गोड़ादरा स्थित महावीर भवन में चातुर्मासिक प्रवचन
सूरत(अमर छत्तीसगढ), 3 अगस्त। जिनवाणी सुनने का अवसर मिलना दुर्लभ होता है। जो जिनवाणी आज सुन रहे है वह कल नहीं सुन पाएंगे इसलिए एक भी दिन चूकना नहीं चाहिए। चातुर्मास का अवसर जिनवाणी की बारिश होने का समय है। जो इस समय का लाभ उठा लेते है वह सुख साधना के मार्ग पर आगे बढ़ जाते है। मांगलिक में असीम उर्जा समाई होती है इसलिए इसे श्रवण करने का लाभ भी अवश्य पाना चाहिए। ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने शनिवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान व्यक्त किए।
उन्हांेंने कहा कि हमे प्रतिदिन प्रवचन श्रवण करने के लिए आने की भावना रखनी चाहिए। प्रवचन सुनने से धर्म के प्रति श्रद्धा के भाव जागृत होते है ओर कर्म निर्जरा का भी अवसर प्राप्त होता है। ऐसे में प्रवचन सुनने का अवसर भी छोड़ना नहीं चाहिए। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने मांगलिक के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि नवकार के समान मांगलिक के भी पांच पद है। इन दोनों का जिनशासन आराधकों के लिए अत्यंत महत्व है।
नवकार में देव,गुरू,धर्म का महत्व प्रतिपादित किया गया है। विनय के बिना कोई धर्म नहीं हो सकता। नवकार मंत्र में पहला शब्द ही णमो ओर अंतिम शब्द है हवई मंगलम। नवकार मंत्र के पांच पद में 35 अक्षर है ओर मांगलिक में 127 अक्षर होते है।
जिनवानी के आधार 32 आगम में 70 हजार 361 गाथाएं समाहित है। तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने श्रावक के 12 व्रतों में से दूसरे व्रत सत्य व्रत की चर्चा जारी रखते हुए इसका महत्व समझाया ओर सभी श्रावक-श्राविकाओं को इस व्रत को अंगीकार करने की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने कहा कि पृथ्वी के आठ प्रकार है जिनमें से हम सातवीं पृथ्वी रतनप्रभा में रहते है।ं रतनप्रभा पहली नारकी है।
नारकी में अनंत दुःख है ओर नारकी में जाने के चार कारण होते है। व्रति श्रावक समर्पित भाव से उनकी पालना करते हुए धर्म आराधना करे तो नारकीय दुःखों से बच जाता है। विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा.ने भजन की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. एवं सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं का भी सानिध्य रहा।
सामायिक साधना व नवकार महामंत्र का जाप
पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में चातुर्मास में धर्म ध्यान, साधना, आराधना व तप त्याग की गंगा निरन्तर प्रवाहित हो रही है। चतुर्दशी होने से शनिवार को दो धर्मच्रक एक श्रावक व एक श्राविकाओं में हुआ तथा करीब 400 सामायिक साधना की गई। सुबह 7 से शाम 6 बजे तक नवकार महामंत्र जाप भी किया जा रहा है। सामायिक की पचरंगी व बच्चों के लिए चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप की आराधना भी चल रही है।
दो श्राविकाओं शिमला सांखला व नविता ढाबरिया के तपस्या गतिमान है ओर उन्होंने शनिवार को अनुमोदना के जयकारो की गूंज के बीच 10-10 उपवास के प्रत्याख्यान ग्र्रहण किए। श्राविका अनिता पानगड़िया ने 5 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला,बेला, उपवास,आयम्बिल, एकासन आदि तप के भी प्रत्याख्यान लिए।
भीलवाड़ा से पधारे नवरतनमल बाफना सहित सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलाल नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन अरविन्द नानेचा ने किया। चातुर्मास में प्रतिदिन प्रतिदिन सुबह 8.45 से 10 बजे तक प्रवचन एवं दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहे है। प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 5 बजे तक धर्म चर्चा का समय तय है। हर रविवार सुबह 7 से 8 बजे तक युवाओं के लिए एवं हर शनिवार रात 8 से 9 बजे तक बालिकाओं के लिए क्लास हो रही है।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627