सूरत(अमर छत्तीसगढ), 28 जुलाई। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में रविवार को मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में रविवार को तप साधना व जिनशासन भक्ति के रंग छाए।
साध्वीमण्डल की प्रेरणा से 150 से अधिक दया तप की आराधना हुई तो श्रावक-श्राविकाओं ने धर्म के प्रति समर्पण दिखाते हुए 1500 सामायिक का लक्ष्य भी पार कर लिया। चातुर्मास में तपस्या का दौर भी निरन्तर जारी है। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने श्रावक-श्राविकाओं को स्थानक में अपने धर्म के अनुरूप वेशभूषा में आना चाहिए। मुखवस्त्रिका, आसन, चोल पट्टा, पूंजनी, माला ये हमारी स्थानक की ड्रेस में शुमार है।
बारिश के मौसम में बाहर घूमने जाने की बजाय स्थानक में आकर जिनवाणी श्रवण करेंगे तो जीने का आनंद आने के साथ कर्म निर्जरा भी होगी। उन्होंने कहा कि हम धर्म का लाभ तो पाना चाहते है लेकिन स्थानक में नहीं जाना चाहते है। बिना जिनवाणी श्रवण किए ओर धर्म आराधना किए लाभ प्राप्त नहीं हो सकता। रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमने सबको देख लिया जान लिया पर निज को नहीं जाना है। जब तक स्वयं को नहीं जानेंगे,परखेंगे तब तक जीवन का मर्म नहीं समझ पाएंगे ओर बाहरी दुनिया में भटकते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि स्थानक केवल धर्म केन्द्र नहीं बल्कि कर्म निर्जरा भवन है यहां जिनवाणी श्रवण कर ओर धर्म ज्ञान प्राप्त कर कर्मो का क्षय किया जा सकता है। साध्वीश्री ने दान का महत्व समझाते हुए कहा कि दान कभी व्यर्थ नहीं जाता ओर दान ऐसी पूंजी है जो परभव में भी हमारे साथ होती है। हमे जीवन को सुधारने के लिए पाप की अनुमोदना करने से बचते हुए पुण्य की अनुमोदना करनी चाहिए।
पुण्यसंचय के लिए शुभ कार्य करने में कभी विलंब नहीं करना चाहिए। आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि एक प्रहर तीन घंटे का होता है। छोटी से छोटी पोरसी तीन मनोरथ की ओर बड़ी से बड़ी पोरसी साढ़े चार मनोरथ की होती है। आगम में प्रहर को पोरसी कहते है। हमारे शास्त्र मानते है कि सूर्य कभी अस्त नहीं होता। आषाढ़ी पूनम को छोटी पोरसी ओर पोष बदी पूनम को बड़ी पोरसी आती है। पोरसी तप करने वालों की विपुल कर्म निर्जरा होती है।
तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए बताया कि हंसना ओर हंसाना महापुण्यकारी होता है। हमारा शरीर स्वस्थ है ओर हमे पांचों इन्द्रिया परिपूर्ण मिली है तो हमे उसका लाभ उठाते हुए अधिकाधिक धर्म आराधना करनी चाहिए। हम यदि परमात्मा की प्राप्ति करना चाहते है तो उसका एक मात्र मार्ग अधिकाधिक धर्म कर पुण्य का खजाना बढ़ाना है। धर्म की पूंजी ही हमे परमात्मा से मिला सकती है। समोशरण में जाने वाला 12 व्रती होता है।
धर्म करने से सुख संपदा की प्राप्ति स्वयं हो जाती है। जिनशासन में धर्म का स्थान जीवन में सर्वोच्च हो गया है। सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भजन की प्रस्तुति दी। अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलाल नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के अध्यक्ष शांतिलाल नाहर ने किया। जिनवाणी श्रवण करने के लिए सूरत के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएं पहुंचे थे।
दो श्राविकाओं के 9 उपवास के प्रत्याख्यान, दो दंपतियों किया शील व्रत अंगीेकार
धर्मसभा में श्राविका नीलम भण्डारी एवं मंजू सहलोत ने 9-9 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए तो उनकी अनुमोदना में हर्ष-हर्ष के जयकारे गूंजायमान हो उठे। शिमला सांखला ओर ललिता ढाबरिया ने चार-चार उपवास के प्रत्याख्यान किए।
कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास,आयम्बिल, एकासन,दया आदि तप के भी प्रत्याख्यान लिए। धर्मसभा में मेड़ता सिटी निवासी दंपति श्री सुनील-सीता कोठारी तथा बारड़ोली निवासी धनराज-मधु भण्डारी ने आजीवन शील व्रत के प्रत्याख्यान लिए तो जयकारों के साथ उनकी अनुमोदना की गई। शील व्रत अंगीकार करने वाले दंपतियों का सम्मान श्रीसंघ के अध्यक्ष शांतिलाल नाहर एवं मंत्री महावीरप्रसाद नानेचा ने किया।
बच्चों के लिए चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप 31 जुलाई से
चातुर्मास में बच्चों के लिए चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप 31 जुलाई से शुरू होगा। इसमें बच्चों के लिए खाने-पीने में द्रव्य मर्यादा तय होगी। पहले दिन पूरे दिन खान-पान में अधिकतम 15 द्रव्य का उपयोग कर सकंेंगे इसके बाद प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 14 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा।
पानी,दूध,पेस्ट व दवा द्रव्य सीमा में शामिल नहीं है। चातुर्मास में प्रतिदिन प्रतिदिन सुबह 8.45 से 10 बजे तक प्रवचन एवं दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहे है। प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक धर्म चर्चा का समय तय है। हर रविवार सुबह 7 से 8 बजे तक युवाओं के लिए एवं हर शनिवार रात 8 से 9 बजे तक बालिकाओं के लिए क्लास हो रही है।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627