काठमाण्डौ नेपाल (अमर छत्तीसगढ) 28 जुलाई।
सामायिक अध्यात्म का सोपान है। आत्मा और परमात्मा संबंधी चिन्तन अध्यात्म है। आत्मानुभूति के आन्नद का मार्ग अध्यात्म है।अध्यात्म व्यक्ति के स्वयं के अस्तित्व के साथ जोङता है। सूक्ष्म आत्म चिन्तन करने में सक्षम बनाता है। सामायिक की साधना अध्यात्म की साधना है।
और “सामायिक” एक पारंपरिक जैन धर्म का अनुष्ठान है जो आत्म-नियंत्रण, साधना और ध्यान का अभ्यास करने के लिए किया जाता है। इसमें व्यक्ति अपने विचारों और क्रियाओं को शुद्ध करने के लिए एक विशेष समय अवधि के लिए एकांत में रहते हैं और ध्यान करते हैं।
उपरोक्त विचार आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ने आज “अध्यात्म का सोपान सामायिक” विषय पर प्रवचन करते हुए महाश्रमण सभागार में व्यकत किये।
जैन मुनि रमेश कुमार ने आगे कहा- “अध्यात्म का सोपान” और “सामायिक” दोनों ही आत्मा के शुद्धिकरण और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को दर्शाते हैं। सामायिक की समग्र विधि को आपने इस अवसर पर समझाया।
मुनि रत्न कुमार जी ने भी सामायिक की उपयोगिता पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।