रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 28 जुलाई। शीतलराज मुनि के सानिध्य में आज पुजारी पार्क में मनाया दया दिवस, बड़ी संख्या में महिला-पुरुषों, बच्चों ने सामायिक प्रतिक्रमण किया। स्थानीय पुजारी पार्क मानस भवन में सामायिक स्वाध्याय का नया अध्याय आडा आसन त्यागी, सूर्य अतापना धानी शीतलराज म.सा.के सानिध्य में आज सुबह एवं दोपहर सैकड़ों जैन श्रावक-श्राविकाओं ने आयोजित दया दिवस पर भाग लिया तथा श्रावक-श्राविकाओं ने सामायिक एवं प्रतिकरण का संकल्प लेकर आज शाम पूरा करने जा रहे है।
वहीं दुसरी ओर पिछले दो-तीन दिनों में मुनि शीतलराज के प्रवचन में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्रावक-श्राविकाओं, बच्चों को मुनि ने सामायिक स्वाध्याय पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि सामायिक पाठ दस मन के, दस वचन के एवं बारह काया के, इसन बत्तीस पाठों को जानते हुए यह प्रक्रिया पुरी की जाती है। उन्होंने ईर्यापथ का पाठ, कायोत्सर्ग की प्रतिज्ञा, ध्यान पालने का पाठ, लोगस्स, सामायिक लेने के पाठ प्रतिकरण के साथ इस जोडऩे प्रणिपात सूत्र इत्यादि विधि की विस्तृत जानकारी दी।
प्रारंभ में नन्हे बालक की प्रस्तुति महिलाओं ने गीत की प्रस्तुति शीतल तेरे नाम से चिंता होती दूर की सामूहिक प्रस्तुति वहीं एक महिला ने विशुद्ध छत्तीसगढ़ी में गीत प्रस्तुत करते हुए कहा मैं तो नई जानो गुरु तोर मया ला, वहीं दूसरी ओर दुर्ग पधारे दुर्ग स्वेताम्बर संघ मुनि शीतलराज का आर्शीवाद लिया। वहीं दुसरी ओर आयोजित धर्म सभा को निर्मल जैन सहित कुछ वक्ताओं ने अपनी प्रस्तुति दी।
शीतलराज मुनि ने भगवान महावीर, भगवान श्रषभ देव की जीवनी पर प्रकाश डाला कहा जीओ पर कृपा बनी रहे। साधना चलती रहे, अहंकार न हो। उन्होंने जैन तीर्थकरों की जीवनी उनके उपदेशों पर भी प्रकाश डाला तथा जीवों की रक्षा के लिए उपस्थित जनों का मार्गदर्शन दिया। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं को कहा कि वे नित्य प्रति साधना के प्रति अपना समय दें। आत्म कल्याण के लिए विधिपूर्वक वंदना करें। आत्म सिद्धी के मार्ग में चले।
उन्होंने रोग व रोगग्रस्त लोगों को लेकर ज्ञानी महापुरुष राजपाठ परिवार इत्यादि पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि तपस्या जैसी दवा जरुरी है। रोज पचास मिनट मूंह पट्टी लगाकर बैठे। इससे सामायिक नहीं होगा। एकाग्रता सामायिक का ज्ञान होना भी जरुरी है। सामायिक शब्द तीन साढ़े लाईन का पाठ है। इसे भी हम पूरा स्वाध्याय नहीं करते।
उन्होंने तीन लाईन के पाठ प्रतिज्ञा को पूरे करने के नियम बताए। कहा कि धर्म स्थान पर आने का नियम तो बता दिया। अब क्या करना है उसे भी जाने। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सामायिक के 32 गुणों को समझने का प्रयास करें। वैसे भी सामायिक साधना के लिए पहले स्वाध्याय करें, सामायिक पाठ के 32 दाषों को जाने। पिछले 2 दिनों शीतल मुनि राज के प्रवचन व मांगलिक का भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में रायपुर के साथ ही दुर्ग, भिलाई एवं अन्य स्थानों से भी लोग पहुंच रहे है।
संचेती परिवार द्वारा आयोजित शीतल चातुर्मास समिति भी श्रावक-श्राविकाओं को सहयोग हेतु तत्पर दिख रहे है। धार्मिक सांस्कृतिक समिति की मीना पींचा, मोहिनी बाघरेचा, शीतल रामपुरीया, नीलू पागरिया, शशि गोलछा, प्रीति सेठिया काफी सक्रिय दिख रहे है। वहीं दुसरी ओर चातुर्मास महिला, युवा मंडल, तपस्या प्रेरक भी अपना योगदान दे रहे है।
आयोजन के प्रमुख दीपेश संचेती व परिजनों के अनुसार चातुर्मासिक दैनिक कार्यक्रम चल रहा है। आज दया दिवस के अवसर, दया पालने वालों की संख्या भी महिला-पुरषों की सौ पार कर गई है तथा आयजकों के अनुसार प्रति रविवार को दया दिवस पालने के लिए व्यवस्था जारी रखे। श्रावक- श्राविका भाग लें। प्रारंभ में जैन समाज के प्रमुख श्री भंडारी ने उपस्थित जनों के आयंबिल, निवि, एकासना, उपवास, बेला, तेला, इत्यादि को लेकर श्रावक-श्राविकाओं द्वारा की गई घोषणा की जानकारी दी। मुनि शीतलराज ने सभी को आर्शीवाद दिया।