हमने अपना जीवन कैसे जीया इसकी निशानी होती है बुढ़ापा- हरीशमुनिजी मसा…. जीवन में हर संकट से उबार सकती है धर्म की शरण-हितेशमुनिजी मसा

हमने अपना जीवन कैसे जीया इसकी निशानी होती है बुढ़ापा- हरीशमुनिजी मसा…. जीवन में हर संकट से उबार सकती है धर्म की शरण-हितेशमुनिजी मसा

अम्बाजी के अंबिका जैन भवन में मुकेशमुनिजी म.सा. के सानिध्य में चातुर्मासिक प्रवचन

अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ), 9 अगस्त। अहंकार हमारे जीवन में आगे बढ़ने की राह रोक देता है। अहंकारी व्यक्तिका अंत हमेशा बुरा होता है जो अहंकार का त्याग कर साधना का मार्ग अपना लेते है वह मुक्ति के पथ पर बढ़ जाते है। अहंकारी व्यक्ति को अपना नुकसान भी नजर नहीं आता है ओर वह गलत राह पर आगे बढ़ता जाता है।

ये विचार पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा ने शुक्रवार को श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में अंबिका जैन भवन आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि रावण हो या कंस या फिर दुर्योधन जिसने भी अहंकार किया वह विनाश को प्राप्त हुआ। बाहुबलि में जब तक अहंकार था उन्हें मुक्ति की राह नहीं मिली लेकिन जैसे ही वह अहंकार का त्याग कर साधना के मार्ग पर आगे बढ़ उन्हें उसका सुफल प्राप्त होता गया।

अहंकार से मुक्ति मिलते ही व्यक्ति के ज्ञान के चक्षु खुल जाते है ओर वह अपना भला-बुरा समझने लगता है। सेवारत्न श्री हरीश मुनिजी म.सा. ने कहा कि जिसने इस संसार में जन्म लिया उसकी मृत्यु निश्चित है वह कब आएगी यह कोई नहीं जानता पर आएगी यह सबको पता है।

हमारे सद््कर्म करे तो बुढापा अशांति नहीं शांति का पड़ाव बन सकता है। हमने अपना जीवन कैसा जीया इसकी परीक्षा बुढ़ापे में होती है। बुढ़ापा शांतिपूर्वक बीते तो वह मुक्ति की ओर ले जाता है। बुर्जुग व्यक्ति परिपक्व होने के साथ अनुभव का भण्डार होता है इसलिए उसे कभी घबराना नहीं चाहिए। हमने कैसा जीवन जीया इसका आधार बुढ़ापा बनता है।

धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने 12 भावनाओं में से पहली भावना अनित्य की चर्चा पूर्ण करते हुए दूसरी भावना अशरणा के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि शरणा केवल देव,गुरू व धर्म का ही होता है। मृत्यु का कोई भरोसा नहीं कब जीवन का अंत हो जाए इसलिए हमेशा धर्म की शरण लेते रहे। हमेशा जो खुली आंखों से दिखता वह ही शरण लेने योग्य नहीं होता है। केवल धर्म पर विश्वास रख उसकी शरण में रहे।

जिनको देव,गुरू व धर्म की शरण मिल जाती है उनके जीवन का कल्याण हो जाता है। धर्मसभा में प्रार्थनाथी सचिन मुनिजी म.सा. ने कहा कि जो तुम अपने लिए चाहते हो वही दूसरों के लिए भी चाहो। जो तुम अपने लिए नहीं चाहते हो वह दूसरों के लिए मत चाहों। हमें सम्मान पाना अच्छा लगता है तो हमें दूसरों का अपमान नहीं करना चाहिए। हमें प्रशंसा अच्छी लगती है तो हमें दूसरों की बुराई या निंदा नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भगवान महावीर अपनी देशना में कहते हैं तुझे जो व्यवहार अच्छा नहीं लगता वैसा व्यवहार तू दूसरों के साथ मत करना। किसी के साथ छल-कपट या धोखाधड़ी का काम मत करना। तुम्हें दुःख पसंद नहीं तो दूसरों को भी दुःख मत देना। हमें अपने पैरों में कांटे चुभे तो हमें अच्छा नहीं लगता तो दूसरों के जीवन में कांटे बोने का काम कदापि मत करना।

यदि तुम सुखी रहना चाहते हो तो तुम्हें सब के जीवन की मंगल कामना करना चाहिए। यदि तुम सब की चिंता करोंगे तो सब तुम्हारी चिंता करेंगे। हमें सब के प्रति स‌द्भावना रखना चाहिए। जहाँ तक हो सके तो किसी का भला करने की सोचना, किसी का बुरा कभी मत करना।


धर्मसभा में युवारत्न श्री नानेशमुनिजी म.सा. का भी सान्निध्य रहा। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने आयम्बिल, एकासन, उपवास तप के प्रत्याख्यान भी लिए। अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमकुमार बाफना ने किया। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे है। चातुर्मास अवधि में प्रतिदिन दोपहर 2 से 4 बजे तक का समय धर्मचर्चा के लिए तय है। चातुर्मास के तहत रविवार को दोपहर 2.30 से 4 बजे तक लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य रूपचंदजी म.सा. के जीवन से जुड़े प्रश्नों की धार्मिक प्रतियोगिता हो रही है।

द्वय गुरूदेव जयंति सप्ताह का मुख्य आयोजन 15 अगस्त को

द्वय गुरूदेव श्रमण सूर्य मरूधर केसरी प्रवर्तक पूज्य श्री मिश्रीमलजी म.सा. की 134वीं जन्मजयंति एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक श्री रूपचंदजी म.सा. ‘रजत’ की 97वीं जन्म जयंति के उपलक्ष्य में पूज्य मुकेशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में 13 से 19 अगस्त तक सप्त दिवसीय आयोजन होंगे। मुख्य समारोह का आयोजन 15 अगस्त को अंबाजी में दांता रोड स्थित भगवती वाटिका में होगा। इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से गुरू भक्त भी शामिल होंगे। द्वय गुरूदेव जयंति के उपलक्ष्य में श्रावक-श्राविकाओं को 11 से 13 अगस्त तक सामूहिक तेला तप करने की प्रेरणा भी दी जा रही है।

प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627

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