अहंकार प्रायश्चित करने नहीं देता मुनि शीतलराज ने आज धर्म, पाप, विनय, हिंसा, अंहिसा पर दिया प्रवचन

अहंकार प्रायश्चित करने नहीं देता मुनि शीतलराज ने आज धर्म, पाप, विनय, हिंसा, अंहिसा पर दिया प्रवचन


रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 30 जुलाई। शीतलराज मुनि के सानिध्य में आज पुजारी पार्क में मनाया दया दिवस, बड़ी संख्या में महिला-पुरुषों, बच्चों ने सामायिक प्रतिक्रमण किया। वहीं आज शीतल राज मुनि ने भगवान महावीर स्वामी के संदेशों को विशद रुप से प्रस्तुत करते हुए कहा कि भव्य जीवों का उद्धार करने वाले दुखों का नाश करने वाले, तीनों लोक में ज्ञानरुपी घोर अंधकार है।

शीतलराज ुमुनि ने आज सुबह अपने प्रवचन में धर्म, विनय, सामायिक, आप, हिंसा, अहिंसा गुरु पर विशद जानकारी देते हुए श्रावक-श्राविकाओं को समझाया कि जैन धर्म जिन भगवान के बताए मार्ग का अनुशरण करें और राग-द्वेष को जीतने का प्रयत्न करें। जैन धर्म के पालन हेतु जाति सम्प्रदाय देश का प्रतिबंध नहीं है।

उन्होंने कहा धर्म शब्द का सामान्य अर्थ कर्तव्य है, आत्मा की शुद्धि का साधन धर्म है। धर्म के लक्षण अंहिसा, संयम, ताप, त्याग तथा इसके चार द्वार क्षमा, ्रसंतोष, सरलता, नम्रता है। उन्होंने नमस्कार मंत्र की भी विस्तृत जानकारी दी। कहा ये पांच आत्माएं अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु है वहीं विनय एक छोटा शब्द है लेकिन बहुत ही व्यापक भावों को लिए हुए है। विनय धर्म तथा ज्ञान दोनों का मूल है।
मुनि शीतलराज ने आचार्य भगवंत महावीर स्वामी के प्रेरक मार्गदर्शन पर भी कहा कि जब तक केवल ज्ञान हो नहीं बोल पाते बाकी सब अधूरा है। समता भाव से जीवन में शरीर सबसे नजदीक है। इसका मोह भी है, वैभव तो त्याग है। उन्होंने सर्प एवं नेवले का सौदाहरण बताया कि नेवले को सांप का जहर नहीं लगता, असर उसका नहीं होता।

इसी प्रकार वीतराग वाणी का सहारा लिया जावे तो संसार के मोह माया का असर नहीं होगा। कषाय, वासना को दूर करने के लिए जीवन में ध्यान की प्राप्ति जरुरी है। उन्होंने महापुरुष संयक ज्ञान दर्शन पर भी जानकारी देते हुए महापुरुषों के विचारों के संबंध में कहा कि तीन अक्षर के जद की आराधना करने सामायिक पर भी उन्होंने विस्तृत जानकारी दी तथा पाप, पुण्य, हिंसा, अहिंसा पर भी वृहद जानकारी उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को कहा कि यदि यत्न किया जावे तो संयम की जीव की रक्षा होगी। जैन धर्म को समक्षा जावे इसका लाभ होगा।

ज्ञानी पुरुषों ने कहा है जहां हिंसा वहां पाप, जहां अहिंसा वहां शांति है। उन्होंने धर्म, विनय, पचखान अहिंसा का पालन करने की बात कही। उन्होंने कहा ऐसे मोह के मार्ग जो अनंत गुणों को रखने वाले तीर्थंकर ने हमें ज्ञान दिया। आज उपस्थित जनों ने बड़ी संख्या में उपवास बेला, तेला, आयंबिल, निवि, एकासना, उपवास का भी संकल्प मुनि शीतलराज के समक्ष लिया। इस अवसर पर तपस्या करने वालों का बहुमान चातुर्मास के प्रमुख आयोजक दीपेश संचेती ने किया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए शीतल चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुरेश सींगवी ने इस अवसर बहुमान करने व अन्य क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले शोभा बाफना, शांति लाल, उमेद सुराना, नवरत्न ओस्तवाल, ज्ञानचंद बैद, श्री रमेश, मोहन लाल गोलछा का भी उल्लेख किया गया। चातुर्मास समिति के प्रमुख भाग भोजन शाला का प्रभार शशांक नाहटा इत्यादि लोग संभाल रहे है। समिति के अध्यक्ष सुरेश सिंघवी ने उपस्थितजनों को चातुर्मासिक दैनिक कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए प्रतिक्रमण मौन मांगलिक, रात्रि में धर्म चर्चा का लाभ लेने की अपील की।

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