मन में दया के भाव रखे बिना नहीं कर सकते हम धर्म- इन्दुप्रभाजी मसा…… धर्म साधना करने से आत्मीय सुख ओर आनंद की प्राप्ति- चेतनाश्रीजी म.सा.

मन में दया के भाव रखे बिना नहीं कर सकते हम धर्म- इन्दुप्रभाजी मसा…… धर्म साधना करने से आत्मीय सुख ओर आनंद की प्राप्ति- चेतनाश्रीजी म.सा.

सूरत के गोड़ादरा स्थित महावीर भवन में चातुर्मासिक प्रवचन

सूरत(अमर छत्तीसगढ), 26 जुलाई। जिनवाणी सुनने के लिए प्रतिदिन स्थानक अवश्य जाना चाहिए। प्रवचन सुनने के साथ एक सामायिक का लाभ भी मिल जाता है। प्रवचन सुनने आते है तो सामायिक साधना करना नहीं भूले इससे दोहरे लाभ की प्राप्ति होती है। जिनवाणी श्रवण ओर सामायिक साधना दोनो हो जाते है। ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने शुक्रवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भी अहिंसा को धर्म का आधार बताया था। त्रस स्थावर की हिंसा न हो इसके लिए संयम अंगीकार करते है। संयम स्वीकार कर 24 लाख जीवों को अभयदान दिया जाता है। श्रावक बनने के लिए 18 पाप का त्याग करना होता है।

दया धर्म की जननी है मन में दया भाव रखे बिना हम धर्म नहीं कर सकते है। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने बताया कि मांगलिक का प्रारंभ कब से हुआ ओर जिनशासन का संदेश प्रतिपादित करने वाले आगम 32 प्रकार के होते है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर मांगलिक नहीं देशना फरमाते है। तीन घंटे का एक प्रहर होता है ओर तीन मनोरथ के बराबर सबसे छोटी पोरसी होती है। जो धर्म साधना करता रहता है उसका जीवन आत्मीय सुख ओर आनंद की प्राप्ति करता है।

जिनवाणी के माध्यम से धर्मवाणी सुनने का लाभ अवश्य उठाना चाहिए। तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए बताया कि जब सुुबाहुकुमार भगवान की देशना सुनने जा रहे होते है तो देवता समवोशरण की रचना करते है। इसमें भगवान पद्मासन पर विराजमान होते है।

उन्होंने कहा कि संसार की चीजे बिंदी,चुंदडी,सिंदुर आदि का रंग लाल होता है जबकि संत की चीजे चोलपट्टा, ओगा, पंूजनी आदि का रंग सफेद होता है। सफेद रंग संयम ओर शांति का भी प्रतीक है। भगवान के रक्त का रंग सफेद होता है। गति चार होती है पर पांचवी गति मोक्ष होती है। सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. ने भगवान महावीर स्वामी पर भजन की प्रस्तुति दी।

धर्मसभा में रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा.एवं विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला, उपवास,आयम्बिल, एकासन आदि तप के भी प्रत्याख्यान लिए। अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के उपाध्यक्ष राकेश गन्ना ने किया। जिनवाणी श्रवण करने के लिए सूरत के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएं पहुंचे थे।

बच्चों के लिए चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप 31 जुलाई से

चातुर्मास में बच्चों के लिए चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप 31 जुलाई से शुरू होगा। इसमें बच्चों के लिए खाने-पीने में द्रव्य मर्यादा तय होगी। पहले दिन पूरे दिन खान-पान में अधिकतम 15 द्रव्य का उपयोग कर सकंेंगे इसके बाद प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 14 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा। पानी,दूध,पेस्ट व दवा द्रव्य सीमा में शामिल नहीं है। चातुर्मास में प्रतिदिन प्रतिदिन सुबह 8.45 से 10 बजे तक प्रवचन एवं दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहे है। प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक धर्म चर्चा का समय तय है। हर रविवार सुबह 7 से 8 बजे तक युवाओं के लिए एवं हर शनिवार रात 8 से 9 बजे तक बालिकाओं के लिए क्लास होगी।

प्रस्तुति : निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627

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