सामाजिक जीवन का पहला मंदिर है परिवार- मुनि रमेश कुमार

सामाजिक जीवन का पहला मंदिर है परिवार- मुनि रमेश कुमार


काठमाण्डौ नेपाल (अमर छत्तीसगढ) 10 अगस्त।

परिवार सप्ताह का शुभारंभ

परिवार बच्चों की पहली पाठशाला है और सामाजिक जीवन का पवित्र मंदिर है। परिवार का माहौल जितना खुशहाल, सुन्दर होगा उस परिवार की नई कोंपलें उतनी ही आकर्षक और फलवान होगी। हर व्यक्ति का स्वप्न होता है उसका एक सुखद परिवार हो।उसके लिए वह बहुत परिश्रम भी करता है परन्तु कुछ ही ऐसे परिवार होते हैं जिन्हें मंदिर कहा जा सकता है।

घर परिवार केवल ईंट, पत्थर, चूने और मार्बल से निर्मित नहीं होते हैं बल्कि परिवार को मंदिर बनाने के लिए अनुशासन, प्रेम, सौहार्द, सहिष्णुता और त्याग की भावना चाहिए। उपरोक्त विचार आचार्य श्री महाश्रमण जी के प्रबुद्ध सुशिष्य मुनि श्री रमेश कुमार जी ने आज “परिवार सप्ताह” के शुभारंभ पर “घर को बनायें मंदिर” विषय पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किये।


मुनि रमेश कुमार जी ने आगे कहा- परिवार सामाजिक जीवन की रीढ है। सामाजिक जीवन का पहला मंदिर परिवार ही है।वह व्यक्तियों के समूह से होता है। सामाजिक चरित्र निर्माण के लिए गरिमापूर्ण समाज निर्माण के लिए, अहिंसक और व्यसन मुक्त समाज निर्माण के लिए परिवार आवश्यक है। आपने इस अवसर पर इस विषय को विस्तार से समझाया।

मुनि रत्न कुमार जी ने भी इस अवसर पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये।

संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा काठमाण्डौ नेपाल

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