ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन
हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 8 अगस्त। अपनी कमियां ओर दूसरों की प्रशंसा सुनने के लिए दिल बड़ा होना चाहिए। बड़े दिलवाले की खासियत यह होती है कि वह केवल अपनी खुशी नहीं देखते बल्कि सबकी खुशी में अपनी खुशी मानते है। दिल बड़ा होने पर ही व्यक्ति बड़े काम कर सकता है। दिल बड़ा न हो तो बड़े काम भी ठप हो जाते है। संघ-समाज के कार्य के लिए भी पैसे की कमी नहीं दिलवालों की कमी हो जाती है। बड़ा दिल होने पर समस्याएं स्वतः सुलझ जाती है।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में गुरूवार को चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जिन बातों से हमारी जिंदगी में कड़वाहट आई उनसे परेशान रहते है फिर भी उनको भूल नहीं पाते है हमारा इगो व जिद इसमें आड़े आ जाते है। इससे हमारी परेशानियां समाप्त नहीं होती है। भूलना नहीं सीखने के कारण ही बिगड़े हुए रिश्ते सुधर नहीं पाते है। जिंदगी से इगो ओर जिद रूपी कांटे निकाल जितना भूलना सीख जाएंगे उतने ही रिश्ते सहज व मधुर बन जाएंगे। ये कांटे हम अपने जीवन में खुद चुभोते है।
मुनिश्री ने कहा कि ये दुनिया नफरतों के आखिरी स्टेज पर है उपचार इसका मोहब्बत के सिवाए कुछ नहीं है। जीवन में धैर्य व धीरता का गुण धारण कर आगे बढ़े तो फिर अपनों के साथ रिश्ते जोड़ने का मौका मिलता है अन्यथा अच्छे खासे रिश्ते भी समय से पहले मुर्दा हो जाते है। महाभारत की शुरूआत हमेशा छोटी-छोटी बातों से ही होती है जिसमें इगो ओर जिद जुड़ जाते है। जब तक कड़वी बातों को नहीं भूलेंगे तब तक प्रेम नहीं हो सकता।
प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि परमात्मा महावीर के कोई भी नियम केवल धर्मस्थान पर ही नहीं हमारे घरों पर भी लागू होते है। धर्मस्थान पर आरंभ-सारंभ नहीं धर्म की प्रभावना होती है आरंभ-सारंभ तो वह होते है जो हम जन्मदिन, सालगिरह ओर शादियों के नाम पर बड़ी होटलों में करते है। प्रवचन में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. एवं गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा।
धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।
भावना होने पर भी तप नहीं कर पाने पर करें भक्तामर स्रोत की 28वीं गाथा की आराधना
प्रवचन के शुरू में आदिनाथ भगवान की स्तुति स्वरूप महामंगलकारी भक्तामर स्रोत की 28 वीं गाथा का विधिपूर्वक विधान कराया गया। चार राउण्ड में प्रत्येक बार गाथा का छह-छह बार सामूहिक उच्चारण किया गया।
समकितमुनिजी ने कहा कि जिसके मन में तपस्या करने की भावना तो है पर कर नहीं पा रहे है वह भक्तामर स्रोत की गाथा की आराधना अवश्य करें इससे उन्हें तप के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी। जब भी तपस्या करने की भावना हो उससे 9 दिन पहले प्रतिदिन 21 बार इस गाथा का जाप करे तपस्या करने में सहायक होगा। चातुर्मास के तहत हर गुरूवार को प्रवचन के शुरू में भक्तामर स्रोत की गाथाओं की आराधना एवं विधान हो रहा है।
चातुर्मास में प्रवाहित हो रही तपस्याओं की अविरल धारा
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा की प्रेरणा से चातुर्मास में तप-त्याग की ऐसी गंगा प्रवाहित हो रही है जिसमें डूबकी लगा हर कोई पुण्यार्जन कर लेना चाहता है। गुरूवार को सभा में उस समय अनुमोदना के साथ हर्ष-हर्ष, जय-जय के जयकारे गूंजायमान हो उठे जब कन्याकुमारी से आई सुश्राविका सुरेखा बाफना ने 98 उपवास, पुष्पादेवी चौरड़िया ने 11 उपवास एवं सुश्रावक अनिल सुराणा ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान लिए।
श्रावक महेन्द्र लुणावत ने 6 उपवास एवं कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। पुण्यकलश आराधना करने आई पूना की 6 श्राविकाओं ने अठाई या उससे बड़ी तपस्या कर ली है तो कई पुण्यकलश आराधक तेला तप भी कर चुके है।
ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में 11 अगस्त को पुण्यकलश आराधकों का बग्गी में बिठा वरघोड़ा निकालने के साथ तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित होगा। अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित 15 दिवसीय चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप भी गतिमान है। तप के छठे दिन 10 द्रव्य मर्यादा रही। प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627