हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 31 जुलाई। आजकल आप लोगों के जीने की स्टाइल देख कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि आपके घरों से जिनशासन खत्म हो गया है। भले लिखते रहो हम जैन है पर उस जैसी जीवनशैली कहा रह गई है। सावन-भादो के महीन में भी यदि घरों में रात के 10-11 बजे तक चौके चलते हो तो फिर कैसे आपको जिनशासन में माने। जो समय जिनवाणी श्रवण व तप आराधना का होना चाहिए वह भी मौजमस्ती में जा रहा है। आधुनिकता के नाम पर कितना गिरेंगे कोई सीमा तो तय करे।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में बुधवार को चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम खुद को जैन तो कहते है पर रात्रिभोजन छोड़ नहीं पाते, छना हुआ पानी पी नहीं सकते, भोजन-नाश्ता करने से पहलेे नवकार महामंत्र गिनना याद नहीं रहता। ऐसे परिवार स्वयं को कैसे जिनशासन भक्त कह सकते। बच्चों को सीखाए कि नवकार मंत्र गिनने के बाद ही कुछ खाए पीए।
प्रवचनों में श्रीसंघों के पदाधिकारियों को तो परिजनों सहित आना ही चाहिए वह ही ऐसा नहीं करेंगे तो दूसरों को कैसे परिवार सहित आने की प्रेरणा देंगे। मुनिश्री ने कहा कि कमाने की भूख इतनी बढ़ गई है कि सब कुछ मिला होने के बाद भी संतोषवृति नहीं है। जैनियों के प्रति अन्य लोग कितना विश्वास रखते है कि ये तो जैन है रात में भोजन नहीं कर सकते पर आधुनिकता के नाम पर होटलों में जाकर रात एक-दो बजे तक खाना-पीना हो रहा है। ऐसा करके हम दुनिया वालों को क्या संदेश दे रहे है।
अपना जमीर इजाजत कैसे देता है। यदि जमीर जिंदा रहेगा तो गलत मार्ग पर कदम बढ़ नहीं पाएंगे। जिनशासन के मार्ग से हम स्वयं को दूर करते जा रहे है। समकितमुनिजी ने कहा कि जो 65-70 साल की उम्र कर चुके वह तो अब नियम ले कि उन होटलों में कदम नहीं रखेंगे जहां अभक्ष्य भी परोसा जाता होगा। यदि अब भी पेट नहीं भरा है तो आगे क्या होगा।
जिनसे तप-त्याग की प्रेरणा देने की उम्मीद की जाती है वहीं होटलों में देर रात तक खाते रहेंगे तो दूसरों को रात में नहीं खाने की प्रेरणा कैसे देंगे। हमारे पूर्वजों ने जिनशासन की आन,बान,शान के लिए प्राण तक न्यौछावर कर दिए ओर हम रात्रि भोजन तक नहीं छोड़ सकते। उन चीजों का त्याग करना शुरू करो जो जिनशासन की गरिमा कम करते है।
जो खुद से हार जाता उसके जीतने की संभावना समाप्त हो जाती
प्रज्ञामहर्षि पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि जीवन में कभी हीन भावना महसूस नहीं करे ओर अभिमान को भी नहीं आने दे। किस्मत का कभी रोना न रोए ओर कभी खुद को कमतर नहीं आंके। ऐसा करने पर हीनभावना आकर तनाव बढ़ेगा। जिम्मेदारी लेने से घबराना नहीं चाहिए। जिनका खुद पर विश्वास नहीं होता वह आगे नहीं बढ़ पाते है।
जो खुद से हार जाते है उनके जीतने की सारी संभावनाएं समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि कभी बच्चों की आपसी तुलना नहीं करे कि दूसरा उससे श्रेष्ठ है। ऐसा बोलते ही बच्चा स्वयं को कमजोर मान हीनभावना ग्रस्त हो जाता है।
किसी को कमजोरी का अहसास कराने पर आत्मविश्वास व मनोबल डगमगा जाएगा ओर वह जो कर सकता था वह भी नहीं कर पाएगा। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘चरणों में जगह मांगी थी दिल में बसा लिया’’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा।
धर्मसभा में चैन्नई से पधारे महावीर बोकाड़िया का सम्मान श्रीसंघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है।
चातुर्मास में प्रवाहित तपस्या की धारा, सुनीता ने लिए 10 उपवास के प्रत्याख्यान
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा की प्रेरणा से तपस्या की बहार छाई हुई है। बुधवार को प्रवचन के दौरान पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के मुखारबिंद से सुश्राविका सुनीता अशोक सिंघवी ने 10 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए तो पांडाल तपस्वी की अनुमोदना व जयकारों से गूंजायमान हो उठा।
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि चातुर्मास को तप त्याग की दृष्टि से एतिहासिक बनाने के लिए हर घर से कम से कम एक अठाई तप अवश्य हो ऐसा प्रयास रहे। बुधवार को आदिनाथ भगवान एकासन दिवस मनाया गया। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने एकासन तप की आराधना की।
श्रमण संघीय आचार्य सम्राट आनंद़ऋषिजी म.सा. की जयंति के उपलक्ष्य में 5 अगस्त को सामूहिक आयम्बिल तप की आराधना होगी। चातुर्मास के दौरान 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए 3 से 17 अगस्त तक अखिल भारतीय स्तर पर चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप का आयोजन होगा। अब तक देशभर से सैकड़ो बच्चें पंजीयन करा चुके है।
कल भक्तामर स्रोत की 19वीं गाथा की आराधना होगी
चातुर्मासिक आयोजन के तहत गुरूवार सुबह प्रवचन से पूर्व भक्तामर स्रोत की 19वीं गाथा की आराधना होगी। प्रत्येक गुरूवार भक्तामर स्रोत की किसी एक गाथा की आराधना हो रही है। आगामी शनिवार एवं रविवार को अनंतकाल के पापों का प्रक्षालन करने के लिए ‘आईएम सॉरी’ विषय पर विशेष प्रवचन होगा। चातुर्मास में प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है। चातुर्मास के तहत 15 से 18 अगस्त तक प्रवचन में श्रवण कुमार कथानक चलेगा। समकितमुनिजी ने श्रावक-श्राविकाओं को इस दौरान पूरे परिवार सहित आने की प्रेरणा दे रहे है।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627