छत्तीसगढ़ के सुपरस्टार कॉमेडी किंग सभी को हँसाने वाले शिवकुमार ‘दीपक’ नहीं रहे …. छत्तीसगढ़ी हिंद, भोजपुरी, मालवी व अफगानी के करीबन 100 फिल्मों में काम किया … भूपेश सरकार द्वारा इन्हें ‘दाऊ मंदराजी सम्मान’ से सम्मानित किया
रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 26 जुलाई। छत्तीसगढ़ के सुपरस्टार कॉमेडी किंग सभी को हँसाने वाले श्री शिवकुमार 'दीपक' जी आज 25 जुलाई 2024 को 91 वर्ष की उम्र में हमें रुलाते हुए चले गए ! श्री दीपक लगभग 100 फिल्मों में काम कर चुके हैं 50 छत्तीसगढ़ी फिल्मों के साथ ही हिंद,भोजपुरी, मालवी व अफगानी फिल्मों में भी अपना लोहा मनवाया ।
इन्हें एकल अभिनय में ख़ासकर महिला पात्र निभाने में अधिक रुचि थी । दीपक जी दुर्गा कॉलेज में पढ़ाई भी कर चुके हैं, इसी दौरान युवा उत्सव का एक अखिल भारतीय कार्यक्रम नागपुर में हुआ,उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नेहरू जी थे,तब मंच में इन्होंने एक एकल अभिनय 'जीवन पुष्प' का मंचन किया तब इस प्रदर्शन से नेहरू जी काफ़ी प्रभावित हुए और ख़ूब तारीफ़ किये उसी समय नेहरू जी ने इन्हें 'दीपक' की उपाधि दी,तब से शिवकुमार साहू(साव)जी अपना उपनाम 'दीपक' लिखने लगे ।
दीपक जी ने अपना एकल अभिनय का गुरु प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी के भतीजे रमाकांत बख्शी जी को माना,, मतलब इन्ही से प्रेरित हुए । जब पहली छत्तीसगढ़ी फ़िल्म "कही देबे संदेश" बन रही थी तब मनु नायक जी दीपक जी के सुझाव से ही रमाकांत बख्शी जी को इस फ़िल्म में लिए ।इस फ़िल्म के सभी कलाकार यहाँ तक कि स्पॉटबॉय भी मुंबई के ही थे । दूसरी छत्तीसगढ़ी फ़िल्म "घर द्वार" में भी इन्होंने अपनी दमदार भूमिका निभाई ।
बाद में आने वाली फिल्मों-मोर छइँया भुईंया, मयारू भौजी,तोर मया के मारे, कारी, सलाम छत्तीसगढ़िया,बंटवारा,परदेशी के मया,मया लेले मया देदे आदि कई फिल्मों में काम किये ।
दाऊ रामचंद देशमुख कृत 'चंदैनी गोंदा' व बाद के खुमान साव द्वारा संचालित 'चंदैनी गोंदा' में भी इनकी हास्य भूमिका बखूबी देखी जा सकती है । इन मंचों में हास्य प्रहसन 'नेता बटोरन लाल' व 'छत्तीसगढ़ रेजिमेंट' में खूब वाह वाही लूटी । इसके साथ ही 'सोनहा बिहान' जैसे अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी काम किया । सम्मान व पुरस्कारों की बात करें तो इन्हें राज्य स्तर के कई सम्मान मिल चुके हैं। भूपेश सरकार द्वारा इन्हें 'दाऊ मंदराजी सम्मान' से सम्मानित किया गया है।