ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में ‘परमात्मा का धर्मात्मा कौन’ विषय पर प्रवचन….   दूसरों पर निर्भरता त्याग खुद को संभालना सीख गए तो जिंदगी बन जाएगी सरल व आसान…..सरलता के साथ कुटिलतारहित जीवन व्यक्ति को बना सकती परमात्मा का धर्मात्मा-समकितमुनिजी

ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में ‘परमात्मा का धर्मात्मा कौन’ विषय पर प्रवचन…. दूसरों पर निर्भरता त्याग खुद को संभालना सीख गए तो जिंदगी बन जाएगी सरल व आसान…..सरलता के साथ कुटिलतारहित जीवन व्यक्ति को बना सकती परमात्मा का धर्मात्मा-समकितमुनिजी

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 29 जुलाई। जिसकी जिंदगी में दो चीजे सरलता हो ओर कपटता व कुटिलता नहीं हो वही परमात्मा का धर्मात्मा हो सकता है। हमारी आंखें शरीर की बाहरी पैकिंग देखती है जबकि परमात्मा आत्मा के भीतर की सरलता देखते है। मन से राग द्वेष मिटा लिए तो हम परमात्मा की नजर में धर्मात्मा हो जाएंगे भले दुनिया किसी भी नजर से देखे। धर्मात्मा बनने के लिए हमे दुनिया की नजर में नहीं परमात्मा की नजर में खरा उतरना है।

ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में सोमवार को ’’परमात्मा का धर्मात्मा कौन’’ विषय पर प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरलता से शांति,शांति से धर्म ओर धर्म से भगवान की प्राप्ति होती है। जहां सरलता की जगह कुटिल मन होगा वहां साजिशे रची जाएगी। कुटिल मन वाले कभी परमात्मा के धर्मात्मा नहीं हो सकते।

हम किसी का भला नहीं कर सके तो भी इतना तो करे कि हमारे कारण किसी का बुरा नहीं हो। हम दूसरों का बुरा करने की सोचेंगे तो उनका बुरा हो या न हो पर कर्म खराब कर अपना बुरा अवश्य कर लेंगे। जब हम खुद अपना बुरा करेंगे तो कोई हमे अच्छा नहीं बना सकता। मुनिश्री ने कहा कि मन कुटिल होने पर हम कलयुग में ओर सात्विक होने पर सतयुग में होते है। भीतर सतयुग नहीं होने पर हम बाहर भी कलयुग ही बनाएंगे। सरल व्यक्ति जीवन मेें दिखावा ओर ढोंग नहीं कर सकता। जो ढोंगी होता है वह वो दिखाना चाहता जो होता नहीं है। सरलता का जीवन जीने पर बाहरी दिखावे की चाहत कम होते जाने से पाप कर्म भी कम हो जाएगा।

इसके विपरीत दिखावा की चाह बढ़ने पर पाप कर्म भी बढ़ते है। उन्होंने कहा कि हर कार्य करते समय यह सोचना चाहिए कि मैं ये कार्य क्यों कर रहा हो ओर यह करना सही है क्या। सोचे ऐसे कौनसे कर्म करे जो हमारे लिए परेशानी का कारण नहीं बने। हम दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय खुद को संभालना सीख गए तो जिंदगी सरल व आसान बन जाएगी। जिनवाणी खुद को संभालने की राह दिखाती है।

जीवन में हर परिस्थति में शांत रहना सीखने वाले समकित यात्री

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि वक्त अच्छा चल रहा हो तो मखमल पर कदम रखो वर्ना अंगारे पर चलने का भी दम रखो। कब किस तरह का वक्त आ जाए कोई नहीं जानता। ये जीवन सांप-सीढ़ी का खेल है जिसमें पासा चलने पर आने वाला अंक हमे सफलता की सीढ़िया चढ़ाएगा या विफलता का सांप कांट नीचे गिराएगा कोई नहीं जानता। पासा फेंकने वाले हम खुद होते है इसलिए जीवन में सफलता ओर विफलता दोनों को स्वीकार करो। जीवन में हर परिस्थिति में शांत रहना जो सीख लेता है वह समकित यात्री होता है। वह यहीं सोचता है कि जैसे अच्छे पल नहीं रहे तो बुरे पल भी ज्यादा नहीं रहने वाले है। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘मीठे रस सो भरयो गुरूजी की वाणी लागे’’ की प्रस्तुति दी।

धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा में प्रकाशचन्द्रजी लोढ़ा के नेतृत्व में ओरंगाबाद से आया संघ भी मौजूद रहा। संघपति का ग्रेटर हैदराबाद संघ की ओर से सम्मान किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है।

तपस्वी नंदा बहन की जयकारों के साथ तप अनुमोदना

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा की प्रेरणा से पर्युषण पर्व के आगमन से पहले ही तपस्या की बहार छाई हुई है। सोमवार को प्रवचन के दौरान पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के मुखारबिंद से सुश्राविका नंदा गौतम तातेड़ ने 9 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए तो पांडाल तपस्वी की अनुमोदना व जयकारों से गूंजायमान हो उठा।

मुनिश्री ने तपस्वी श्राविका के लिए मंगलभावना व्यक्त की। तपस्वी का सम्मान भी 9 व 10 उपवास की तप बोली लगाने वाली बहनों ने किया। पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में शनिवार से 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना के तहत सोमवार को बियासना करने के साथ विधिपूर्वक आराधना की गई। इस आयोजन के तहत 13 अगस्त तक प्रतिदिन प्रवचन के बाद पुण्य कलश आराधना होगी।

बच्चों के लिए चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप की तैयारियां जारी

चातुर्मासिक आयोजन के तहत बुधवार को आदिनाथ भगवान एकासन दिवस मनाया जाएगा। चातुर्मास के दौरान 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए 3 से 17 अगस्त तक अखिल भारतीय स्तर पर चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप का आयोजन होगा। इसमें सहभागी बनने के लिए अब तक देशभर से सैकड़ो बच्चें पंजीयन करा चुके है।

पहले दिन 3 अगस्त को पूरे दिन खान-पान में अधिकतम 15 द्रव्य का उपयोग कर सकंेंगे प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा। पानी,दूध,पेस्ट व दवा द्रव्य सीमा में शामिल नहीं है। आगामी शनिवार एवं रविवार को अनंतकाल के पापों का प्रक्षालन करने के लिए ‘आईएम सॉरी’ विषय पर विशेष प्रवचन होगा। चातुर्मास में प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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