रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 4 अगस्त। स्थानीय पुजारी पार्क में स्थित मानस पार्क भवन में आयोजित दया दिवस व मुक्ति , मोक्ष, कर्म, तपस्या, आत्मा, सामायिक व संवर निर्जला, साधु-संतों के भोजन बहराने पर उपस्थितजनों को विशद जानकारी देते हुए कहा कि पानी का अपव्यय, काम करने वाली की भूमिका पानी के उपयोग दुरुपयोग पर बोलते हुए कहा हमारी जिम्मेदारी है। हम बर्तन स्वंय साफ करें, उन्होंने कहा भावना को उत्कृष्ट से उत्कृष्ट बनाओ वह दिन भी ध्यान होगा। वैसे भी धन हाथ का मैल है उसे दिमाग से निकाल दो। मैं कमा रहा हूं, यह सब पुण्य से मिलता है, देने से कम नहीं होगा बढ़ेगा।
मुनि शीतलराज ने शालीभद्र भगवान महावीर एवं राजा श्रणिक को लेक कई उदाहरण दिए तथा सामायिक का महत्व का बताते हुए कहा सामायिक व्रत भलीभांति ग्रहण कर लेने पर साधु श्रावक जैसे हो जाता है। अत: आध्यात्मिक दसा को पाने के लिए अधिक से अधिक सामायिक करना चाहिए। संवर सामायिकादि क्रियाएं भावों को शुद्ध करने का एक सुंदर निमित है।
उन्होंने सामायिक के मूल्य के राजा श्रेणिक ने भगवान महावीर से इसका मुल्य पूछा जिसका उन्होंने उत्तर दिया। समता पर बोलते हुए कहा सामायिक के साधना वाला सुख-दुख दोनों ने संतोष एवं शांति का अनुभव करता है। उन्होंने धर्म के लक्षण व अन्य विषयों पर भी विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि साधु संतों का आहार देने अर्थात बहराने के लिए भी कई नियम व जानकारी दी तथा उन्होंने बिखारी का साधु संतों के नजदीक आने का फिर उसका जीवन बदल जाने का उल्लेख किया।
बहराने का लाभ दुसरे का मत बहराओं, अहिंसा परमों धर्म पर भी उपस्थितजनों को विस्तृत जानकारी दी। यह भी कहा कि अहंकार नहीं होना चाहिए कब राखपति बन जाओं पता भी नहीं चलेगा। शीतलराज मुनि राज ने आज दया दिवस पर अपने अनुकरणीय उदगार व्यक्त किए।
आज दया दिवस पर बड़ी संख्या में सामायिक में नन्हे-मुन्हें बच्चों ने भाग लिया। इस अवसर पर संवर में नियनित सेवा देना वाले दर्जन भर से अधिक श्रावक-श्राविकाओं को स्मृदि चिन्ह भेंट कर संपूर्ण कार्यक्रम के चातुर्मासिक आयोजक दीपेश संतेती ने बहुमान किया। नन्ही बच्ची व महिलाओं ने भक्ति भावना से ओत-प्रोत गीतों की प्रस्तुति दी तथा आज भी भी आयंबिल, एकासना, व्यासना करने वालों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
शीतलराज मुनि में आज उपस्थितजनों को सुबह एवं शाम को मांगलिक संदेश का आर्शीवाद दिया । वहीं भोजलशाला में भाग लेने वाले सभी के लिए उमदा भोजन की व्यवस्था नियमित रुप से की गई है। चातुर्मासिक आयोजन के तहत नियमित रुप से दैनिक कार्यक्रमों में प्रात: 6.30 से लेकर 9.30 बजे तक प्रार्थना प्रवचन, अतापना, मौन मांगलिक, सामायिक, प्रतिक्रमण, धर्म चर्चा नियमित रुप से चल रही है। चार-पांच वर्षीय बच्चों ने आज निर्धारित वेशभूषा में पहुंचकर सामायिक में भाग लिया। जो सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र रहा। बच्चों एवं बडों के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता व आराधना व कार्यशाला आयोजित की गई, बड़ी संख्या में भाग लिया।