रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 28 जुलाई l , छत्तीसगढ़ आज जंगल सफारी में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनका उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना था। इन कार्यक्रमों को प्रतिभागियों और पर्यटकों द्वारा सराहना की गई ।
जंगल सफारी के संचालक श्री धम्मशील गणवीर (आई.एफ.एस.) बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से वन्यजीव प्रेमियों को जंगल सफारी से जुड़ने के साथ साथ अपने फोटोग्राफी की रुचि को बढ़ावा देने के लिए अवसर प्राप्त हुआ है । उन्होंने इस कार्यक्रम के माध्यम से जंगल सफारी में चल रहे युवान वालंटियर्स प्रोग्राम के साथ जुड़ने के लिए भी अपील की ।
दिन की शुरुआत एक रोमांचक फोटोग्राफर्स मीट के साथ हुई, जिसमें 10-12 फोटोग्राफर्स ने भाग लिया जिनमें डॉ. जगपाल सिंह बल, डॉ स्वामी, जोगेश्वर वर्मा, मुक्तनंद खूंटे, एस. डी. बर्मन, संदीप घोस, खंडेलवाल, मोरद्वज निषाद, देवेंद्र कुमार वर्मा, धीरज कटरा, कबीर बल, साहेब बल आदि ने भाग लिया और वन्यजीवन की सुंदरता और सार को कैमरे में कैद किया।
कार्यक्रम की शुरुआत वन्यजीव संरक्षण पर एक जानकारीपूर्ण परिचय और डॉक्यूमेंट्री के साथ हुई, जिससे दिन भर की खोज और सीखने का माहौल बना।
प्रतिभागियों ने चिड़ियाघर परिसर में 2 घंटे की फोटोग्राफी सत्र में भाग लिया और विभिन्न जानवरों की शानदार तस्वीरें खींचीं।
एक घंटे की सफारी टूर में फोटोग्राफर्स ने बाघों और एनी वन्य प्राणियो की तस्वीरें खींची, जिससे क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता का करीब से अनुभव मिला।
कार्यक्रम के समापन में प्रतिभागियों द्वारा अपने अनुभव साझा किए जिसमें डॉ, जगपाल सिंह बल कहा कि इस तरह का कार्यक्रम लगातार होते रहना चाहिए जिससे लोगों में जन जागरूकता बढ़ते रहेगा उन्होंने आगे कहा कि फोटोग्राफर्स वो होता है, जिनके पास अलग नज़रिया होता है और जो चीजों की बारीकी को कैमरा के माध्यम से देख पता है और कैमरा में कैद करता है और दुनिया को उन बारीकीयों से परिचय करवाकर उनमें उत्सुकता पैदा करता है, डॉ स्वामी कहा कि इस तरह की पहल लगातर होना चाहिए, फोटोग्राफर्स मीट अलग अलग थीम के साथ भी आयोजन होते रहना चाहिए ।
“प्रकृति संरक्षण पर नुक्कड़ नाटक” का आयोजन
इस कार्यक्रम के साथ साथ लोक बयार संस्था से महेश वर्मा, राजेंद्र साहू, गंगा प्रसाद साहू और उनकी टीम द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाद दिवस के उपलक्ष में बाघ बचाओ, जंगल बचाओ, पर जागरूकता बढ़ाने के लिए नुक्कड़ नाटकों की श्रृंखला प्रस्तुत की गई। इन दिलचस्प और विचारोत्तेजक प्रस्तुतियों ने पर्यटकों का बहुत ध्यान आकर्षित किया, जो प्रस्तुत संदेशों से सक्रिय रूप से जुड़े और प्रभावित हुए।
दोनों कार्यक्रमों ने संरक्षण प्रयासों की महत्वपूर्णता को रेखांकित किया और प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए सामूहिक जुनून और प्रतिबद्धता को दर्शाया।