भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ),28 जुलाई। जीवन में गुण स्थान उपर उठाने है तो राग,द्धेष, अभिमान, अहंकार आदि से मुक्ति पानी होगी। इनसे मुक्त होने पर हमारे आत्मकल्याण का पथ प्रशस्त होता है। इसके विपरीत जिनके जीवन में राग,द्धेष, मोह आदि बढ़ रहे होते तो उसका गुणस्थान में पतन होकर वह दुर्गति की तरफ अग्रसर होता है। हमे गति सुधार गुणस्थान में उपर जाना है तो अवगुणों का त्याग कर सद्गुणों को अपने जीवन में स्थान देना होगा। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक(वर्षायोग) प्रवचन के तहत रविवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मोह ओर योग के माध्यम से हुए आत्मा के परिस्पंदन से आपके भावों की दशा तय होगी जो आपके गुणस्थान को भी तय करेंगे। हमारे भावों की परिणीति कहां जा रही यह हमे कोई दूसरा नहीं बताएगा इसे जांचने ओर मापने के लिए थर्मामीटर का कार्य हमे स्वयं करना होगा। आचार्यश्री ने कहा कि श्रेष्ठ गुणस्थान की प्राप्ति करनी है तो जीवन में कषाय कम करते हुए राग द्धेष पर नियंत्रण करने का पुरूषार्थ करना होगा। अपने योग यानि मन,वचन ओर काया को प्रभु चरणों में समर्पित करना होगा।
समर्पित भाव से सच्चे मन से की गई प्रभु की भक्ति ही हमारे जीवन को सार्थक बनाएगी। इससे पूर्व मुनि शुभ कीर्ति सागर ने धर्मसभा में उन नियमों के बारे में समझाया जिनकी पालना गृहस्थ जीवन में रहते हुए करनी चाहिए। इनमें भी दान ओर पूजा का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि इनको समझने पर जीवन में धर्म का मर्म समझ सकते है। दान करने पर व्यक्ति का पैसा कभी कम नहीं होता बल्कि पुण्य कार्यो में उसे लगाने पर हमारी रिद्धि सिद्धी बढ़ती जाती है। पूजा करना आ जाए तो हम भगवान की भक्ति पूर्ण विधिविधान से करने के साथ पुण्यार्जन भी कर सकेंगे। भगवान की पूजा व भक्ति के लिए दिखावा नहीं मन के पावन व पवित्र भाव जरूरी होते है। भगवान भक्त की भावना को देखता है ओर उस पर कृपा करता है। धर्मसभा का संचालन पदमचंद काला ने किया।
राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज के भीलवाड़ा चातुर्मासिक आगमन के बाद से ही उनके मुखारबिंद से जिनवाणी श्रवण करने के लिए प्रतिदिन सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं उमड़ रहे है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से प्रवचन लाभ पाने के लिए श्रावक-श्राविकाएं सुपार्श्वनाथ पार्क पहुंच रहे है। आचार्यश्री धर्म के मर्म को समझाने के साथ व्यवहारिक जीवन से जुड़ी समस्याओं की चर्चा करने के साथ उनका समाधान भी बताते है। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि धर्मसभा के प्रारंभ में श्रावकों द्वारा पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट किया गया।
शाम को शंका समाधान, महाआरती, धार्मिक कक्षा आदि का आयोजन हुआ जिनमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने शामिल होकर अपनी शंकाओं का समाधान पाने के साथ ज्ञान में अभिवृद्धि की। समिति के मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।