विद्यार्थियों ने जिला स्तरीय कन्या एवं बालक छात्रावासों की स्वीकृत सीट 100 को बढ़ाकर 300 सीट करने की मांग की
राजनांदगाँव(अमर छत्तीसगढ) 29 जुलाई ।
अविभाजित राजनांदगांव जिले के अग्रणी एवं राज्य के प्रमुख छात्रावासों में से एक शासकीय पोष्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास भवन महेश नगर राजनांदगांव के भवन की स्थिति बहुत पुराना होने के वजह से वर्तमान में बहुत जर्जर हो चुकी है। छात्रावास के विद्यार्थी कैरल कोठारी, डामेश्वर चन्द्रवंशी, प्रफुल मण्डावी, भूपेन्द्र टोप्पा एवं सुभाष सोरी ने बताया कि छात्रावास के कमरों में पानी के रिसाव होने के अलावा भवन का सज्जा भी गिर रहा है।
जिसके कारण हम विद्यार्थियों को छात्रावास में निवास करने में बहुत कठिनाई हो रही है। उल्लेखनीय है कि इस छात्रावास भवन का लोकार्पण सन् 1982-83 में किया गया है।े छात्रावास का यह भवन 42 वर्ष पुराने होने के कारण वर्तमान में विद्यार्थियों के निवास करने योग्य बिलकुल भी नही है।
विदित हो कि यह छात्रावास अविभाजित मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य का प्रमुख छात्रावासों में से एक रहा है। यहां के अनेक विद्यार्थी उच्च पदों पर सुशोभित होकर राष्ट्र एवं समाज की सेवा में अपना योगदान दे रहें है। विद्यार्थियों ने बताया कि इस छात्रावास की स्वीकृत सीट 50 थी जिसे बढ़ाकर 100 सीट कर दिया है। लेकिन हम विद्यार्थियों को छात्रावास भवन एवं अन्य सुविधाएं 50 सीट के हिसाब से ही मिल रहा है।
छात्रावास के विद्यार्थियों ने बताया कि वर्तमान में जिला मुख्यालय में स्थित कन्या एवं बालक छात्रावासों की स्वीकृत सीट 100 को बढ़ाकर न्यूनतम 300 सीट किया जाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होने कहा कि सुदूर अंचल के विद्यार्थियों को अपने मनपसंद एवं विषय के अनुरूप कक्षाओं में प्रवेश लेने के लिए जिला मुख्यालय के छात्रावासों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। क्योंकि ब्लाॅक स्तर एवं अन्य स्थानों पर संचालित छात्रावासो में पर्याप्त संकाय एवं विषय उपलब्ध नही है।
उन्होने कहा कि अविभाजित राजनांदगांव जिले के अंतर्गत मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चैकी एवं गंडई- खैरागढ़- छुईखदान में नए जिले का निर्माण जरूर हो गया है। लेकिन इन जिलों के विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई के लिए वर्तमान में राजनांदगांव शहर पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है। इसलिए पोष्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास महेश नगर राजनांदगांव में नए भवन के निर्माण के साथ-साथ शहर में स्थित सभी पोष्ट मैट्रिक छात्रावासों के स्वीकृत सीट को वृद्धि कर 300 सीट कर उसके अनुरूप भवन निर्माण एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है।
विद्यार्थियों ने कहा कि छात्रावास वंचित एवं गरीब वर्गो के विद्यार्थियों के लिए संरक्षण स्थली है। इसके अलावा छात्रावास की व्यवस्था अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के शैक्षणिक व सामाजिक जागृति तथा उनके व्यक्तित्व एवं उनके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण का कारगर माध्यम है। इस तरह से इन वर्गाे के उत्थान में छात्रावास की महत्वपूर्ण भूमिका है। उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए छात्रावासों के समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।