मुनि श्री रमेश कुमार ने  “उपासक सप्ताह के अंतर्गत “तेरापंथ के श्रावक” विषय पर दिया प्रवचन

मुनि श्री रमेश कुमार ने “उपासक सप्ताह के अंतर्गत “तेरापंथ के श्रावक” विषय पर दिया प्रवचन


काठमाण्डौ नेपाल(अमर छत्तीसगढ़) 8 अगस्त।

इतिहास उम्र के पैमानों से नहीं कर्तव्य की तेजस्विता से बनता है। उन जीए गए क्षणों का अक्षयकोश होता है इतिहास । जिसका प्रत्येक अंश वर्तमान के लिए प्रेरणा दीप बनता है। यादों में लिपटी हमारे पूर्वजों के जीवन की रफ्तार हमें बहुत सी दुर्घटनाओं से विध्न बाधाओं से बचा लेती है। इसलिए कहा गया है इतिहास को सुरक्षित न रखना पीढि‌यों की अकर्मण्यता का सूचक है।

इतिहास का लेखन बहुत जरूरी होता है, क्योंकि अतीत को पुनः वर्तमान में जी लेने वाला ही भविष्यकी सीमाओं को सुरक्षा दे सकता है।उपरोक्त विचार आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ने आज तेरापंथ कक्ष स्थित महाश्रमण सभागार में चल रहे “उपासक सप्ताह के अंतर्गत आज “तेरापंथ के श्रावक” विषय पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किये।
आपने तेरापंथ की ऐतिहासिक का उल्लेख करते हुए आगे कहा- शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल जी सबका जाना पहचाना नाम है। आपने तेरापंथ धर्मसंध में अपने कर्तृत्व, व्यक्तित्व, कवित्व और अस्तित्व से अलग पहचान बनाई। आपश्री का प्रौढ चिन्तन , सर्वांगीण विषयों पर अश्लथ-प्रवाही लेखन सरस वक्तृित्व, सूक्ष्म मेधा के आप धनी थे । आपके द्वारा लिखित तेरापंथ का इतिहास सभी पढना चाहिए। आज आपने तेरापंथ श्रावकों का रोमांचक इतिहास से सबको परिचित कराया।

संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा काठमाण्डौ नेपाल

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