रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 9 अगस्त। स्थानीय पुजारी पार्क के मानस भवन में आयोजित नियमित प्रवचन पर आज सूर्य आतपना धारी, महात्मा शीतल राज मसा ने सामायिक, स्वाध्याय, संयम, तप, त्याग, पर्युषण पर्व, संवर, निर्जरा व इसके भेद बताते हुए कहा सामायिक करने वालों को तप, साधना, निर्जला का ज्ञान हो । जीवन में हम महापुरुषों का चिंतन मनन करें, संयम जीवन को स्वीकारें, संयम प्राप्त कर जीवन में परिवर्तन लाए। समता के साधक करुणा के अवतार सत्य के साथ अनंत ज्ञानी, अनंत दर्शी, सर्वत्र महापुरुषों ने भव्य जीवों के आत्म कल्याण के लिए वाणी को प्रभावित किया साधक भी अनंत सुख को प्राप्त करें ।
मुनिश्री शीतल राज ने कहा हम सामायिक द्वारा पापों के आश्रव को रोक कर संवर की आराधना कर सकते हैं तथा सामयिक काल में स्वाध्याय करने से पापों की निर्जरा भी होती है। उन्होंने कहा सामाजिक समभाव की साधना को संभावित सामायिक कहते हैं। अनुकूल वस्तु पर या परिस्थिति में राग न करना व प्रतिकूल वस्तु पर या परिस्थिति में द्वेष न करना ।अंत राग द्वेष में सम रहना सीखने की प्रक्रिया ही सामायिक है । निर्जरा के 12 प्रकार हैं, छह बाहरी तप है, 6 आंतरिक ताप है, पाप 18 तरह से बनते हैं, 18 पाप से जीव को 82 प्रकार के अशुभ फल भोगने पड़ते हैं । आश्रव के 20 प्रकार हैं।
ज्ञानवरणीय कर्म बंधन पर मुनि शीतल राज ने कहा यह कर्म 6 प्रकार बंधता है। ज्ञान पांच प्रकार के क्रमशः मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान, अवधि ज्ञान, मन पर्याव ज्ञान, एवं केवल ज्ञान प्राप्ति में बाधक हो उसे भी नहीं भूलना चाहिए। संयम के कई प्रकार हैं, जिसे स्वीकारना होगा । विनय पर उन्होंने कहा शब्द भले ही छोटा हो लेकिन बहुत ही व्यापक भाव को लिए हुए हैं । विनय धर्म तथा न्याय नीति की ओर ले जाता है इसलिए विनय धर्म तथा ज्ञान दोनों का मूल्य है ।
उन्होंने कहा उपाध्याय महाराज 32 आगम शास्त्रों के ज्ञाता है। वह अपना अधिकतर समय शास्त्र अध्यापन में तथा दूसरे साधु साधुओं को ज्ञान देने में व्यतीत करते हैं ।
शीतल राज मुनि ने कहा हमारे शरीर की इंद्रियां बहुत ही मूल्यवान है। संसारी जीवन के ज्ञान प्राप्ति के साधन को इंद्रिय कहते हैं । इंद्रिय पांच होती है दीक्षा लेने वालों नव दीक्षितों पर भी उन्होंने सारगर्भित जानकारी दी उन्होंने कहा नव दीक्षित को पूरा ज्ञान नहीं लेकिन उसके त्याग भाव को देखकर लोग उसे मांगलिक सुनने जाते हैं। त्याग बैराग भाव का असर पड़ता है। मोक्ष को पानी और ज्यादा त्याग करना होगा । त्याग की महिमा भारी है, त्यागी संत महात्मा का लंबा त्याग रहता है । चिंतन करने से अहंकार काम होता है । भगवान महावीर के उपदेशों को अपने जीवन में उतारे । पर्यूषण पर्व पर बोलते हुए शीतल राज मसा ने कहा या महत्वपूर्ण पर्व है। 8 दिन तक आयोजित इस पर्व में हमें तीर्थंकर द्वारा दिखाएं मार्ग की याद दिलाता है। रोज प्रतिक्रमण करना चाहिए ।
शीतल राज मास के सानिध्य में विभिन्न प्रकार के उपवासों की लड़ी से श्रावक श्राविका रोज जुड़ रहे हैं। वही नियमित रात्रि में आयोजित संवर में प्रतिदिन दर्जन भर से अधिक महिला पुरुष भाग ले रहे हैं । संवर वालों को नियमित रूप से सम्मान बहुमान चातुर्मास के लाभार्थी संचेती परिवार के प्रमुख दीपेश संचेती के द्वारा किया जा रहा है । चातुर्मास समिति के अनुसार इस रविवार 11 अगस्त को दया दिवस मनाया जा रहा है । सुबह प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जा रहा है । भाग लेने वाले सम्मानित होंगे । सैकड़ो की संख्या में महिला पुरुष बच्चे शीतल राज मसा के मांगलिक ग्रहण कर रहे हैं । उपवास वालों के लिए भोजन शाला में भोजन की व्यवस्था नियमित रूप से की जा रही है ।