आईएम सॉरी विषय पर दो दिवसीय विशेष प्रवचनमाला का पहला दिन
हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ) 3 अगस्त। लोग कई तरह की समस्याओं के समाधान के लिए मंत्र की चाह में आते है लेकिन आज तक किसी ने दुश्मनी खत्म करने का मंत्र नहीं मांगा। तपस्या करने, सामायिक करने, सेवा करने से दुश्मनी खत्म नहीं होगी। केवलज्ञानी बन जाने भी दुश्मन खत्म नहीं होते। दुश्मनी खत्म करने का आगम में एक ही मंत्र है ‘खामेमी सव्वे जीवा’।
इस मंत्र का महत्व सरल भाषा में समझाने के लिए ‘आईएम सॉरी’नाम दिया है। यदि जीवन में मोक्ष पाने की अभिलाषा रखते है तो अपनी दुश्मनी,वैर विरोध, राग,द्धेष को खत्म करना होगा इस मंत्र को आत्मसात करना होगा। ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में शनिवार को अनंतकाल के पापों का प्रक्षालन करने के लिए ‘आईएम सॉरी’ विषय पर दो दिवसीय विशेष प्रवचनमाला के पहले दिन व्यक्त किए।
उन्होंने खामेमी सव्वे जीवा मंत्र का महत्व बताते हुए कहा कि जितने भी सिद्ध हुए, सिद्ध हो रहे है या भविष्य में होंगे वह इस मंत्र की आराधना करते हुए ही होंगे। यह मंत्र कपट से मुक्ति दिलाता, अज्ञान का आवरण हटाता, खुशी से सराबोर रखता, जिंदगी की रूकावटे दूर करता, दिलो को जोड़ता व मन को सुकुन देता है। इस मंत्र की साधना मनुष्य ही कर सकता है। अनादिकाल की यात्रा में आज तक ये साधना नहीं कर पाए इसलिए अब तक संसार में है। मुनिश्री ने कहा कि तपस्या, सेवा, धर्म क्रिया करना भी मुश्किल नहीं पर आई एम सॉरी बोलना सबसे मुश्किल कार्य है। यह कार्य वो ही कर पाएगा जो कपटरहित, जाति,कुल विवेक सम्पन्न,ज्ञान,दर्शन,चारित्र सम्पन्न होगा।
ज्ञान दर्शन चारित्र सम्पन्न विवेकवान व्यक्ति ही आईएम सॉरी बोल पाएगा। ऐसे व्यक्ति इस शब्द को नहीं बोल पाएंगे जिन्हें लगता मेरा यश कम हो जाएगा, नाम खराब हो जाएगा, कीर्ति खत्म हो जाएगी। पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि ऐसी कोई जगह नहीं जहां इस आत्मा ने जन्म-मरण नहीं किया ओर ऐसी कोई गलती नहीं जो हमने नहीं की हो। हमारा शरीर तो इंसान का है पर मति कौनसी है इस पर भी चिंतन करे। हमारी जैसी मति होगी वैसी ही गति होगी। कुछ मिनट की गलती जिंदगी की गति बिगाड़ देती है। गलती स्वीकार कर लेने पर बिगड़ी हुई बात भी बन जाती है।
दूसरों की गलतियां दिखने से पहले अपने भीतर झांक आत्मचिंतन करे। पाप की आलोचना नहीं करने से गति बिगड़ती है। सजग अवस्था में पाप की आलोचना हो जाए तो जिंदगी आनंदमय हो जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रवचनमाला के पहले दिन इस मंत्र की भूमिका के बारे में बताया ओर दूसरे दिन रविवार को प्रवचन में इस मंत्र की साधना श्रावक-श्राविकाओं को कराई जाएगी। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘पल-पल प्रभु का नाम मैं जपता हूं’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।
पुण्यकलश आराधक कर रहे साधना-आराधना
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा की प्रेरणा से चातुर्मास में तप-त्याग की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है। एक दिन उपवास एक दिन बियासना के साथ 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना के आठवें दिन आराधकों ने उपवास व्रत के प्रत्याख्यान लिए। करीब 180 आराधक यह आराधना कर रहे है। आराधना करने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएं हैदराबाद पहुंचे है। पुण्यकलश आराधना करने आई पांच श्राविकाओं ने गुरूवार को सात-सात उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कुछ आराधक गुप्त तपस्या भी कर रहे है। आराधकों को प्रवचन के बाद विशेष विधि से पुण्य कलश आराधना भी कराई जा रही है।
देशभर से 464 बच्चों ने शुरू की चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप आराधना
चातुर्मास के दौरान 13 वर्ष तक के बच्चों के लिए शनिवार से 15 दिवसीय अखिल भारतीय स्तर पर चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप का आयोजन शुरू हो गया है। इसके लिए हैदराबाद सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से 464 बच्चों ने ऑनलाइन पंजीयन कराया है। बच्चे द्रव्य मर्यादा तप अपने रूटीन कार्यो के साथ घर से ही कर सकेगें। पहले दिन 3 अगस्त को पूरे दिन खान-पान में अधिकतम 15 द्रव्य का उपयोग करने की मर्यादा रखी गई। इसके बाद प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा। पानी,दूध,पेस्ट व दवा द्रव्य सीमा में शामिल नहीं है।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627