“काश हमारी सास भी ऐसी होती” विषय पर विशेष प्रवचन में उमड़ी सास-बहु की जोड़ी, छाए लाल-पीले रंग….. घर की सुख-शांति की चाबी सास-बहु के हाथ में, एक-दूसरे को समझ लिया तो जीवन आनंदमय- समकितमुनिजी

“काश हमारी सास भी ऐसी होती” विषय पर विशेष प्रवचन में उमड़ी सास-बहु की जोड़ी, छाए लाल-पीले रंग….. घर की सुख-शांति की चाबी सास-बहु के हाथ में, एक-दूसरे को समझ लिया तो जीवन आनंदमय- समकितमुनिजी

बहु याद रखे अच्छा जीवनसाथी सासु की देन, सास याद रखे शादी के बाद बेटे पर बहु का अधिकार

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 28 जुलाई। घर के सुख-शांति की चाबी सास-बहु के पास होती है। यह रिश्ता बहुत प्यारा होता है जो हरदम साथ रहता है। सास हो या बहु दोनों एक दूसरे की वैल्यू समझनी होगी। हमारा परिवार स्वर्ग से सुन्दर ओर सपनों से भी प्यारा होता है। बहु सास से और सास बहू से ना रूठे तो कोई परिवार कभी न टूटे ये कामना हम सब करेंगे। हम अपने सपनों की सास या बहु चाहते है तो पहले हमे भी वैसा ही बनना होगा। हम खुद बदल गए तो सामने वाले में बदलाव हुए बिना नहीें रहेगा।

ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में रविवार दोपहर सास-बहु दिवस मनाते हुए ’’काश हमारी सास भी ऐसी होती’’ विषय पर विशेष प्रवचन में व्यक्त किए। सास पीले रंग की साड़ी पहन कर आई तो बहु लाल रंग की साड़ी में आई थी। सैकड़ो सास-बहु की जोड़िया आई थी जिनमेंएक-दूसरे के प्रति प्रेम व भावनाओं का सागर उमड़ रहा था। प्रवचन के बाद सास-बहु की जोड़ी के लिए विभिन्न ज्ञानवर्धक व रोचक प्रश्नोत्तरी भी हुई।

समकितमुनिजी म.सा. ने बहुओं कहा कि सास-बहु का साथ हमेशा-हमेशा का नहीं होकर कुछ वर्षो का होता है। ऐसे में जो समय मिला उसे प्रेम से जी लिया तो जिंदगी सफल हो जाएगी। छोटी-छोटी बातों पर दुःखी होना या करना जिंदगी नहीं है। बहु हमेशा यह याद रखे कि उसे जो अच्छा जीवनसाथी मिला वह उसकी सास की देन है जिसने उसे आदर्श व संस्कारित बनाया। इसी तरह सास भी यह समझ ले कि बहु के हाथ में बेटे के हाथ देने के बाद अब वह उस पर अपना अधिकार नहीं जमा सकती।

बहु सास के काम में हाथ बंटाए ओर सास बहु के प्रति अपनी सोच बदल ले तो जीवन सरस बन जाएगा। उन्होंने विभिन्न दृष्टान्तों के माध्यम से प्रेरणा देते हुए कहा कि सास और बहु दोनों का कर्तव्य है कि भले उनमें बनती हो या नहीं बनती हो कभी किसी अन्य के सामने एक-दूसरे की खामियां नहीं गिनाए बल्कि खुलकर प्रशंसा करें कोई कंजूसी न करें। प्रशंसा करने में जाता कुछ नहीं है बल्कि हो सकता जो नहीं हो पा रहा वह काम भी हो जाए। सास-बहु थोड़ा सा विवेक रखते हुए आगे बढ़े तो जिंदगी में खुशियों के रंग छा जाएंगे।

बदलना होगा सड़ी गली मान्यताओं ओर परम्पराओं को

समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि समय के अनुसार जो बदलाव धर्म,समाज व परिवार के हित में हो वह होते रहना चाहिए। अच्छी परम्पराओं को सुरक्षित रखना चाहिए लेकिन उन सड़ी गली मान्यताओं व परम्पराओं को बदलना चाहिए जिन्हें हम स्वयं अपने हित में नहीं मानते पर लोग क्या कहेंगे या समाज क्या कहेंगा इस डर से बोल नहीं पाते है। उन्होंने कहा कि परिजन की मृत्यु होने के बाद कई दिन या कुछ माह तक धर्मस्थान पर नहीं आने की परम्परा भी ऐसी है जिसका औचित्य नहीं हो सकता। विशेष प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘रिश्तो की पूजा जहां हो, आदर बड़ा का जहां हो’’ की प्रस्तुति दी।

जीवन में समयकत्व भाव मजबूत बनाती समकित सामायिक

आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ.समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में रविवार सुबह नियमित प्रवचन के तहत समकित सामायिक पर चर्चा की गई। मुनिश्री ने कहा कि सामायिक के तीन भेद बताए गए है जिनमें पहला भेद समकित सामायिक होता है। समकित सामायिक होगी तभी आगे की सामायिक सार्थक होगी। इसमें कोई समय सीमा तय नहीं होने से जब भी समय मिले आंख बंद कर परमात्मा का स्मरण करते हुए की जा सकती है। समकित सामायिक करने से जीवन में समयकत्व भाव मजबूत बनता है। समकित यात्री यही सामायिक करता है।

समकित सामायिक के बाद श्रुत सामायिक एवं उसके बाद चारित्र सामायिक होती है जिसमें संत व श्रावक की सामायिक आती है। उन्होंने कहा कि साधना का सर्वश्रेष्ठ सोपान संथारा होता है जो हर साधक का अरमान होता है। संथारे का मतलब सब कुछ छोड़ देना होता है। न इस लोक न परलोक की कोई पकड़ या कामना रखनी है। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवंत मुनिजी म.सा. ने भजन की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

धर्मसभा में मौजूद चैन्नई निवासी सुरेश कोठारी व राजेश दुग्गड़ का सम्मान श्रीसंघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में शनिवार से 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना के तहत रविवार को उपवास तप करने के साथ विधिपूर्वक आराधना की गई। इस आयोजन के तहत 13 अगस्त तक प्रतिदिन प्रवचन के बाद पुण्य कलश आराधना होगी।

शनिवार एवं रविवार को ‘आईएम सॉरी’’ विषय पर विशेष प्रवचन

चातुर्मास के तहत सोमवार को परमात्मा का धर्मात्मा कौन होता इस विषय पर प्रवचन होगा। इसी तरह आगामी शनिवार एवं रविवार को अनंतकाल के पापों का प्रक्षालन करने के लिए ‘आईएम सॉरी’ विषय पर विशेष प्रवचन होगा। बुधवार को आदिनाथ भगवान एकासन दिवस मनाया जााएगा। चातुर्मास के दौरान 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए 3 से 17 अगस्त तक अखिल भारतीय स्तर पर चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप का आयोजन होगा। इसमें सहभागी बनने के लिए अब तक देशभर से सैकड़ो बच्चें पंजीयन करा चुके है। चातुर्मास में प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

Chhattisgarh