ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन
हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 2 अगस्त। जिंदगी में कभी घमण्ड व अभिमान के भाव मत रखना। जब-जब हम अभिमानी हो जाते है मन में कड़वाहट आ जाती है। अभिमान के कारण हमारी बोली,चाल, रंगढंग सब कुछ बदल जाते है। अभिमान ऐसी आग है जो हमारे अच्छे कार्यो में मिनटों में जलाकर राख कर देता है। इतनी भी कड़वाहट अपने में मत भरो की नीम व करेले भी फीके लगे।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में शुक्रवार को चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने अभिमान व घमण्ड से बचने की नसीहत देते हुए कहा कि जीवन में जब तकलीफ आती है तो अच्छे ओर बुरे दोनों तरह के विचार आते है।
कठिन पलों में हमेशा दूसरों के लिए अच्छा सोेचे एवं स्वधर्मियों व जरूरतमंदों की सहायता के भाव रखे। मुनिश्री ने हंस एवं उल्लू के कथानक के माध्यम से ये समझाने का प्रयास किया कि किस तरह फैसला लेने वाले लोग सच्चाई जानते हुए भी अपने स्वार्थो के अनुरूप निर्णय करते है तो निर्दोष भी सजा पा जाते है।
इस दुनिया को पशु-पक्षियों ने नहीं बल्कि इंसानों ने अपने तुच्छ लाभ के लिए उजाड़ा ओर वीरान किया है। उन्होंने कहा कि दिल जब तक दरियादिल नहीं होता तब तक आदमी कितना भी पास में हो छोड़ नहीं सकता। अपने जीवन व व्यक्तिव को ऐसा बनाओ कि लोग अच्छे कार्यो के लिए आपके नाम का उदाहरण दे।
गिरकर संभल जाने वाला जीवन में बढ़ जाता आगे
प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि जिंदगी में हमारी मुसीबतों का हल दूसरों कोई नहीं करने वाला। ये जमाना तो हमे मुसीबत में देख मुस्कराता है। सहयोग करने वाले लोग दुनिया में बहुत कम होते है। जीवन में गिरना बड़ी बात नहीं गिरने के बाद संभलकर आगे बढ़ जाना बड़ी बात होती है। तुम्हारे दिल की चुभन कम होगी किसी के पांव का कांटा निकाल कर देखे। जीने का जज्बा हमेशा मन में रखे ओर किसी की हिम्मत तोड़ने का कार्य नहीं करे।
प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘धरती पर रूपदेव गुरूदेव का उस विधाता की पहचान है’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है।
पुण्यकलश आराधक कर रहे साधना-आराधना
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा की प्रेरणा से चातुर्मास में तप-त्याग की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है। एक दिन उपवास एक दिन बियासना के साथ 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना के सातवें दिन आराधकों ने उपवास व्रत के प्रत्याख्यान लिए। पुण्यकलश आराधना करने पूना से आई चार श्राविकाओं ने गुरूवार को छह-छह उपवास के प्रत्याख्यान लिए।
कुछ आराधक गुप्त तपस्या भी कर रहे है। आराधकों को प्रवचन के बाद विशेष विधि से पुण्य कलश आराधना भी कराई जा रही है। शनिवार एवं रविवार को अनंतकाल के पापों का प्रक्षालन करने के लिए ‘आईएम सॉरी’ विषय पर विशेष प्रवचन होगा। चातुर्मास में प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है। चातुर्मास के तहत 15 से 18 अगस्त तक प्रवचन में श्रवण कुमार कथानक चलेगा।
बच्चों के लिए कल से चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप
चातुर्मास के दौरान 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए शनिवार 3 अगस्त से 15 दिवसीय अखिल भारतीय स्तर पर चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप का आयोजन शुरू होगा। इसमें सहभागी बनने के लिए अब तक देशभर से सैकड़ो बच्चें पंजीयन करा चुके है। पहले दिन 3 अगस्त को पूरे दिन खान-पान में अधिकतम 15 द्रव्य का उपयोग कर सकंेंगे प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा। पानी,दूध,पेस्ट व दवा द्रव्य सीमा में शामिल नहीं है।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627