मिक प्रसंगों का उल्लेख किया जाएगा जिससे कि हम संस्कार और पवित्रता ग्रहण कर सके। इसी क्रम में 21 जुलाई से रविवारीय संस्कार शिविर द बेस्ट वे ऑफ लीविंग की शुरूआत होगी, जिसका विषय परिजनों के कर्तव्य होगा और जिसमें 10 वर्ष के अधिक के बालक-बालिकाएं भाग ले सकेंगे। यह शिविर 21 जुलाई से लेकर 01 सितंबर तक हर रविवार दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक चलेगा।
आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक तरुण कोचर और नीलेश गोलछा ने अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री का प्रवचन होगा। आप सभी से निवेदन है कि जिनवाणी का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।